तो क्या किसान जानबूझकर कर्ज़ नहीं अदा करते?

(हस्तिनापुर के बोल)



किसानों को मुद्दा हमेशा से देश का अहम मुद्दा रहा है। जिसके पक्ष विपक्ष में बोलने वाले लोग हमेशा ही इस मुद्दे को बड़ा मुद्दा बनाए रखते हैं। उदाहरण के तौर पर मध्य प्रदेश में  6 किसानों की पुलिस के द्वारा मारे जाने की ख़बर हो या फिर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के द्वारा किसानों के कर्ज की अब तक की सबसे बड़ी माफी हो।पर वो कहते है ना की हर सिक्के के दो पहलू होते हैं। तो इस मामले के भी दूसरे पहलू ने भी अपना चेहरा दिखा दिया है।क्या आपको पता है किसानों का यह सच कि वो जान बूझकर कर कर्ज अदा नहीं करते।

जी,ऐसा हम बिल्कुल नहीं कह रहें ।यह बात तो सामने आई है  केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली की बैंकरों के साथ बैठक में।जेटली के इस बैठक में कई और अधिकारी व सरकारी बैंकों के बैंकर मौजूद थे। और इसी बैठक में कई बैंकरों ने किसानों पर यह आरोप लगाया है कि किसान जान बुझकर बैंकों को कर्ज अदा नहीं करते। वो इस इंतजार में रहते है की सरकार उनका कर्ज माफ कर देगी। 

इस चिंताजनक बैठक के बाद टाइम्स के हवाले से यह खबर सामने आई है कि किसानों में कर्ज न चुकाने की प्रवृति बढ़ती ही जा रही है। जिसके कारणवश बैंकों पर वित्तीय दवाब बढ़ता जा रहा है।रिपोर्ट के अनुसार पूरे देश में किसानों पर करीब 10 लाख करोड़ के कर्ज हैं।बैंकरों ने यह बात बताई कि पिछले कुछ महीने से किसानों के कर्ज लेने के दर में 50 प्रतिशत की वृद्धि आई है।बैठक में एक बड़े अधिकारी ने कहा कि किसान जान बूझकर अपने अकाउंट से पैसा निकाल रहें हैं,ताकि बैंक खुद उनके अकाउंट की राशि से उनका कर्ज न काट लें। एसबीआई के चेयरमैन अरू़धनती भट्टचार्य ने इस बात से आगाह किया था कि किसानों की माफी जरूरी है ,पर कर्ज माफी के कीमत पर नहीं।

अरुण जेटली ने किसानों के द्वारा कर्जमाफी की बढ़ रहीं मांगों पर सोमवार को कहा है कि इसके लिए राज्यों को अपने संसाधन कोश का इंतजाम करना होगा।
लाजमी है कि जवान और किसान देश को गढ़ते हैं।पर अपनी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन काफी जरूरी है।किसानों की मदद में पीछे हटना,देशद्रोह के समान है।पर अगर यह सच है कि कर्ज माफी किसानों का मिजाज़ बदल रही है तो हो सकता मदद आप चार की कर रहे हैं पर नुकसान आपको चार हजारों का हो जाय।इस मदद की पारदर्शिता बरकरार रहेगी तभी देश एक बड़े नुकसान से दूर रहकर उनकी मदद कर पाएगा,जो इनके वाजिब हकदार हैं।

-पायल



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