यह ख़बर बहुत आम है।

(विचार अड्डा)



कहते है , शादी के बाद लड़की को अपना घर मिल जाता है । नए सपनों के साथ ,नया घर ,नए लोग (अपने) ,और नई खुशियां मिल जाती है । पर यह कहावत भी काफी प्रचलित है कि
''हमें अपनों ने लुटा गैरो में कहां दम था ,हमारी कश्ती वहां डूबी जहां पानी कम था ''। अख़बार के पन्ने पलटने के दौरान कुछ शब्दों ने मानो आंखों को पकड़ लिया हो जैसे ,खबर थी ...दहेज के लिए विवाहिता को मार डाला!!!
महज एक बाइक ,सोने की चेन,और एक लाख रुपयों के लिए ससुराल वालों ने 20 वर्षीय विवाहिता को मार डाला और शव को घर में छोड़कर फरार हो गए!!
घटना थनरुआ थाना के रघुनाथपुर गांव ,मसौढ़ी जिले की है। 

हालंकि देखा जाए तो ऐसी खबरें अब आम हो चुकी है ...रोज़ के अख़बार और टेलीविजन की खबरें इस बात की गवाह है!! सवाल यह है कि सरकार के इतने कड़े कानूनों के बाद भी इंसानी सोच पर असर  क्यूं नहीं हो रहा ,बदलाव कहां है!!
अपने घर की बहू तो इस तरह बेदर्दी से मारते वक़्त शायद लोग ये भूल जाते है कि कल को किसी दहलीज पर उनकी बेटी की लाश पड़ी होगी और उस वक़्त उनके पास सिवाय अफसोस के कुछ नहीं रह जाएगा!!!शायद अपनी बहू का गला दबाने से पहले ऐसे लोग अपनी बहू के चेहरे में अपनी बेटी को रोता तड़पता देख ले तो बदलाव उसी जगह से शुरू हो जाएगा!!!!!!



बंद कमरा ,बंद दरवाजे ,तुम मुझे मार रहे हो ...
कहीं जला रहे हो मुझको ,कहीं उजाड़ रहे हो ...
बहू हूं मैं,तो मेरी चीखें तुम्हें सुनाई नहीं देती ..
मेरे मजबूरी ,मेरी तकलीफ तुम्हें दिखाई नहीं देती ...
उस वक़्त तुम्हें एहसास होगा ..तुम्हारी सांसे अटक जाएगी ...
मेरी तरह जिस दिन किसी दहलीज पर तुम्हारी बेटी मारी जाएगी....!!



-पायल

Comments

Post a Comment