भारतीय रेलवे की कैटरिंग में मिले चूहे और तिलचट्टे!!!!
(मुद्दा)
भारतीय रेलवे दुनिया में चौथा सबसे बड़ा रेल
नेटवर्क है।भारतीय रेल के पास 70,000 से अधिक पैसेंजर कोच है और 11,000 से अधिक इंजन है।2015–16 के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो पता चलता है कि 13,313 पैसेंजर ट्रेन हर दिन लगभग 7,000 स्टेशनों के बीच पटरी पर दौड़ती है,जिनमें लगभग 2 करोड़ 20 लाख लोग आवा–गमन करते हैं।अब जब भारतीय रेलवे के इतने तगड़े आंकड़े हैं तो जहन
में यह बात भी आती है कि इसके भीतरी इंतजाम भी काफी पुख्ता होंगे। खासकर जब
कैटरिंग की बात हो।
और तो और ,सुरेश प्रभु ने रेलमंत्री बनने के बाद से ही
रेलवे की सुविधाओं को दुरुस्त करने के कई वादे किए थे,खासकर कैटरिंग की सुविधाओं को! पर अफसोस शायद वो ऐसा करने में
नाकाम रहें।इस बात का जीता जागता सबूत देती है CAG की हालिया रिपोर्ट ,जिसे जानकर आपके होश उड़ जायेंगे। क्योंकि
भारतीय रेलवे की कैटरिंग व्यवस्था के पूरे तरह से परखच्चे उड़े हुए हैं।
हालिया रिपोर्ट के अन्तर्गत 74 रेलवे स्टेशनों पर 80 ट्रेनों की जांच के बाद यह बात सामने आई है कि
स्टेशन का खाना कई जगह खराब मिला है; सामान आदमी के खाने लायक नहीं है: कहीं–कहीं एक्सपायर्ड सामान भी मिले है;यही नहीं कई जगह खाना बनाने के लिए नल के गंदे पानी का इस्तेमाल
होता है;ना ही खाना बाहर की गन्दगी से ढ़का मिला ना ही
सुरक्षित; कई जगह तिलचट्टे व चूहे मिले हैं।हालांकि यह
रिपोर्ट संसद में पेश की गई है,जिससे
सुरेश प्रभू सवालों के घेरे में आ चुके हैं।
लोगों से बातचीत के दौरान भी स्टेशन के कैटरिंग
की निंदाजनक कमियां बाहर आई है। ना जाने कितने लोग ऐसे खाने से बीमार पड़े होंगे ,या हो
रहे होंगे।कई लोग तो कैटरिंग के खाने से तौबा ही करते हैं।पर ये परेशानी का उपाय
नहीं है। खासी जरूरत है कि भारतीय रेलवे की कैटरिंग व्यवस्था को दुरुस्त किया जाय।
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