दादी बंदूक चलाती भी हैं और चलवाती भी हैं!!
( बकैती )
सीखने की कोई उम्र नहीं होती। अब चाहे वो कुछ भी सीखना हो ,पढ़ाई,कला या फिर बंदूक चलाना।और कोई भी कला जाति,मजहब,शारीरिक बनावट या जेंडर से ऊपर होती है।
इसी बात को शत-प्रतिशत साबित करती है ,उत्तरप्रदेश के बागपत जिले की रहने वाली 82 वर्ष की महिला चन्द्र तोमर। यूं तो इनका असल नाम चंद्र तोमर है, पर इनकी ख्याति "शूटर दादी" या "रिवॉल्वर दादी" के नाम ज़्यादा है।
6 बच्चे और 15 पोते-पोतियों की ये दादी सबको दांतों तले उंगली दबाने पर मजबूर करती हैं।दुनिया की सबसे उम्रदराज शूटर ,इस उम्र में भी बिल्कुल सटीक निशाना लगाती हैं।
इनकी निशानेबाजी की कहानी भी बेहद मजेदार है।दरअसल,हुआ यूं कि चन्द्र तोमर अपनी पोती शेफाली को जोहरी राइफल क्लब में लेकर गईं तो शेफाली उस वक़्त काफी घबराई हुई थी।अपनी पोती का मनोबल बढ़ाने और झिझक दूर करने के लिए दादी ने खुद ही राइफल उठा ली और शूटिंग करने लगीं।जब राइफल क्लब के कोच ने दादी को शूटिंग करते देखा तो वे चकित रह गए।इसके बाद उन्होंने "शूटर दादी" तो ट्रेनिंग दी और आज वक़्त देखिए कि "शूटर दादी" के अन्तर्गत कई लड़कियां शूटर बनने की ट्रेनिंग लेती हैं।
चन्द्र तोमर कहती हैं कि निशानेबाजी से उनकी उम्र का कोई ताल्लुक नहीं है।उनका कहना है कि अगर आप में हिम्मत है उम्र की सीमा तोड़ कर आप जिंदगी कुछ भी कर सकते हैं।
सही भी है ,जब इस उम्र में लोग दूसरों पर निर्भर होते हैं,चन्द्र तोमर दूसरों को शूटिंग सीखा रहीं हैं।जाहिर है कि,उम्र सपनों की रुकावट कभी नहीं बन सकती ।
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