क्या आपके घर में कोई गाय है....?
(दूर दराज़)
आज पता नहीं काहे रहीम चचा सुबह से बहुत तमतमाइल थे। कभी अपने बीवी को डांट फटकार रहे थे तो कभी अपने बच्चे को। मैंने जब उनसे गुस्सा का कारण पूछा तो वे बोले "क्या बताएं बेटा पिछला तीन साल से अच्छा दिन का इंतजार कर रहे थे हम और अच्छा दिया आ गया गाय का। एगो मोदी का कम था, जो इ योगी आ गया है। अब तुम ही बताओ क्या किया जाय। पहले सुनते थे कि मुजरिम को पकरने के लिए इस चिप-विप लगाया जाता था। अब इ गाय में चिप!"
अब हम बोले - ‘त क्या हुआ चचा? चचा अच्छा दिन त अच्छा दिन होता है। चाहे उ इंसान खातिर हो या गाय खातिर। केकरो त आया। और इसमें इतना हैरान होने वाला बात कौन है। पहले भी चिप का इस्तेमाल मुजरिम पकड़ने के लिए किया जाता था और अब भी उसका इस्तेमाल उसी के लिए किया जायेगा। खाली चिप्पा (चिप) का जगह बदल कर आदमी से जानवर में कर दिया जायेगा। धीरज रखिए चचा इ जानवरन के बाद हमनी के भी अच्छा दिन आयेगा।’
इतना कहने की देरी थी कि चचा और भड़क गए और बोले- 'आए हो जले पर नमक छिड़कने। तुमको नहीं पता है कि इ जानवरन के अच्छा दिन हमलोगों के लिए कितना बुरा दिन है।’
तब हमने भी तपाक से बोला 'का चचा आप त अइसे घबरा रहे हैं जइसे आप भी जानवरन के...।' इतना कहने की देरी थी कि चचा अपने एक हाथ से दोनों कान बारी-बारी से छूते बोले- ‘लाहौल-ए-बिला-कूबत। का बात कर रहे बेटा। हम त योगी जी के शासन आने के बाद से ही गला फार-फारकर घोषणा कर रहे हैं कि गाय बहुत लाभदायक जानवर है। हमें इसकी हिफाजत करनी चाहिए।'
दरअसल ये सब बातें उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा गायों (व अन्य दुधारू जानवरों) की सुरक्षा के लिए योगी सरकार द्वारा लिये गये अनूठे फैसले पर हो रही थी। हुआ यूं कि उत्तर प्रदेश में गायों की तस्करी व उसपर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए योगी सरकार ने गायों में एक माइक्रोचिप लगाने का फैसला किया है। जी हां वही चिप जो हम अक्सर सीआईडी जैसे सिरियल व फिल्मों में देखते हैं, जिस ऐन वक्त पर मुजरिम के शरीर या उसके किसी सामान में फिट कर दिया जाता है जिससे उसका लोकेशन ट्रैक कर उसे पकड़ा जा सके। सरकारी द्वारा लगायी जा रही इस चिप में एक यूनिक आईडी होगी जिसके जरिए पशुओं की आॅनलाइन निगरानी की जायेगी। यह पहल की जा रही है नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड के द्वारा। बोर्ड के निर्देश पर सभी जिला के मुख्य चिकित्साधिकारी इसे शुरू करंेगे। यह चिप फील्ड परफाॅर्मेंस रिकाॅर्डिंग की तकनीक से लैस होगी जो पशु के मालिक के नाम से लेकर उसकी पूरी वंशावली बता देगी। इसमें आधार कार्ड की तरह एक टैग नंबर होगा जिसपर क्लिक करते ही पशु की प्रजाति, दुग्ध उत्पादन क्षमता, उसकी सेहत की जानकारी कंप्यूटर पर दिख जायेगी। अभी पहले चरण में यह चिप 60 लाख मवेशियों में लगाया जायेगा जिसका जिम्मा पशुचिकित्साधिकारियों, पशुधन प्रसार अधिकारी पैरा मेडिकल स्टाॅफ को दिया गया है। पशु चिकित्साधिकारियों के निर्देशन में पशुधन प्रसार अधिकारी तथा पैरा मेडिकल स्टाॅफ घर-घर जाकर टीकाकरण के साथ चिप लगायेगी। इस चिप के लगते ही मवेशियों के लोकेशन का पता चल जायेगा। और इसके साथ ही अगर कोई इसमें बिहारी बुद्धि लगाने की कोशिश करेगा यानि इस चिप को खराब या मवेशियों को प्रताड़ित करने की कोशिश करेगा तो इसकी जानकारी सीधे पशुपालन विभाग को मिल जायेगा। सरकार का मानना है कि इस चिप के लगाने से गाय की तस्करी में काफी हद तक कमी आयेगी।
चलिए ये तो अच्छी बात है। कम से कम गायों के तो अच्छे दिन आए। लेकिन साथ में उन पशुधन प्रसार अधिकारियों के बुरे दिन भी। जो बेचारे सरकार की तनख्वाह पर आराम फरमाते थे अब उन्हें घर-घर जाकर ये पूछना पड़ेगा कि - क्या आपके घर में कोई गाय है?
-अश्वनी भैया
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