जानिए गौहत्या का इतिहास----

(हस्तिनापुर के बोल)



भारतीय परंपरा में गायें सबसे पवित्र पशु के रूप में जानी जाती हैं। वैदिक काल से ही गायें हिन्दुओ में पूजनीय है। भारत का दुग्ध उत्पादन में पहले पायदान पर रहना भी  भारतीय गायों की देन है ।स्रोतों के अनुसार गायें भारत में अति सम्मानीय हैं न केवल हिंदुओं में बल्कि भारत मे कुछ ऐसे भी धर्मावलम्बी है जो अपना धर्म मानने के साथ साथ गौ सेवा और संरक्षण में भी विश्वास करते हैं ।लेकिन आये दिन गौहत्या की खबरों से ऐसा प्रतीत होता है कि भारत में जल्द से जल्द गौ रक्षा के के लिए कानून बनाने की जरूरत है अन्यथा धर्म वर्चस्वता की लड़ाई में कई निर्दोष और निरीह गायों की हत्या होती रहेगी। जो भविष्य के लिए अच्छा संकेत नहीं है। गौ हत्या की बात करने पर हमारे मन में ये सवाल भी पैदा होता है कि गौ हत्या की शुरुआत कब और कैसे हुई होगी ?कैसे किसी मानव ने एक पशु को काट दिया होगा ?कैसे किसी मानव ने गाय का मांस सेवन किया होगा ?


तो आज चलते हैं गौ हत्या के इतिहास की ओर ।
 
साक्ष्यों के अनुसार भारत में 1707 में रोबर्ट क्लाइव द्वारा गौ कत्लखाना खोला गया था , जिसमें एक दिन में हज़ारों गायें काटी जाती थी । इस गौ हत्या का सीधा संबंध वैदेशिक व्यापार से था । गायों के साथ बर्बरता की शुरुआत तो अंग्रेजों की थी लेकिन उसे आज तक अनुसरण करना कुछ भारतीयों की सबसे बड़ी बेवकूफी है ।

केरल में युवा कांग्रेसियों द्वारा सरेआम गौ हत्या , मानव के  घृणित मानसिकता और कुटिल हृदय को प्रदर्शित करता है ।कांग्रेसियो द्वारा गौहत्या या गौ हत्या को समर्थन या उसके विरोध में आवाज ना उठाना नई बात नहीं है ।इसका प्रमाण नेहरू जी के समय से ही मिलता है । आजादी के 5 साल बाद 1952 में पहली बार संसद में गौ रक्षा के लिए कानून बनाने की बात उठी थी । इसके लिए संसद में प्रस्ताव भी आया लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री के एक बयान ने उस कानून को पास होने से रोक दिया ।उनका कहना था अगर गौ रक्षा कानून पास हो गया तो मैं शाम तक इस्तीफा दे दूंगा । ऐसे में उस समय गौरक्षा कानून पास होने से रह गया । नेहरुजी के अनुसार गौहत्या बन्द होना सही नहीं था ।इससे भारत आने वाली विदेशी मुद्रा बन्द हो जाएगी । पुनः 2003 में गौरक्षा कानून बनाने का प्रस्ताव संसद में अटल जी द्वारा प्रस्तुत किया गया , लेकिन सुबह में पेश किया गया बिल शाम में वापस लेना पड़ गया क्योंकि उस समय NDA की सरकार 2 अन्य पार्टियों के समर्थन से चल रही थी । और वो पार्टियां अटल जी को समर्थन देने को तैयार नहीं थी । ऐसे में दुबारा गौरक्षा बिल पास होने से रह गया । 
गौ रक्षा का बिल तो पास नहीं हुआ लेकिन आये दिन गौ हत्या जैसी बर्बरतापूर्ण खबरें पूरे राजनीतिक वातावरण को झकझोरती रहती हैं। जिस तरह पिछले साल दिल्ली में गौहत्या की ख़बर ने पूरे देश खलबली मचा दी थी उसी तरह फिर इस बार केरल में  गौ हत्या कांड से पूरा राजनीतिक परिदृश्य हिल गया है। 
दरअसल , केरल में हुआ ये की केंद्र सरकार द्वारा अहम फैसला लेते हुए पशु बाजार में बीफ के लिए जानवरों को खरीदने बेचने पर प्रतिबंध का एलान किया गया था । इसी विषय मे केरल में कई जगहों में विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया था । जिसमे यूथ कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा गाय की सार्वजनिक हत्या करते हुए वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है । वीडियो देखने के बाद ये लाजमी है कि जनता और राजनीतिक पार्टियां कांग्रेस पर उंगली उठाये और उसकी राजनीतिक नीति पर सवाल उठाये ।एक तरफ जहां कांग्रेसी गौहत्या की निंदा कर कांग्रेस को गौहत्यारों से अलग बता रहे हैं।वहीं दूसरी ओर अन्य पार्टियां अपने -अपने बयान से कांग्रेस को घेर रही है ।
वो ये है ---- खैर ये देखना रोचक  होगा कि इस केरल कांड के बाद भारत सरकार गौ रक्षा और संरक्षण के लिए  कौन सा कदम उठाती है ।

-मोनाली ठाकुर

Comments

  1. बिलकुल मोनाली जी इस मामले में भारत सरकार को एक बहुत ठोस कानून बनाने का निर्णय लेना चाहिए ।

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