कहाँ हो रहा साफ—सफाई में भी तुष्टीकरण!

(विचार अड्डा)


 

देश के प्रधानमंत्री सफाई को लेकर पूरे भारत को एकजुट करने में जुटे हैं। वह हमेशा से यह कहते आ रहे हैं कि साफ—सफाई को लेकर राजनीति या तुष्टीकरण नहीं होनी चाहिए। इस मामले में कोई राजनीति या तुष्टिकरण नहीं होनी चाहिए। लोगों ने उनके इस विचार की खूब सराहना भी की। लेकिन क्या उनके इस आह्वान में खुद उनकी पार्टी साथ दे रही है? अगर मेरी मानें तो बिल्कुल नहीं। अगर आपको मेरी बातों पर विश्वास नहीं हो रहा है तो एक बार अजमेर घूम आईए। आपको मेरी बात पर विश्वास हो जाएगा। राजस्थान में बसा अजमेर किसी परिचय का मुहताज नहीं हैं। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के दरगाह को लेकर यह शहर भारत के प्रमुख पर्यटक स्थलों में गिना जाता है। इतने बड़े पर्यटक स्थल होने के बावजूद भी राजस्थान सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की नाकामी यह शहर पूरी तरह से बयां करता है। जहां एक ओर केंद्र में बीजेपी सबका साथ, सबका विकास की बात करती हैं। 


वहीं राजस्थान की बीजेपी सरकार का इसमें कोइ्र दिलचस्पी नजर नहीं आता है। अजमेर की हालत आज ऐसी है कि यहां लोगों का जीना बेहाल हो गया है। यहां सीवर का पानी सड़क पर बहती है। नालियां खुली है।  मल—मूत्र इसी खुली नालियों में बहती रहती है। बदबू से लोग बेहाल रहते हैं। और राजमाता हैं कि उन्हें इसकी सुध ही नहीं। अगर राजस्थान के अन्य शहरों का मुआयना किया जाय तो उसकी हालत ठीक—ठाक है लेकिन अजमेर की हालत सबसे खराब। राज्य सरकार की अजमेर को लेकर यह रवैया कुछ और ही बयां करती है। क्या अजमेर शरीफ पर इसलिए ध्यान नहीं दिया जा रहा है क्योंकि यह मुस्लिम आबादी वाला शहर है। क्या साफ—सफाई में इस तरह की तुष्टीकरण जायज है। अगर ऐसा है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को दूसरों से आशा रखने के बजाय पहले अपने घर को सुधारना चाहिए। अगर वाकई में प्रधानमंत्री सबका साथ सबका विकास के साथ चलना चाहते हैं तो उन्हें अजमेर के इस हालत के लिए राजस्थान सरकार पर कार्रवाई करनी चाहिए।

-लक्ष्मी शर्मा ( नेता आप)
(Editing-Ashvni Bhaiya)

Comments