केवल इनको है अभिव्यक्ति की आज़ादी |
(बकैती)
यह तो आप सबको पता है कि फिलहाल गर्मी के दिनों में मोदी जी का मिजाज काफी गर्म रह रहा है!! और इस गरमाहट का कारण है बेबाक बोलने वाली मीडिया ... बोले तो NDTV !!!
और अगर आपको नहीं पता है कि ये एनडीटीवी और मोदी का मसला क्या है ,तो बता दें कि यह युद्ध "2002" से चला आ रहा है। जिस वक़्त गुजरात में दंगे हुए थे और मोदी और एनएडीटीवी में झड़प।इसके बाद इसके कई पराव आएं ।2016 में मोदी ने एनडीटीवी पर एक दिन का बैन लगाया था।मोदी के तहत एनडीटीवी ने पठानकोट हमले की गोपनीयता रिपोर्टिंग के जरिए ज़ाहिर कर दी थी।ऐसे कई मसले और आएं है। जो मोदी और एनडीटीवी के मसलों का पूरी तरह से दृश्य दिखाते हैं।
2017 के जून के महीने को गरमा -गरम पराव यह है कि आईसीआईसीआई बैंक को कथित तौर पर हानी पहुंचाने के मामले में सोमवार को को प्रणय रॉय के घर और दफ्तर पर सीबीआई ने छापा मारा था।इस पर एनडीटीवी ने एक बयान जारी करके कहा था कि "हम भारत में लोकतंत्र और आजाद आवाज़ को कुचलने के प्रयासों के आगे झुकने वाले नहीं हैं।"
इस मसले पर (9 जून) को ही दिल्ली प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में प्रणय रॉय के साथ साथ कई बड़े पत्रकारों ने एक बैठक की।इस दौरान पत्रकारों ने कहा कि देश में आपातकाल जैसे स्थिति हो गई है और मोदी सरकार मीडिया का मुंह बन्द करने कोशिश कर रही है।
जिसके बाद इस मामले में सोशल मीडिया पर भी बवाल मचा !
एनडीटीवी के प्रणय रॉय ने ट्वीटर पर "द हिंदू " की पूर्व संपादक और सीनियर जर्नलिस्ट मालिनी पार्थसारथी को ब्लॉक कर दिया है। अब ये ब्लॉक करने पर "बोलने की आजादी" चली जाती है तो सर तो घुमेगा ही!!
इसके कारण मालिनी ने ब्लॉक करने की खबर देते हुए,प्रणय रॉय पर कई सवाल दाग दिए। उन्होंने टिप्पणी की है कि "यही आपकी अभिव्यक्ति की आज़ादी है?"
इसके बाद भी मालिनी ने तरा-तर
कई ट्वीट किए। कुछ ट्वीट पर जरा गौर फरमाइए ..
. उन्होंने कहा कि अगर हमारे ग्रुप में किसी मुद्दे पर इस तरह का मनमुटाव है, तो फिर हमारी एकता की विश्वसनीयता कैसे कायम रह सकती है..?
. उन्होंने कहा कि प्रेस की आजादी पर सवाल पूछने वाले चैंपियंस ही फ्री प्रेस की अनुमति नहीं दी रहें हैं।
. साथ उनका कहना है कि जब किसी राजनेता के ठिकानों पर छापा पड़ता है तब सब उसे सही ठहराते हैं लेकिन जब हमारी बिरादरी पर बात आती है तो वह प्रेस पर हमला कहलाता है!!
बात यह नहीं है कि कौन किसके पक्ष में और कौन किसके विपक्ष में बोल रहा है। और कौन सही है और कौन गलत .... बात ये है राजनीति और मीडिया का हमेशा छत्तीस का आंकड़ा रहा है। देखना दिलचस्प होगा कि आखिर ये "अभिव्यक्ति की आज़ादी" कब तक इस ताज़ा खबर से आजाद होती है।
पायल
अगर हमारी ख़बर पसंद आई तो हमारा पेज लाइक कीजिए ,👍👍👍
यह तो आप सबको पता है कि फिलहाल गर्मी के दिनों में मोदी जी का मिजाज काफी गर्म रह रहा है!! और इस गरमाहट का कारण है बेबाक बोलने वाली मीडिया ... बोले तो NDTV !!!
और अगर आपको नहीं पता है कि ये एनडीटीवी और मोदी का मसला क्या है ,तो बता दें कि यह युद्ध "2002" से चला आ रहा है। जिस वक़्त गुजरात में दंगे हुए थे और मोदी और एनएडीटीवी में झड़प।इसके बाद इसके कई पराव आएं ।2016 में मोदी ने एनडीटीवी पर एक दिन का बैन लगाया था।मोदी के तहत एनडीटीवी ने पठानकोट हमले की गोपनीयता रिपोर्टिंग के जरिए ज़ाहिर कर दी थी।ऐसे कई मसले और आएं है। जो मोदी और एनडीटीवी के मसलों का पूरी तरह से दृश्य दिखाते हैं।
2017 के जून के महीने को गरमा -गरम पराव यह है कि आईसीआईसीआई बैंक को कथित तौर पर हानी पहुंचाने के मामले में सोमवार को को प्रणय रॉय के घर और दफ्तर पर सीबीआई ने छापा मारा था।इस पर एनडीटीवी ने एक बयान जारी करके कहा था कि "हम भारत में लोकतंत्र और आजाद आवाज़ को कुचलने के प्रयासों के आगे झुकने वाले नहीं हैं।"
इस मसले पर (9 जून) को ही दिल्ली प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में प्रणय रॉय के साथ साथ कई बड़े पत्रकारों ने एक बैठक की।इस दौरान पत्रकारों ने कहा कि देश में आपातकाल जैसे स्थिति हो गई है और मोदी सरकार मीडिया का मुंह बन्द करने कोशिश कर रही है।
जिसके बाद इस मामले में सोशल मीडिया पर भी बवाल मचा !
एनडीटीवी के प्रणय रॉय ने ट्वीटर पर "द हिंदू " की पूर्व संपादक और सीनियर जर्नलिस्ट मालिनी पार्थसारथी को ब्लॉक कर दिया है। अब ये ब्लॉक करने पर "बोलने की आजादी" चली जाती है तो सर तो घुमेगा ही!!
इसके कारण मालिनी ने ब्लॉक करने की खबर देते हुए,प्रणय रॉय पर कई सवाल दाग दिए। उन्होंने टिप्पणी की है कि "यही आपकी अभिव्यक्ति की आज़ादी है?"
इसके बाद भी मालिनी ने तरा-तर
कई ट्वीट किए। कुछ ट्वीट पर जरा गौर फरमाइए ..
. उन्होंने कहा कि अगर हमारे ग्रुप में किसी मुद्दे पर इस तरह का मनमुटाव है, तो फिर हमारी एकता की विश्वसनीयता कैसे कायम रह सकती है..?
. उन्होंने कहा कि प्रेस की आजादी पर सवाल पूछने वाले चैंपियंस ही फ्री प्रेस की अनुमति नहीं दी रहें हैं।
. साथ उनका कहना है कि जब किसी राजनेता के ठिकानों पर छापा पड़ता है तब सब उसे सही ठहराते हैं लेकिन जब हमारी बिरादरी पर बात आती है तो वह प्रेस पर हमला कहलाता है!!
बात यह नहीं है कि कौन किसके पक्ष में और कौन किसके विपक्ष में बोल रहा है। और कौन सही है और कौन गलत .... बात ये है राजनीति और मीडिया का हमेशा छत्तीस का आंकड़ा रहा है। देखना दिलचस्प होगा कि आखिर ये "अभिव्यक्ति की आज़ादी" कब तक इस ताज़ा खबर से आजाद होती है।
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