तो ऐसे राष्ट्रपति के उम्मीदवार बने राम।

( हस्तिनापुर के बोल  )




 मेरिट घोटाले के मार के बाद अगर फिलहाल कोई बात बिहार में खुश होने लायक है तो वह है कि बिहार के राज्यपाल राम नाथ कोविंद भारत के राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी चुने गए हैं।

बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव 2017 के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अपनी भर्ती जनता पार्टी(बीजेपी) के वरिष्ठतम नेताओं के बैठक की।जिसके बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने घोषणा की कि बिहार के राज्यपाल रामनाथ कोविंद एनडीए की ओर से  राष्ट्रपति पद के प्रत्याशी होंगे। चलिए एक एक कर के  चयन के सारे बिंदुओं पर नजर डालते हैं....

1. यूं तो एनडीए के पास अपनी पार्टी के पसंदीदा प्रत्याशी को जीताने के लिए पर्याप्त बहुमत है,पर एनडीए कहना रहा है कि वो सर्वसम्मत प्रत्याशी को प्राथमिकता देंगे।

2. अधिकतर विपक्षी का कहना है कि वो किसी भी तरह का निर्णय तभी लेंगे,जब किसी के नाम की घोषणा हो।

3.एनडीए के घटक शिवसेना ने विपक्ष का साथ देते हुए कहा है कि वे किसी ऐसे प्रत्याशी का साथ नहीं देंगे,जिन्हें वे जानते तक नहीं।वहीं तेलंगाना मुख्यमंत्री के. चन्द्रशेखर राओ ने कहा है कि उनकी पार्टी तेलंगाना राष्ट्र समिति(टिआरएस)राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए प्रत्याशी रामनाथ कोविंद का समर्थन करेगी।क्योंकि वो दलित नेता हैं,और प्रधानमंत्री ने खुद फोन कर के अनुरोध किया है।

4.वाम मोर्चा ने कहा था कि की एनडीए अगर मंगलवार तक अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं करेगी तो विपक्ष अपने प्रत्याशी की घोषणा कर देगा।माना जा रहा है कि एनडीए के प्रत्याशी की घोषणा हो चुकी है।अब विपक्ष को तय करना है  वे राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव चाहते हैं या फिर एनडीए के प्रत्याशी समर्थन करना चाहते हैं।

5.विपक्ष दल में कांग्रेस,वामदल,तृणमूल कांग्रेस,समाजवादी पार्टी तथा ओडिसा की बीजू जनता दल पार्टी( बीजेडी)है।

रामनाथ कोविंद अगर राष्ट्रपति पद के लिए नामांकित किए गए है तो यह पूरे बिहार के लिए भी गर्व की बात है।रामनाथ कोविंद  जन्म 1 अक्टूबर 1945 को देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में हुआ था।उनके पिता पेशे से किसान थे।पढ़ाई में कोविंद बचपन से ही मेधावी रहे है।स्नातक की परीक्षा के बाद उन्होंने सिविल सर्विसेस की परीक्षा दी।लगातार दो बार विफल रहने के बाद तीसरी बार वो कामयाब रहें।पर उन्होंने वह पद इसीलिए छोड़ दिया क्योंकि मुख्य सेवा की बजाय उनका चयन एलायड से के लिए हुआ था।1977 में जनता पार्टी की सरकार बनने के बाद वो बीजेपी से जुड़े ।कोविंद बीजेपी के पदों पर रहने अलावा हाईकोर्ट में वकालत भी कर चुके हैं।वे सुप्रीम कोर्ट  भी केंद्र सरकार  के वकील रह चुके हैं।इसके अलावा कुष्ट रोगियों के लिए चलने वाली संस्था दिव्य प्रेम सेवा मिशन के वो संरक्षक भी हैं।उनके परिवार में उनकी एक पुत्री और  पुत्र है।     



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