कभी सोचा कि आप कितना पैड इस्तेमाल करते हैं?
( अपनी खिचड़ी )
पर्यावरण की बढ़ती हुई गंदगी के कई कारण हैं।इनमें से एक ऐसा कारण है,जो महिलाओं की जरूरत बना हुआ है।और वह है,वे पैड्स जो पूरी दुनिया की महिलाओं के द्वारा पीरियड्स के दौरान उपयोग किए जाते हैं।औसतन,एक महिला अपने जीवन काल में 150 किलो पैड्स इस्तमाल करतीं हैं।और अगर अंदाज़ा लगाया जाय कि पूरी दुनिया की महिलाएं कितने किलो पैड्स इस्तेमाल करतीं हैं तो यह सोचकर सबसे पहले जहन में आता है कि "पर्यावरण का क्या होगा!!"
प्रियंका जैन ,31 वर्षीय महिला दिल्ली की निवासी हैं।यह महिला यूं कहें तो एक मिशन पर हैं।मिशन है "पैड्स के प्रभाव से पर्यावरण को बचाना !!"
जैन को स्विमिंग का बहुत शौक था।पर अपने पीरियड्स के दौरान वे स्विमिंग को छोड़ना पसंद नहीं करतीं थीं।मगर उनके पास कोई और दूसरा विकल्प भी नहीं था।तब उन्होंने इंटरनेट पर" मेंस्ट्रुल कप्स "के बारे में पढ़ा।उन्होंने इसके बारे में समझा कि ये "वन टाइम इन्वेस्टमेंट" है इन कप्स का दुबारा उपयोग किया जा सकता है।और पर्यावरण के नजरिए से भी यह सुरक्षित हैं।उनका कहना है कि युके में भी यह बात सबको समझाना इतना आसान नहीं था।यह उनका चुनाव था कि उन्होंने मेंस्ट्रुल कप्स उपयोग करने की तरफ रुख किया।
जैन पर्यावरण की रक्षा की तरफ तब सचेत हुई ,जब उन्होंने एक कुत्ते को अपने घर के सामने एक उपयोग किए गए पैड् तो दांतों से फाड़ते देखा।इस घटना के बाद उन्होंने ब्लॉग लिखना शुरू किया।जहां वे पैड्स डिस्पोजल के बारे में बताकर,लोगों से सवाल जवाब किया करती थीं।ज्यादा लोगों के एक तरह के सवाल होते थे। "मेंस्ट्रुल कप्स कैसे उपयोग किया जाय"यह एक सार्वजनिक सवाल था।तब उन्होंने यू ट्यूब चैनल की शुरुआत की।आज उनके चैनल पर इंग्लिश,तमिल,मराठी,तेलगु, कई भाषाओं में इससे जुड़े वीडियो हैं।कई वीडियो पर 80,000 से ज्यादा व्यूज हैं।
इसके जैन ने वर्कशॉप कराना शुरू किया।अपने ब्लॉग के द्वारा वे ऐसे लोगों को अपने साथ जोड़ने लगी ,जो इस मुद्दे पर सहज होकर बात कर सके।2015 में जैन ने दो वर्कशॉप किए।2016 में यह संख्या बढ़कर 8 हुई।इस साल 15 हुई हैं,जहां 20 से 40 पार्टिसिपेंट्स रहें।कुछ ऐसे भी वर्कशॉप्स हुए हैं, जहां पार्टिसिपेंट्स की संख्या 200 तक रही है।
धीरे धीरे जैन कि बात लोगों तक पहुंच रही है।यह मुद्दा गंभीर भी काफी है।जैन ने यह भी कहा कि एक बार उनसे एक बच्ची ने कहा कि "जब उसे पीरियड्स होंगे तो ब्लड का रंग ब्लू होगा।"असल में लोग पीरियड्स के सच को समझते नहीं।एडवरटाइजमेंट में जो दिखता है ,उतना ही सच मानते हैं।इसके बारे में पूर्ण जानकारी होना काफी आवश्यक है।जैन का काम सराहनीय है।
पायल
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