बाल विवाह का दंश झेलने वाली लड़की ने नीट में टॉप किया।

( कर्म )




बाल विवाह जैसी घटनाएं तो इन शहरों में आम बात है। गरीब राज्यों जैसे बिहार, झारखंड, राजस्थान, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, उत्तर प्रदेश , पश्चिम बंगाल और  मध्यप्रदेश। वही केरल, पंजाब, हिमाचल, उत्तरांचल, गोवा और तमिलनाडु में बाल विवाह का प्रचलन होना इस बात का प्रमाण है कि विवाह की न्यूनतम आयु संबंधी कानूनों  का व्यवहार में पालन नहीं हो पा रहा है।
ख़बर राजस्थान से है जहाँ बाल विवाह प्रथा में कितनी लड़कियों ने अपने सपनों को रौंद दिया है।जहां लड़कियां हंसने खेलने और पढ़ने की उम्र होती है वहीं छोटी उम्र में उनकी शादी कर दी जाती है, उनसे उनकी आज़ादी छिन ली जाती है।अपने सपने को छोड़  कर दूसरे के लिए जीना सिखती हैं । उन लड़कियों को हम क्या कह सकते है ... बेवस, बेचारी, लाचारी या मज़बूरी। उनकी पढाई , उनकी ख्वाहिश जो वो पूरा करना चाहती है बाल विवाह जैसी प्रथा के कारण अपनी ख्वाहिशों को अलविदा कह देती हैं।

हालांकि कुछ लड़किया ऐसी होती है जो अपने सपनों से समझौता नहीं  करती बल्कि उसका डट कर सामना करती है। जी हाँ , राजस्थान की एक ऐसी बेटी जो अपने सपनों को पूरा करने की ठानी। ये बाल विवाह की सच्ची कहानी है जो आज हम आपको बताने जा रहें हैं। 8 साल की उम्र में शादी और 10वीं पास करने से पहले ही पति के घर चली गई, लेकिन शादी होने के बाद भी ज़िन्दगी से डरी नहीं। वह अपने ज़िन्दगी से लड़ती रही। हम बता दें जयपुर के करेरी गांव की रहने वाली रूपा यादव की उम्र अब 21 साल हो गई है और उन्होंने मेडिकल टेस्ट पास कर लिया है। रूपा ने इसी वर्ष राजस्थान के मेडिकल कॉलेज में दाखिला लिया और अब वो अपने डॉक्टर बनने का सपना पूरा करने जा रही है। जी हाँ , रूपा की यह कहानी शायद राजस्थान और न जाने कई ऐसे शहरों जहां बाल विवाह के बाद लड़कियां हताश हो जाती हैं, अपने सपनो को चूर चूर कर देती है । उन लड़कियों को रूपा की यह कहानी ज़रूर प्रेरित करेंगी। उन्होंने अपने सपनों की उड़ान भरने की ठान ली हैं और जब आपके अंदर कुछ कर गुजरने का जज्बा हो तो दुनिया की कोई ताकत रोक नहीं सकता। हालांकि उनके ससुराल वालों ने उनका भरपूर साथ दिया।
रूपा 8 साल की उम्र में शंकर लाल से शादी के बंधन में बंध गई थी। उस समय वह कक्षा 7 में पढ़ती थी। 10 वीं की परीक्षा देने के बाद वो अपने पति के घर चली गई। 10 वीं की परीक्षा में उन्हें 84 फीसदी अंक प्राप्त किय। लेकिन उनके ससुराल में कोई स्कूल , कॉलेज न होने के कारण वह आगे की पढाई वहाँ से नहीं कर सकती थी। इसलिए उन्होंने प्राइवेट स्कूल में दाखिला लिया। रूपा हर दिन अपने घर से 6 किमी दूर जाती थी। हालांकि रूपा के ससुराल वालों के अलावा  गांव के लोगों ने भी उनकी सास को कहा कि उन्हें आगे की पढ़ाई  करने दिया जाए। 12 वीं कक्षा की पढ़ाई करने के बाद कॉलेज में दाखिला लिया। बीएससी डिग्री पाने के लिए ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट दिया और 23 हजार रैंक हासिल किया। उन्होंने मेडिकल टेस्ट पास किया और अब डॉक्टर बनने के सफ़र पर चल पड़ी हैं।
रूपा ने बताया  कि ' मै आगे भी पढ़ना चाहती हूँ, कोटा जाना चाहती हूँ, लेकिन पता नहीं ससुराल वाले मानेंगे या नहीं। हालांकि मेरे पति और उनके बड़े भाई ने हामी भर दी है। उन्होंने मुझे इजाज़त दे दिया है। हम बता दें इस वर्ष नीट में रूपा ने 702 में से 603 अंक प्राप्त हासिल की है। ये वाकई काबिले तारीफ़ है।

कुमारी अलका


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