अब इस देश की औरतें नाच और गा सकती हैं।

(विदेशी बक बक)



कहते हैं महिला जीवन देने वाली जननी होती है।अगर महिला ना हो तो इस सृष्टि का विनाश निश्चय है। जिस देश में महिलाओं को बराबरी की आजादी नहीं मिलती वो देश कभी भी विकसित नहीं हो सकता क्योंकि पुरुष और महिला विकास के दो पहिए हैं चाहे वो देश की हो या जिन्दगी की।किसी एक के बिना विकास के ये पहिए चल ही नहीं सकते पर ये बात सबको कहाँ समझ आती है।


सऊदी अरब देश वैसे तो आथिर्क रूप में काफी विकसित है पर महिलाओं के नाम पर काफी तुच्छ है।सऊदी अरब में तो महिलाओं को फिल्म देखने तक की आजादी नहीं।यहाँ तक कि कॉफी शॉप जाने की। वहीं भारत जैसे देश में फ़िल्म जगत में महिलाओं ने पुरुषों को पीछे छोड़ दिया जिनका लोहा पुरी दुनिया मानती है।रिमा लागू जो की फिल्मों की माँ मानी जाती हैं।जिन्होंने 'हम आपके हैं कौन' 'हम साथ साथ हैं'  जैसी हिट फिल्में दी। रिमा लागू ने तो अपनी आखिरी सांस तक काम किया। 18 मई 2017 को रिमा लागू की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई। पूरी दुनिया उनकी अभिनय का लोहा मानती है और उनकी जगह फिल्मी जगत में कोई ले भी नहीं सकता। वहीं अब सऊदीअरब जैसे देशों की भी आँखें खुल गई है।सऊदी अरब के डिप्टी. क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने अब ये तय कर लिया है कि महिलाओं को उनका सम्मान उनका अधिकार देने का अब वक्त आ गया है।रुढिवादी से निकल कर आधुनिक सोच से अब सऊदी अरब को जुड़ाना होगा।इसके लिए डिप्टी क्राउन प्रिंस ने एक विजन तैयार किया है जिसे 2030 तक लागू करने की कोशिश है।उनका सपना है कि सऊदी अरब की महिलाओं को लेकर जो छवि है वो बेहतर बने।

हर देश को ये समझना होगा के महिलाएं किसी की जागीर नहीं होती। उसे अपनी जिंदगी अपने तरिके से जीने का पूरा हक़ है।पुरुष हो या फिर कोई देश किसी को कोई हक नहीं बनता कि वो महिलाओं पे अपना हुकुम चलाये। 

कल औरत एक आवाज़ दबा दी जाती थी ,आज औरत एक टंकार है।अब लोग दबा रहे हैं अपने कान ताकि टंकार सुनाई ना दे, कल की औरत की आवाज आज की औरत की टंकार बन चुकी है।

रश्मि रानी

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