राष्ट्रपति चुनाव का ABCD....., पूरा ज्ञान बोले तो पूरा
(हस्तिनापुर के बोल)
जल्द ही राष्ट्रपति का चुनाव होने जा रहा है, हम बता दें 17 जुलाई को राष्टपति चुनाव आयोजित होगा। क्या आप जानते हैं आखिर किस तरह भारत में राष्टपति चुनाव होता है। जैसा की हम सब जानते है हमारे भारत देश में राष्टपति के चुनाव का तरीका बिल्कुल अनूठे ढंग से होता है और एक तरह से इसे आप सर्वश्रेष्ठ संवैधानिक तरीका भी कह सकते है। भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। राष्ट्रपति का यहाँ सवोच्च संवैधानिक पद है। संवैधानिक प्रक्रिया के अंतर्गत हर 5 वर्षो में राष्ट्रपति चुनाव किया जाता है। इसमें कई देशों में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के तरीकों की अच्छी बातों को शामिल किया जाता है, सबसे अच्छी बात यह है की भारत के राष्ट्रपति चुनाव में सभी राजनैतिक दलों के विजयी उम्मीदवारों को शामिल किया जाता है।
अगर बात करें राष्ट्रपति चुनाव की तो भारत में राष्ट्रपति का चुनाव एक इलेक्टोरल कॉलेज करता है, लेaकिन इसके सदस्यों का प्रतिनिधित्व अनुपातिक भी होता है। उनका सिंगल वोट ट्रांसफर होता है, लेकिन उनकी दूसरी पसंद की भी गिनती होती है। अगर आपको वोटों के गणित को समझना है तो कुछ बातें जो आपके जानकारी के लिए आवश्यक है
अप्रत्यक्ष निर्वाचन_ राष्टपति का चुनाव निर्वाचक मंडल यानी इलेक्टोरल करता है। अर्थात जनता जो होती है वो अपने राष्ट्रपति का चुनाव सीधे नहीं करती, लिहाज उसके वोट से चुने गए प्रतिनिधि करते है। यह होता है अप्रत्यक्ष निर्वाचन।
वोट का अधिकार_ इसमें सभी प्रदेशों की विधानसभाओं के चुने सदस्य और लोकसभा सांसद वोट डालते है, लेकिन राष्ट्रपति द्वारा संसद में नामित सदस्य वोट तथा राज्यों की विधान परिषदों के सदस्य नहीं डाल सकते। क्योंकि वे जनता द्वारा चुने गए सदस्य नहीं होते।
सिंगल ट्रांसफरेबल_ इस चुनाव प्रक्रिया में एक खास तरीका से वोटिंग होतो है, जिसे हम 'सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम' कहते है। इसका मतलब वोटर एक ही वोट देता है, लेकिन वह राष्ट्रपति चुनाव में भाग ले रहे सभी उम्मीदवारों में से अपनी प्राथमिकता तय कर देता है।
वोट देने वाला बैलेट पेपर पर अपनी पसंद को पहले ,दूसरे तथा तीसरे क्रमानुसार बताता है। यदि पहली पसंद वाले उम्मीदवार के वोटों से विजेता का फैसला नहीं हो सका तो उम्मीदवार के खाते में वोटर की दूसरी पसंद को नये सिंगल वोट की तरह ट्रांफर किया जाता है।
अनुपातिक वयवस्था _ वोट डालने वाले सांसदों और विधायकों के वोट का वेटेज अलग_अलग होता है। दो राज्यों के विधायकों के वोटों का वेटेज भी अलग-अलग होता है। जिस तरह ये वेटेज तय होते है ,उसे हम अनुपातिक प्रतिनिधित्व वयवस्था कहते है।
MLA के वोट वेटेज_ अगर हम बात करें विधायक की तो विधायक के मामले में जिस राज्य का विधायक होता है, उसकी आबादी देखी जाती है। साथ ही उस प्रदेश के विधान सभा सदस्यों की संख्या को भी ध्यान में रखा जाता है। वेटेज निकलने के लिए प्रदेश की पॉपुलेशन को एलेक्टेड MLA की संख्या से डिवाइड किया जाता है। इस तरह जो नंबर मिलता है, उसे फिर 1000 से डिवाइड किया जाता है। अब जो आकड़ा सामने आता है वही उस राज्य के एक विधायक के वोट का वेटेज होता है। 1000 से भाग देने पर अगर शेष 500 से ज़्यादा आए तो वेटेज में 1 जोड़ दिया जाता है।
MP के वोट का वेटेज_ सांसदों के मतों के वेटेज का गणित अलग है। सबसे पहले सभी राज्यों की विधानसभाओं के एलेक्टेड मेंवर्स के वोटों का वेटेज जोड़ा जाता है। इसके बाद सामूहिक वेटेज की राज्यसभा और लोकसभा के एलेक्टेड मेंवर्स की कुल संख्या से डिवाइड किया जाता है। इसके बाद जो नंबर मिलता है, वह सांसद के वोट का वेटेज होता है।
वोटों की गिनती_ राष्ट्रपति के चुनाव में सबसे ज़्यादा वोट हासिल करने से ही जीत तय नहीं होती है। राष्ट्रपति वही बनता है, जो वोटरों यानी सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल वेटेज का आधा से ज़्यादा हिस्सा हासिल करे। यानी इस चुनाव में पहले से तय होता है की जीतने वाले को कितना वोट वेटेज पाना होगा। प्रेसिडेंट इलेक्शन के लिए जो इलेक्टोरल कॉलेज है, उसके सदस्य के वोटों का कुल वेटेज 10,98,882 है। तो जीत के लिए कैंडिडेट को 5,49,442 वोट हासिल करना होगा। हम बता दें जो प्रत्याशी सबसे पहले यह कोटा हासिल करता है, वह राष्ट्रपति चुन लिया जाता है।
प्रायोरिटी का महत्व
सबसे पहले यह समझना होगा की प्रायोरिटी का महत्व क्या है राष्ट्रपति चुनाव में। सांसद या विधायक वोट देने वक़्त अपने मतपत्र पर बता देते है की उनकी पहली पसंद वाला कैंडिडेट कौन है, दूसरी पसंद वाला कौन और तीसरा कौन आदि आदि। सबसे पहले सभी मतपत्रों पर दर्ज पहली वरीयता के मत गिने जाते है। यदि इस पहली गिनती में ही कोई कैंडिडेट जीत के लिए जरुरी वेटेज का कोटा हासिल कर ले तो उसकी जीत पक्की हो गई। लेकिन अगर ऐसा न हो तो फिर एक और कदम उठाया जाता है।
सबसे पहले उस कैंडिडेट को रेस से बाहर किया जाता है, जिसे पहली गिनती में सबसे कम वोट मिले। लेकिन उसको मिले वोटों में से देखा जाता है की उनकी दूसरी पसंद के कितने वोट किस उम्मीदवार को मिले है। उसके बाद दूसरी पसंद के वोट बचे हुए उम्मीदवारों के खाते में ट्रांसफर किए जाते है। यदि ये वोट मिल जाने से किसी उम्मीदवार के कुल वोट तय संख्या तक पंहुच गए तो वह उम्मीदवार विजयी माना जाएगा।
राष्ट्रपति चुनाव में कितने लोग वोटिंग करेंगे
लोकसभा सांसद_ 543 (2 नॉमिनेटेड सदस्य वोट नहीं डाल सकते)
राज्यसभा सांसद_ 233 (12 नॉमिनेटेड सदस्य वोट नहीं डाल सकते)
देश के कुल विधायक_ 4,120
कुल वोटरों की संख्या_ 4,896
कुल 4,120 विधायकों के वोटों की संख्या_ 5,49,474
कुल 776 सांसदों के वोटों की संख्या_ 5,49,408
एक विधायक की कीमत : किस राज्य में कितनी
उत्तर प्रदेश_208
तमिलनाडु_176
झारखण्ड_176
महाराष्ट्र_176
बिहार_173
केरल_152
प.बंगाल_151
गुजरात_ 147
जिन राज्यों में एक विधायक की कीमत 10 से कम
सिक्किम_7
अरुणाचल प्रदेश_8
मिजोरम_8
नागालैंड_8
* दिल्ली के एक विधायक की कीमत _58
* सबसे अधिक वोट वाले राज्य
यूपी_83,824
महाराष्ट्र_50,400
प. बंगाल_44,304
हमारे देश के संभिधान के अनुच्छेद (ARTICLE-54) में राष्ट्रपति के चुनाव की अप्रत्यक्ष विधि का वर्णन किया गया है।अप्रत्यक्ष विधि के अंतर्गत दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों की एक निर्वाचन समिति के द्वारा राष्ट्रपति का चुनाव किया जाता है।
राष्ट्रपति पद के लिए आवश्यक योग्यताएं क्या होनी चाहिए_
अगर कोई वयक्ति भारत का राष्टपति बनने के इक्छुक है,तो उसमे निम्नलिखित योग्यताएं होना आवश्यक है:_
1 . उम्मीदवार भारत का नागरिक होना चाहिए,
2. उम्मीदवार की आयु 35 वर्ष या उससे अधिक होना चाहिए
3. उम्मीदवार में लोकसभा का सदस्य बनने की योग्यता होना चाहिए;
4. वह कोई लाभ प्राप्त करने की स्थिति न रखता हो,
5. वह लोकसभा का सदस्य न हो।
राष्ट्रपति के चुनाव हेतु बनाई गई निर्वाचन समिति का गठन
राष्ट्रपति के चुनाव के लिए निर्वाचन समिति का गठन निम्न प्रकार से किया जाता है।
1. सांसद के दोनों सदनों के चुने गए सदस्य ,इस समिति के सदस्य होंगे अर्थात चुने गए सभी मेंबर ऑफ़ पार्लियामेंट ,
2. राज्यसभा के लिए चुने गए सदस्य अर्थात सभी MLA ।
भारत के 14वें राष्टपति के चुनाव का ढोल बज चूका है, चुनाव आयोग ने 17 जुलाई को चुनावों की तारीख की घोषणा कर दी है। 17 जुलाई को भारत देश के अगले राष्ट्रपति के लिए मतदान होगा और 20 जुलाई को वोटों की गिनती होगी।
बता दें मौजूदा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का कार्यकाल आने वाली 24 जुलाई को पूरा हो रहा है, ऐसे में नय राष्ट्रपति का चुनाव होना जरुरी है।
चुनाव आयुक्त एके ज्योती और ओपी रावत की मौजूदगी में जैदी ने बताया की राष्ट्रपति पद के निर्वाचन की अधिसूचना आगामी 14 जून को जारी की जायेगी। उन्होंने यह भी बताया की संबिधान के अंनुच्छेद 324 और राष्ट्रपति एवं उपराष्ट्रपति निर्वाचन अधिनियम 1952 के तहत निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत चुनाव आयोग द्वारा राष्ट्रपति के निर्वाचन की अधिसूचना जारी करने के साथ ही निर्वाचन प्रक्रिया की औपचारिक शुरुआत हो जायगी। निर्वाचन कार्यक्रम के तहत राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार द्वारा नामांकन पद दाखिल कारने की अंतिम तिथि 28 जून निर्धारित की गयीं है।
बता दें इस साल जुलाई में होने वाले राष्टपति पद के लिए नए दावों को लेकर भाजपा में चर्चाएं हो रही है। सूत्रों की माने तो वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नाम फिलहाल आगे है। हालांकि इन दो नामों के अलावा भारत की सबसे वरिष्ठ सांसद और मध्यप्रदेश में ताई के नाम से मशहूर सुमित्रा महाजन का भी नाम चर्चा में है। हम बता दें की सुमित्रा महाजन फिलहाल लोकसभा अध्यक्ष है और मध्यप्रदेश की राजनीती में अच्छी खासी पैठ रखती है। सुमित्रा महाजन पिछले 8 बार से मध्यप्रदेश के इंदौर लोकसभा क्षेत्र से जीतती आ रही है। लोग उन्हें प्यार से ताई कहते है। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में उन्होंने चार लाख से ज़्यादा वोटों से जीत हासिल की थी। मीरा कुमार के बाद लोकसभा अध्यक्ष बनने वाली देश की दूसरी महिला है।
हम बता दें झारखण्ड की राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू का नाम भी राष्टपति चुनाव के उम्मीदवार में सामने आया है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सभी प्रबल समर्थक रहे वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी इस दौड़ से बाहर जा रहे है।
कुमारी अलका
Comments
Post a Comment