पहले हग्गे का मग्गा अब पूरा हग्गा!

(दूर दराज़)



तब की और थी जब हल्कू को बैल चोरी होने का डर सताता था, भोलो को चप्पल चोरी का ,कार मालिकों को कार का इस प्रकार और भी।किन्तु अब आपको एक भयानक डर का सामना करना होगा। आपको अगर सुबह अपने घर में सुकून से सुबह गुजारनी हो तो खुद के शौचालय पर पटरे  लगवाने होंगे। बिलासपुर जिलें के यमरपुर गाँव की महिलाओं ने  पहरे हटा लिए, फिर क्या उनको अब रात में  ही प्लानिंग की आवश्यकता होगी। कि अब वो सार्वजनिक शौचालय में सुबह फ्रेश होंगी या पड़ोसी के शौचालय में। हो सकता है कि अब कल से खेत का रुख़ करना पड़े। रेलवे ने शौचालय में छोटी रस्सी से बंधे मग का मसला रस्सी बड़ा कर सुलझा लिया। पर अब उसे प्रत्येक ट्रेन के प्रत्येक डिब्बे में GRP को तैनात करना होगा। वह भी शौचालय के बाहर ताकि वे आने जाने वाले की सघन जाँच कर सके। ऐसा करने से युवाओं के लिए अवसर तो बढ़ेगा पर रेलवे के नजर में शौचालय सुरक्षा का प्रावधान तथा फण्ड अलग से मुहैया करना पड़ेगा। मेरा तो सुझाव है कि एक अलग फोर्स का निर्माण करें।
               भारत सरकार स्वच्छा को लेकर बहुत सारे प्रयास कर रही है  पर यदि शौचालय घोटाला हो गया तब यह चारा घोटाले से भी ज्यादा  घातक होगा क्योंकि चारा तो पशूओं की नींद उड़ा गया पर शौचालय पुरे मानव जाति की ।

 वैसे यह घटाना तो घोटाले की है लेकिन केस दर्ज किया गया है चोरी का।  विलासपुर  में पेंड्रा विकासखण्ड के अमरपुर गांव में दो महिलाओं ने शौचालय के लिए आवेदन किया था। पर एक साल तक कोई भी सूचना नहीं मिली। तब उन्होंने RTI का सहारा लिया। उनको पता चला कि फंड तो पास हो गया पर मिला कुछ भी नहीं। 
       वे गई थाने और दर्ज़ करा दी चोरी की शिकायत।

- सुशील त्रिशूलपुरिया 

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