ब्रिटेन के ये लेबर भारत का दिल जीत लिया।
(विदेशी बक बक)
"सिंह इज किंग" गाने को खुद पर सटीक साबित करते हुए भारतीय मूल की "प्रीत कौर गिल" ने और तनमनजीत सिंह ने सिखों को और पूरे भारत को गौरवान्वित किया है।और साथ ही दिखा दिया है "डॉटर ऑफ सरदार"और "सन ऑफ सरदार" किसी से कम नहीं।
तो अब आप सोच रहें होंगे कि भई,ऐसा क्या कर दिया "प्रीत" और "तनमनजीत" ने? तो, हम आपको बता दें कि हाल ही में ब्रिटेन में मध्यावधि चुनाव हुए हैं।जिसमें भारतीय मूल की "प्रीत कौर गिल" बर्मिघम से विजयी रहीं।और विजयी होने के साथ साथ वो चुनाव जीतने वाली पहली सिख महिला बनी !!!! वहीं भारतीय मूल के "तनमनजीत सिंह" धेसी स्लॉ से चुनाव जीत गए हैं। और इसके साथ ही वे ब्रिटेन से चुनाव जीतने वाले पहले सिख सांसद बने हैं।
बता दें ,कि प्रीत ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को 6,917 वोटों से हराया। वहीं तनमनजीत ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी को 17 हजार वोटों से हराया। दोनों ही उम्मीदवार विपक्षी "लेबर" पार्टी से हैं।
चुनाव जीतने के बाद प्रीत ने कहा है कि"मुझे इस बात की खुशी है, कि बर्मिघम के एजबेस्टन सीट से सांसद बनने का मुझे मौका मिला,आखिर मेरा जन्म और मेरी परवरिश यहीं हुई है..."भारतीय मूल के कई उम्मीदवार ने ब्रिटेन के मध्यावधि चुनावों में जीत हासिल की है।
ये तो सोने पर सुहागा जैसी बात हो गई। हालांकि बता दें ,कि ब्रिटेन के मध्यावधी चुनावों में किसी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है।सतारूढ़ "कंजर्वेटिव" पार्टी की नेता और प्रधानमंत्री "टेरिजा मे" ने चुनाव समय से पहले कराने की घोषणा की थी।लेकिन उनका समय से तीन साल पहले चुनाव कराने का फैसला बिल्कुल उल्टा पड़ गया है।पूर्व चुनावों के परिणाम से यह अंदाजा लगाया गया था कि कंजर्वेटिव पार्टी को अच्छी बहुमत मिलेगी मगर परिणाम इससे बिल्कुल विपरीत आएं। बहुमत विपक्षी "लेबर" पार्टी के हित में रहें।
इसी को कहते हैं "आसमान से गिरे और खजूर में अटकें" या फिर "ना खुदा ही मिला ना विशाल सनम .. ना इधर के रहें ,ना उधर के हम...."
हालांकि जो भी इस बात से भारत के लोग भी काफी खुश और गौरवान्वित हैं।हो भी क्यों नहीं ,भारतीय मूल के लोग विदेशों में भी खुद को बेहतरीन तरीके से साबित जो कर रहें हैं।
पायल
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