एक चलती फिरती सेक्स मशीन

(विचार अड्डा)

महिला नहीं है वो , एक चलती फिरती सेक्स मशीन। जब चाहे उठा कर चालू  हो जाओ। क्योंकि वह तो पैदा इसलिए हुई है। कब तक हम ऐसे ही गूंगे बहरों की तरफ चिल्लाते रहगें? या फिर वह यूँ हीं वे हिंसा सहने और करने को मज़बूर की जाती रहेंगी।

        हरियाणा में पहले उसकी लाश को जानवर खा रहें और अब उसने बाबा का लिंग काट लिया। आज ही लीजिये। बाबा के पास बाप के लकवे के ईलाज के लिए गई थी और फ़िर हवस ने उसे देख लिया। उसने अपने रक्षा में बाबा का लिंग काट लिया। शर्म तब आती है जब मुख्य मंत्री पी विजयन शाबासी बाँट रहें थे। नहीं चाहिये ऐसी शाबासी, नहीं बनना ऐसा बहादुर। जीने दो ......

        खीज़ जाता है कलम , माना कर देता है मत लिखों ऐसे बहरों और अंधों के लिये। मज़ा तो ख़ूब आता है ऐसा पढ़ कर कि 'लड़की ने बाबा का लिंग काट लिया'।  बस ऐसे ही ख़ुशी ख़ुशी लिंक खोलते । अब आज लिखने का मन नहीं। बाबा और लड़की का पूरा विवरण पढ़ने की बड़ा वाला मन हो रहा तो गूगल कर लो। भरा पढ़ा है कि कब और कितने सालों बाबा चलती फिरती सेक्स मशीन मज़ा ले रहा है। आप  भी लीजिये।


-रजत अभिनय

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