अब आप हत्या करने योग्य हो गए हैं।

(विचार अड्डा )



क्या हो रहा है ये कहना ज़रा ज्यादा ही गूढ़ होता जा रहा है। क्या लोग सुन रहें हैं? या फिर बहरे हो गए। अगर बहरे भी हो गए तो दिमाग़ तो चल ही रहा होगा? एक काम करता हुआ दिमाग़ क्यों काम करना बंद कर रहा है? क्या वह ख़ुद सोच रहा है या फिर किसी द्वारा संचलित हो रहा है? कब वह स्व से निकलकर समूह में बदल जा रहा उसे ख़ुद नहीं पता? 
       आप का अविश्वास किसी पर इतनी जल्दी नहीं होता। काफ़ी समय लगता है , धीरे धीरे मन हत्या तक पहुँचता है। गरीबी और हिसा वाली घिसा पीटा सा सिंद्धांत कब का घिस चुका है। भारत के लोग अपने ही लोगों को मार रहें है। वह भी सुधार के नाम पर । यहाँ कोई हिटलर जैसा विशुद्ध वर्ण जैसी बात नहीं है यहाँ तो बात गाय , गोबर , टट्टी की है। लोगों किसी के खाने किसी मल त्याग पर जान लेने के लिए उतावले है। अभी तक पहलू थे फिर अगलु आये और अब ज़फर भी इसी कड़ी में जुड़ गए। बात राजस्थान के प्रतापगढ़ नगरपरिषद की है। एक नेक काम हुआ और निगरानी समिति बनी । यह सुबह लोगों को खुले में शौच करने से रोकती है। फिर किसी का दिमाग़ में सुझा की खुले में महिला की शौच करते हुए तस्वीर के कर उसे शर्मशार किया जाय। किसी को शौच करने से रोकना और शौच करते हुए तस्वीरे लेना दोनों में जमीन आसमान जितना अंतर है। निगारी समिति नगर परिषद के अंदर बनी थी तो जाहिर सी बात है कि लोग कॉमन सेंस नाम की वस्तु से ग्रसित तो होंगें। चलिए मना कि एक सीमा पर यह काम करना बंद कर देता है। लेकिन जो लेकर आया उसका क्या हुआ? जब ज़फर ने विरोध किया तो उसकी जान ले ली। क्या दिमाग़ एक बार भी स्वार्थी नहीं हुआ कि जेल हो जाएगी? 


       कुछ लोगों को बस सरकार पर ही सवाल खड़े करने है। यह तो अच्छे के लिए किया हुआ काम है। सरकार तो बस यह कह रही है कि खुले में शौच मत करो और करने मत दो। उसने यह कभी नहीं कहा कि लोगों की जान लो। अब प्रश्न सरकार से कहीं ज़्यादा लोगों तक पहुँच गया है। मुद्दा आप तक और हम तक पहुँच गया। क्या जान लेना हमने इतना आसान बना दिया है। इन सभी प्रश्नों के बदले में कई प्रश्न के समूह वाले दिमाग़ में सुबह वाली लॉगिन से घुस गया होगा। कन्नूर क्यों नहीं? दार्जीलिंग क्यों नहीं? कश्मीर क्यों नहीं?  इन प्रश्नों के अलावा कोई जवाब नहीं है। 
         जवाब खोजिए और सोचिए। सरकार को मत गरियाइये खुद को एक बार गरियाइये। नहीं तो कल कोई आपका ब्रेडरूम और बाथरूम में घुस कर लाल, नीली ,पीली या हरी चड्डी पहने को कहेगा। वह अकेला नहीं होगा ,एक समूह होगा। तब आप के नंगे हो या चड्डी में कोई फ़र्क नहीं पड़ता। खुद को बचाए।

- रजत अभिनय 




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