चूहे पकड़ने वाले आज कल शेर का शिकार कर रहें हैं ...

(दूर दराज़)




हमलोग बचपन से फिल्मों में देखते आ रहे हैं कि हीरो जरूरत पड़ने पर बिना किसी ट्रेनिंग के ही कोई गाड़ी चला लेता है। चाहे वो हवाई जहाज हो या रेलगाड़ी। लेकिन क्या ये वास्तव में संभव है? वास्तव में अगर ऐसा होगा तो इसका परिणाम निश्चिततः अच्छा नही होगा। लेकिन हमारे देश में एक जगह ऐसा भी है जहां ऐसा होता है। चौंकिए नहीं। यहां रोज हजारों लोगों के जान दाव पर दिया जाता है।

 जी हां, मैं बात कर रहा हूँ बिहार की। बिहार भारत का एक ऐसा राज्य जो दुर्भग्यवश अपने अच्छाई से ज्यादा बुराई के लिए जाना जाता है। बिहार में आजकल दर्जनों एक्सप्रेस ट्रेन ऐसे हैं जिसे रोज मालगाड़ी के ड्राइवर चलते हैं और सबसे आश्चर्य की बात ये है कि रेलवे के आलाधिकारी इस बात को जानते हुए नजरअंदाज किए हुए हैं। दैनिक अखबार प्रभात खबर (पटना एडिसन) में छपी रिपोर्ट के अनुसार बिहार में ये धरर्ले से हो रहा है। यहां के दानापुर मंडल में मालगाड़ी के ड्राइवर एक्सप्रेस ट्रेन चला रहे हैं। जबकि ज्ञात हो कि एक्सप्रेस ट्रेन के ड्राइवर और मालगाड़ी के ड्राइवर के ट्रेनिंग में काफी अंतर होता है
इस अंतर को जानने के लिए हमें पहले रेलवे ड्राइवर के चयन प्रक्रिया को जानना होगा।
ऐसे होता है रेलवे ड्राइवर का चयन
रेलवे भर्ती बोर्ड सहायक लोको पायलट के लिए आवेदन फॉर्म निकलता है। उसके बाद लिखित, शारीरिक और मनोविज्ञान टेस्ट में पास अभ्यर्थियों को पहले लोको पायलट बनाते हैं। उसके बाद प्रमोशन के लिए विभागीय स्तर पर संटर ड्राइवर का पद निकलता है जिसकी लिखित व मौखिक परीक्षा पास करने के बाद यार्ड में गाड़ी शंटिंग की ड्यूटी लगाई जाती है।इसी तर्ज पर मालगाड़ी के लिए परीक्षा होती है, फिर पैसेंजर ट्रेन की फिर एक्सप्रेस ट्रेन की। जो मालगाड़ी और पैसेंजर ट्रेन का संचालन सफलतापूर्वक कर लेते हैं उन्हें एक्सप्रेस ट्रेन के लिए चुना जाता है। ये तो हुई चयन प्रक्रिया। इससे आप दोनों ड्राइवर में अंतर खुद भी समझ सकते हैं। फिर भी एक दो बड़ा अंतर मैं आपको बता देता हूँ। जैसे एक्सप्रेस टट्रेन के ड्राइवर को रुट सेक्शन का पूरा ज्ञान होता है जबकि मालगाड़ी के ड्राइवर को मोड़, रेलवे फाटक आदि का ज्ञान नहीं होता है इत्यादि।
जब इस बारे में पता लगाया गया तो पता चला कि एक्सप्रेस के ड्राइवर सेटिंग कर के खुद की पोस्टिंग कंट्रोल रूम में करा कर आराम से मजे लाइट रहे हैं। और इधर प्रतिदिन हजारों लोगों की जान काल के गाल में सामने का डर बना रहता है। इन मालगाड़ी के ड्राइवर को पूरा प्रशिक्षण न मिलने के कारण ये कभी गाड़ी को प्लेटफार्म से पहले रोक देतें हैं तो कभी प्लेटफार्म से आगे। प्लेटफार्म से गाड़ी खुलते समय ये हॉर्न तक नही बज पाते जो काफी खतरनाक हो सकता है। आजकल हम आयेदिनों ये सुनते रहते हैं कि गाड़ी शंट करते समय ट्रैन पटरी से उतर गई । ये इसी का परिणाम है। आज की ही घटना देखिए अर्चना एक्सप्रेस राजेन्द्र नगर में यार्ड शंट करते समय पटरी से उतर गई। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि ट्रेन की गति  काफी तेज थी। वो तो गनीमत है कि बिजली के खंभे नें एक बड़े हादसे से बचा लिया। अगर ट्रैन बिजली के खंभे से नही टकराई होती तो पास के बिल्डिंग से टकराती जिससे बड़ा हादसा हो सकता था।
इस बारे में जब एक अधिकारी से बात की गई तो वे भी हर विभाग के अधिकारी के तरह जांच का भरोसा दिलाया। लेकिन सवाल ये उठता है कि क्या सिर्फ जांच के भरोसे कब तक ये सब चलेगा? क्या रेलवे भी कोई बड़ा हादसा होने का इंतज़ार कर रही है? क्या फिर से भारत में लोगों के आम आदमी के जान की कोई कीमत नही है?

-अश्वनी भैया

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