मुर्दा घर की अंतिम दर्ज़े की नौकरी के पंक्ति में शोधकर्ता।

(  करतूत )




आए दिन अपने घरों में या आस- पड़ोस में आपने लोगों को सरकारी नौकरी के पीछे पागल होते जरूर देखा होगा।इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह इसका स्थाई होना ही है।आइए,देखिए कि सरकारी नौकरी के लिए कैसे-कैसे लोगों ने आवेदन दिए हैं।

खबर है,मलादा मेडिकल कॉलेज की।यहां अस्पताल प्रबंधन की तरफ से ग्रुप डी पद पर मुर्दा घर में नौकरी के लिए आवेदन मांगे गए थे।करीब 350 लोगों ने इसके लिए आवेदन दिया है।इसके पीछे के दो कारण हो सकते हैं।कि या नौकरी की राज्य में इस कदर कमी है कि लोग बस नौकरी की ताक में लगे रहते हैं। या फिर सरकारी नौकरी कैसी भी हो ,होती सरकारी ही है।ऐसा इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि 350 आवेदकों में से दो लोगों ने पीएचडी व एमफिल कर रखा है व 30-40 लोग पोस्ट ग्रेजुएट हैं।जबकि नौकरी के लिए मात्र आठवीं तक की योग्यता मांगी गई थी।इस बात की खबर मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा अध्यक्ष सह उपाध्यक्ष अमित दान ने दी।उन्होंने कहा कि "आंकड़े बताते हैं कि सरकारी नौकरी की कितनी डिमांड है।"

अगस्त में नौकरी के लिए इंटरव्यू लिया जाएगा। अध्यक्ष इसको लेकर काफी कश्मकश में है कि आखिर इन पीएचडी और एमफिल धारकों से क्या काउंसलिंग की जाय।

बात सिर्फ आवेदन देने की नहीं है बल्कि मुर्दा में नौकरी मिलने के बाद करना क्या होगा,ये क्वालिटी एजुकेटेड वाले लोगों को पता ही होगा।इस तरह के आवेदन ही समझाने के लिए काफी है कि नौकरी और शिक्षा की दुर्दशा की राज्यों में किस कदर है!!  


पायल

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