ट्रम्प दौरा - पाक पस्त भारत मस्त!!!!!!!
(विदेशी बक बक)
अपने विवादित बयान और कट्टरवादी विचार को लेकर मशहूर अमेरिका के
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प इन दिनों साउथ एशिया और यूरोप के दौरे पर हैं।
यह उनका पहला दौरा है। इसे संयोग कहिए या कुछ और मुसलमानों को अपना सबसे
दुश्मन मानने वाले ट्रंप का पहला दौरा मुस्लिम देश का ही। अमेरिकी
राष्ट्रपति पद के चुनाव के दरम्यान डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह की बयानबाजी
की थी उससे तो लग रहा था वो मुसलमानों के परशुराम के अवतार होंगे। जो एक
दुश्मन मानने वाले ट्रंप का पहला दौरा मुस्लिम देश का ही। अमेरिकी
राष्ट्रपति पद के चुनाव के दरम्यान डोनाल्ड ट्रंप ने जिस तरह की बयानबाजी
की थी उससे तो लग रहा था वो मुसलमानों के परशुराम के अवतार होंगे। जो एक
तरफ से मुसलमान का संहार कर देगा। लेकिन समय और राजनीति आदमी को सबकुछ
सिखा देता है। कुछ न्यूज चैनल ट्रम्प के इस दौरे को मुसलमानों के प्रति
‘यू-टर्न’ मान रहे हैं। लेकिन वे यह नहीं जानते कि अगर घोड़ा घास से
दोस्ती करेगा तो खायेगा क्या? अमेरिका अपना दाल-रोटी हथियार बेचकर ही
चलता है। इसलिए ट्रम्प के इस दौरे को यू-टर्न कहना शायद गलत होगा। अपने इस
दौरे में साउदी अरब के साथ ट्रंप ने 110 अरब डाॅलर के हथियार का सौदा
किया है। ट्रंप के इस दौरे पर सउदी अरब ने अरब-इस्लामिक यूएस सम्मेलन
किया है। ट्रंप के इस दौरे पर सउदी अरब ने अरब-इस्लामिक यूएस सम्मेलन
आयोजित किया था। इस सम्मेलन में पाकिस्तान सहित दुनिया के 50 मुस्लिम
बहुल देश के नेता शामिल हुए। इस सम्मेलन के संबोधन में ट्रम्प ने अपना
निशाना आतंकवाद और आतंकवादियों को पनाह देनेवाले देश को बनाया। जैसे ही
आतंकवादियों को पनाह देने वाली देश की बात आई तो पाकिस्तान के
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का चेहरा देखने लायक था। उनके चेहरे पर यह डर साफ
दिख रहा था कि कहीं ट्रंप पाकिस्तान का नाम न ले लें। लेकिन ट्रंप शायद
पाकिस्तान का नाम लेना भूल गये होंगे जो नवाज शरीफ के लिए सबसे राहत की
बात रही। हालांकि ट्रंप ने भारत का नाम आतंकवादियों द्वारा सताये गये देश
के रूप में लेकर नवाज शरीफ को एक घाव जरूर दे गये। क्योंकि पूरी दुनिया
जानती है कि भारत को सताने वाले आतंकवाद को पनाह कौन देता है।
प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का चेहरा देखने लायक था। उनके चेहरे पर यह डर साफ
दिख रहा था कि कहीं ट्रंप पाकिस्तान का नाम न ले लें। लेकिन ट्रंप शायद
पाकिस्तान का नाम लेना भूल गये होंगे जो नवाज शरीफ के लिए सबसे राहत की
बात रही। हालांकि ट्रंप ने भारत का नाम आतंकवादियों द्वारा सताये गये देश
के रूप में लेकर नवाज शरीफ को एक घाव जरूर दे गये। क्योंकि पूरी दुनिया
जानती है कि भारत को सताने वाले आतंकवाद को पनाह कौन देता है।
इस सम्मेलन में पाकिस्तान को भारत के प्रति जहर उगलने का एक शानदार मौका
था। नवाज शरीफ किसी भी हालत में इस मौके को चूकना नहीं चाहते थे। इसलिए
उन्होंने ‘जहर उगलने’ की तैयारी में कोई कमी नहीं बरती। लगभग ढाई घंटे तक
उन्होंने सम्मेलन में बोलने के लिए अभ्यास किया। ठीक वैसे ही जैसे
क्रिकेट टीम मैच खेलने से पहले नेट प्रैक्टिस का अभ्यास कर अपना पसीना
बहाती है। लेकिन यहां पाकिस्तान के साथ कुछ अलग ही हो गया। कहीं से
न्यूक्लियर पावर जुगाड़ कर उसपर इतराने वाला पाकिस्तान को इस सम्मेलन में
किसी ने नोटिस ही नहीं किया। बेइज्जती की हद तो तब पार हो गई जब उन्हें
इस सम्मेलन में बोलन तक का मौका नहीं दिया गया। बेचारे ने नेट प्रैक्टिस
पर पसीना तो बहाया लेकिन जब खेलने की बारी आई टूर्नामेंट से ही बाहर कर
दिया गया। उसके बाद रही-सही कसर पूरी कर दी डोनाल्ड ट्रंप ने। उन्होंने
नवाज शरीफ से मिलना तक उचित नहीं समझा। वे नवाज शरीफ को छोड़ लगभग सभी देश
के नेताओं से मिले। इस बात को लेकर पूरा पाकिस्तान विधवा विलाप कर रहा
है। पाकिस्तान के लिए यह बात डूब मरने वाली थी। भारत के खिलाफ अपनी
बेइज्जती झेलने के आदी हो चुके पाकिस्तान को अपने भाई-बंधु (मुस्लिम बहुल
देश) से ये उम्मीद कतई नहीं होगी।
-अश्वनी भैया
मोदी जी ने तो सेना को जूता खिलाने के सिवा तो कुछ किया नही...
ReplyDeleteइसीलिए भक्त लोग ट्रम्प से उम्मीद लागये बैठे है..
कोई फेंकू से पुछे की 56 इंच के सीने मैं तपेदिक की बीमारी तो नही हो गई..।
मोदी जी ने तो सेना को जूता खिलाने के सिवा तो कुछ किया नही...
ReplyDeleteइसीलिए भक्त लोग ट्रम्प से उम्मीद लागये बैठे है..
कोई फेंकू से पुछे की 56 इंच के सीने मैं तपेदिक की बीमारी तो नही हो गई..।