ब्रिटेन के चुनाव में बुर्का बैन का वादा कर रही यह पार्टी.....

(विदेशी बक बक)



यूके में चुनाव त्योहार की तैयारियां जोरो से चल रही है।2017 में 8 जून से होने वाले चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने अपनी कमर कस ली है।अपनी जीत के लिए हर पार्टी जी तोड़ मेहनत मे लगी है।रोज नए -नए वादे नए सपने जनता को दिखा रही है।अब इन में से कितने पुरे होंगे ये तो वक्त बताएगा।हर पार्टी अपने आप को बेहतर बताने- जताने में लगी है।लगे भी क्यों ना जो यूके देश पे राज करता है वो पूरी दुनिया पे राज करता है।पूरी दुनिया की शक्ति उसी के  हाथों में आ जाती है।वैसे यूके में हर पार्टी का नया रंग देखने को मिल रहा है।

यूके की दो पार्टीयाँ लेबरऔर कनजरवेटीव जिनके जितने केपूरे आसार हैं।दोनों पार्टियों ने जीतने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।दोनों पार्टियों की एक ही कोशिश जनता को खुद पे भरोसा दिलाना और यूके की सरकार बनना। वही लिबरल पार्टी ने कहा के वो 'ग्रिन ट्रांसपोर्ट एक्ट' लाएगी जो के डिजल कार को 2025 तक बैन कर देगा।इससे बिजली से चलने वाले कारों की संख्या बढ़गी और 2022 तक इंधन की खपत पूरी तरह खत्म कर देगी।सिर्फ इतना ही नहीं पार्टी ने जनता से कहा के तकनीकी क्षेत्र में बढ़ता सबसे बड़ खतरा हैकिंग से उसकी रक्षा करेगी।वहीं कन्जर्वेटिव पार्टी ने कहा के वो एक मजबूत अर्थव्यवस्था बनाएगी।पार्टी ने तो यहाँ तक कहा के रोजाना आए प्रति व्यक्ति60% 2020 तक बढ़ा देगी।पर अभी अमेरिका में सबसे बड़ा मुददा तो 'बुर्का बैन' चल रहा है।जिसनें पूरी दुनिया में हलचल सी मचा दी है।दक्षिणपंथी यूके इंडिपेंडेंस पार्टी ने आम चुनाव के घोषणा पत्र में वादा किया के.सभी सार्वजनिक स्थानों पर बुर्का पहनने या चेहरे पर किसी भी तरह का पर्दा करने पर पाबंदी होगी।इसकी वजह जो बताई गई है वो कही न कही सही भी है।कारण ये बताया गया है के बर्का महिलाओं को सूर्यकिरणों के जरिए मिलने वाले विटामिन डी को ग्रहण नहीं करने देता। ऐसे कपड़ें जो पहचान छिपाते हैं, संवाद कायम करने में अवरोधन बनते हैं, रोजगार अवसरों को सीमित करते हैं, घरेलू हिंसा के सबूतों को छिपाते हैं, वह आजादी में बाधक होतें हैं और यूके जैसा देश अपनी आजादी और सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं कर सकता।वहीं कुछ पार्टीयाँ विरोध में है तो कोई इसकी सराहना कर रहा है।वहीं यूके की जनता भी बुर्का बैन के समर्थन में है। उनका भी मानना है के बुर्का बैन तो होना ही चाहिए।पर इतना तो तय है के यूके की राजनीति पूरी तरह गरमाई हुई है और चुनावी जीत में ये बुर्का बैन असर तो जरुर डालेगा।

यूके की राजनीति ने महिलाओं पे फिर एक सवाल खड़ा किया है।महिलाएँ आज चाँद तक पहुँच चुकी है।पर आज भी क्यों महिलाओं को पर्दे से निकालने के लिए लड़ना पर रहा है।ऐसा लगता है है मानो सारी लड़ाई लड़ने के बाद भी हम आज भी वहीं खड़े हैं जहाँ से लड़ाई शुरू की थी।वैसे तो महिलाएँ क्या पहनेंगी ये उनकी खुद की पसंद होनी चाहिए पर जो उनकी पहचान छुपाये ,अंधेरे में ले जाए उन्हें इनसे बाहर निकलना होगा अपनी अहमियत जाननी होगी।वैसे अब देखना है कि यह के यूके की राजनीति क्या रंग लाती है। कौन सी पार्टी अपने वादें पूरे करेगी और अपने जीत का झंडा लहराएगी?

रश्मि रानी

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