जब नंगे ही हड़ताल पर बैठे रिटायर्ड नेता

(विचार अड्डा - यूँ ही)




रात को बेचारे नेता जी ने एक लकड़ी की पटरी ले कर आए । सामने से शौचालय को ढक दिया। किसी को कहाँ पता था कि कांड हो जायेगा। बड़ा ही हिम्मती चोर था जो झम्मन गुरु का नया नवेला हग्गा(लैट्रिन पॉट) चुरा ले गया। चूँकि झम्मन गुरु जवान और रिटायर्ड राजनेता थे इसलिए लोगों की औकात से वाकिफ़ थे। सुना है कि vrs लेने वाले पहले नेता है। क्योंकि जब तक नेता मर न जाए वह कुर्सी नहीं छोड़ता , भले ही करुणानिधि के भाँति कुर्सी ही चिपक जाए। इस हिम्मत को पूरा गांव दाद देता है। नये नेता है, कुछ सप्रंग 2 के काल में प्रवेश किया था। लोग यह बताते है कि चंपारण से भूख हड़ताल और रालेगण सिद्धि से अनशन का डिप्लोमा लिया। बाकयदा पानी और बिना पानी दोनों का। पहला आंदोलन कुत्तों के लिए किया था। किसी इंसान ने कालाहाण्डी में भूख के वज़ह से कुत्ते के सामने पड़ी रोटी उठा ली। बस यही बात उन्हें नागवार गुजरी। अगले दिन कुत्ता अधिकार मंच का गठन किया और बैठ गए पानी वाले भूख हड़ताल पर। जब तक आदमी ने उल्टी नहीं की और कुत्ते ने उसे खाया नहीं तब तक लड़ते रहे झम्मन गुरु। 

दिल्ली से सेवानिवृत्त होकर गाँव में टेंट हाउस खोला है जो सिर्फ हड़ताल के लिए सामान देती है। साथ रायचन्द की एक बड़ी फ़ौज फ़्री में। जब किसी ने उनका हग्गा चुरा लिया तो वे खेत की ओर निकल दिए। चूँकि गर्मी में अगर आप रात को ही हगने का रणनीतिक फैसला न ले तो सुबह सिर झुकाने के अलावा कोई चारा नहीं। गर्मियों में सारे खेत साफ़ होते हैं और जो हो भी वह ज़मीन से सहवास में लिप्त होते हैं। पुरे साल भर इज्जत बचाने वाला 'अरहर ' इस समय जानलेवा बन चुका होता है।  झम्मन गुरु ने सबसे पहले हड़ताली लौटा निकाला। पुरे गांव में थोड़ी चिंता थी। लौटे को पानी से भरा और सीधे खेत में निकल गए।  कुछ ही दिन पहले अरहर की फ़सल काटी गई थी। चूँकि झम्मन गुरु प्रगतिशील सोच के थे इसलिए वे सिर ऊपर उठा कर ही पेट साफ़ करने का फ़ैसला लिया। उनको सिर नीचे करने में दक्षिणपंथ की बू आती थी। अब जब नेता जी अरहर की खेत में सिर ऊपर कर के बैठे तो उनकी गणित फ़ैल हो गई। वैसे भी वे गणित के अच्छे विद्यार्थी नहीं थे, हालाँकि तिकड़म में उच्च कोटि के थे। अरहर को काटने वाले ने आलस की वज़ह से थोड़ा ऊपर से कटा था इसलिए फसल की अवशेष ने उनके नितंब का चुम्बन कर लिया। मल की जगह रक्त की धारा बहने लगी। तभी नेता जी निर्णय किया के वे अब इसी मुद्रा में अनशन शुरू करंगे। लहूलुहान पिछवाड़ा और विश्व की सबसे अधिक एकाग्रता प्रदान करने वाली मुद्रा में ही अनशन शुरू होगा। तभी  उनके टेंट हाउस से अनशन वाली छावनी और राय चंदो की फ़ौज आ गई। 
     यह बात तो तय थी कि नेता जी अनशन पर है पर किसके खिलाफ। लोगों ने पूछा कि आप चोर को पकड़ने की मांग कर रहे हैं। नेता जी लोगों से असहमत थे। उनका स्पष्ट मानना था कि चोर का हग्गा चुराना एक स्वभाविक क्रिया है। ज़रूर ही उसे बहुत ही आवश्यकता होगी , तभी तो उसने हग्गा चुराया। तब राय चंदो को लगा कि वे उस मज़दूर के खिलाफ बैठे है जिसने अरहर को इस खतरनाक रूप और ऊपर से ही कटा है। परंतु नेता जी गरीबों की लड़ाई को अपने खिलाफ नहीं करना चाहते थे। वे इस बात की नंगी घोषणा की वह खेत मालिक के खिलाफ ही अनशन पर बैठे हैं। झम्मन गुरु ने उसी नग्न अवस्था में बताया कि "यह एक साजिश है उन गरीब मजदूरों के खिलाफ जो अरहर काटते हैं। मालिक जानबूझ कर अरहर की खेती करता है। और तो और सालों से लगतार इसे कुछ यूं ही नुकीला काटने की परंपरा बना दी। इसका एक ही मक़सद है कि इस अवशेष से पिछवाड़ा घायल हो और लोग मजदूरों से बदला लें। लेकिन मैं इस बात को भलीभांति जनता हूँ कि यह मजदूरों और हम जैसों को आपस में लड़ाने की साजिश है। जहाँ तक रही खुले अरहर के खेत में हगने का तो यह मेरी निजी स्वतंत्रता से जुड़ा मामला है। स्वच्छता के नाम पर लोगों को हग्गे पर हगने को मज़बूर करना लोकतंत्र की हत्या है। आख़िर यह तो प्रकृति ने इतना सुन्दर पिछवाड़ा बनाया है तो उसे छुपाये क्यों ?  मैं तो कहता हूँ कि सभी को एक साथ बैठ कर ही नित्यकर्म करना चाहिए। फिर लोगों करें कैसे ? कुछ ऐसे आपस में लड़ाने वाले जो बैठे हैं। 
मैं झम्मन गुरु पुत्र लोट्टन गुरु यह शपथ लेता हूँ कि जब तक मेरे शर्त नहीं मानी जाती तब तक मैं ऐसे ही बैठा रहूँगा।
मेरी शर्ते हैं कि
  1.  अरहर की खेती बंद हो
  2. मजूदरों को इसके बदले मुवाअजा मिले
  3. मेरा खून निकलने के जुर्म में प्राथिमिकी दर्ज़ हो
  4. लोगों को हगने के लिए खेत खाली हो"

इस नंगी नाच की ख़बर जब खेती के मालिक को पहुँचा तो वह अपना पिछवाड़ा ढकने के लिए फटी लगोंट सिल रहा था .......

-रजत अभिनय

( इस लेख का दिल्ली के नेताओं से ही लेनादेना है। किसी को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं हैं । अगर किसी को पहुँच गया तो वह जाने। 
किसी भी प्रकार की क़ानूनी सुनवाई सिर्फ़ cji (अंतरराष्ट्रीय न्यायलय )में होगी। जिसकी औकात है वह जाएं ,हमारी तो नहीं है।)

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