मोदी फिर हुए नाराज़! जानिए क्यों?
(हस्तिनापुर के बोल)
अरे भाई,ये हो क्या रहा है? लगता है मोदी मॉनसून में मानेंगे नहीं! अभी तो एनडीटीवी का केस ठंडा पड़ा ही नहीं था,कि मोदी फिर गरम हो गए!!! आप सोच रहें होंगे कि ऐसा क्या हो गया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नाराज़ हो गए।तो चलिए पूरा मसला जानने के लिए आपको थोड़ा पहले लिए चलते हैं और दिखाते हैं इस नाराजगी की शुरुआत।
दरअसल,बात है फरवरी मार्च की जिस वक़्त पांच राज्यों में विधान सभा के चुनाव हो रहे थे।तब भारतीय निर्वाचन आयोग के उम्मीदवारों ने नगदी निकालने की सीमा को 24 हजार प्रति सप्ताह से बढ़ाकर 2 लाख प्रति सप्ताह करने की मांग की थी। जिसे नोटबंदी के वक़्त नगदी के दिक्कतों के कारण रिजर्व बैंक के द्वारा ठुकरा दिया गया था।
और अब यह पुरानी नाराजगी,नए रूप के साथ यूं आई है, कि बुधवार को मोदी के मर्ज़ी के खिलाफ जाकर आरबीआई के गवर्नर उर्जित पटेल के नेतृत्व वाली "मौद्रिक नीति समिति" (एमपीसी) ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट यथावत रखीं।मोदी सरकार इनके दरों में गिरावट चाहती थीे।(1.रेपो रेट---वह दर जिस पर रिजर्व बैंक दूसरे बैंकों को कर्ज देती है। 2.रिजर्व रेपो रेट--- वह दर जिस पर आरबीआई दूसरे बैंकों द्वारा अपने पास जमा किए गए अतिरिक्त नगदी पर ब्याज देती है।)
टेलीग्राफ के रिपोर्ट के अनुसार आरबीआई ने ब्याज दरों पर फैसला लेने से पहले वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक का अनुरोध ठूकरा दिया था।जिसकी सफाई में मीडिया से कहा गया है कि"एमपीसी के सभी सदस्यों ने बैठक के अनुरोध को ठूकरा दिया,इसलिए बैठक नहीं हुई।" मोदी सरकार आरबीआई के प्रदर्शन से खुश नहीं है हालांकि,बैठक के बाद देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रामण्यम ने मोदी को पत्र लिखकर रेपो रेट कम ना किए जाने की वजहें बताई हैं।बैठक के बाद एमपीसी ने रेपो रेट को 6.25 व रिवर्स रेपो रेट को 6 प्रतिशत पर बरकरार रखा।हालांकि,इस फैसले को सर्वसम्मति से नहींं लिया गया है।रविन्द्र ढोलकिया ने एमपीसी के फैसले के खिलाफ असहमति पत्र लिखा है।
यह तो मोदी सरकार की पहली नाराजगी,आइए हम बताते हैं कि मोदी सरकार की दूसरी नाराजगी किस मसले पर है।जी,तो ये मसला है कि आरबीआई ने चेतावनी दी है "अगर किसानों को कर्ज माफ हुआ तो देश के वित्तीय घाटा और महंगाई की दर में वृद्धि का खतरा बढ़ सकता है।"रेपो रेट को यथावत रखने के कारण बताते हुए उर्जित पटेल ने यह भी कहा है कि"जब तक राज्यों में वित्तीय घाटा सहने की क्षमता नहीं जाती तब तक किसानों का कर्ज माफ करने से बचना चाहिए।" राज्यों में कर्ज माफी से चिंतित होकर उर्जित ने कहा कि ऐसा करने से पहले भी महंगाई बढ़ी है,और भविष्य में भी बढ़ सकती है।इसलिए जरूरी है कि हमें सावधानी से कदम रखना चाहिए ,इससे पहले कि मामला नियंत्रण से बाहर हो जाय।बता दें कि उत्तर प्रदेश के बाद देवेन्द्र फडणविस ने भी राज्य के इतिहास में सबसे बड़े कर्ज माफी की घोषणा की है।
फिलहाल,इन सब बातों से मोदी सरकार काफी नाखुश है।अब देखना ये है कि मोदी सरकार की नाराजगी कैसे दूर होती है।मॉनसून के मौसम में मोदी मानते है या मनवाते है !!!! देखना दिलचस्प होगा...
पायल
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