इस हत्या वाली भीड़ में आप भी शामिल हैं

(दूर दराज़)




गज़ब की सुबह थी। छुट्टी पर था और कहीं जाना भी नहीं था। माँ ने बिना चिल्लाये पेटू मल का जीरा बिस्किट और चाय भी पहुँचा दिया। तब टीवी देखना किसी जन्नत से कम नहीं था। झगड़ो और रिमोट विजय प्राप्त करने के लिए बाहुबली की क्षमता चाहिए। इससे बचने का उपाय की सुबह उठ कर दे लो। टीवी खोला , दृश्य भयानक था। एक आदमी बिलकुल नंगा दौड़ रहा था , उसे न्यूज चैनल वाले ने ब्लर कर रखा था। एक आदमी नंगा सड़क पर दौड़ रहा था और उसके पीछे एक बड़ी संख्या में लोग कपड़े में भाग रहे थे। किसी चौराहे पर उस नंगे को कपड़े वाले समाज ने मार डाला। "रपे के आरोपी को पुलिस से छुड़ा कर जनता ने मारा डाला"। कुछ ऐसा ही नीचे वाले पट्टियों पर पूरे चमक और म्यूजिक के साथ लिखा था। पीछे से अर्ध नग्न आदमी बोला कि "बहुत सही किया"। वह भी उसी भीड़ में शामिल था बस कुछ ज़्यादा ही दूर था। 


          उस दिन और आज के दिन में अंतर इतना है कि ख़बर टीवी की जगह स्मार्ट फोन पर आ गया है। और मरने वाला बलात्कारी नहीं अफ़वाह का शिकार है।आईडिया का अपना iin वाला विश्विद्यालय भले ही न चला हो लेकिन व्हाट्स एप्प यूनिवर्सिटी ने ज़रूर शिक्षा के कदम बढ़ा दिया।इस बार ई
विश्वविद्यालय ने दो दिन में 8 लोगों को मौत की मुँह में झोंक दिया।
18 मई की रात बागबेड़ा के नागाडीह गांव में गौतम कुमार वर्मा, विकास कुमार वर्मा और उसके दोस्त गंगेश कुमार को भी भीड़ ने मार डाला। इस भीड़ ने 65 साल की रामचंद्र देवी को भी नहीं बख्शा। उनकी हालत गंभीर है. गौतम और विकास दोनों सगे भाई हैं। उनके तसीरे भाई उत्तम किसी तरह इस खूंखार भीड़ से बचकर भाग निकले। कुछ ऐसा ही कांड हल्दीपोखर गांव  के शेख हलीम, सज्जाद, मोहम्मद नईम और सिराज  के साथ हुआ। ये मरे क्यों ? 
    इसका जवाब इसमें है कि किसी ने अफवाह फैला दी कि ये लोग बच्चा चुराते हैं। ये भी अफ़वाह व्हाट्स एप्प के ग्रुप द्वारा फैलाया गया। मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार  बच्चा चोरी रोकने के लिए कई ग्रुप बनाये गए है। ये सिर्फ़ व्हाट्स एप्प की दुनिया में नहीं हैं। ये वास्तव में भी है।ये टोलियों में काम करते हैं और फ़िर अफ़वाह फैला रहें हैं। ndtv के रिपोर्ट्स के मुताबिक हाल के दिनों में व्हाट्स एप्प की इस दुनिया में 18 लोगों को असली दुनिया से दूर कर दिया। 
  आज मेरे पीछे वह अर्ध नग्न व्यक्ति नहीं हैं अपितु इतना बड़ा समाज है जो कि इस भीड़ में शामिल है। आये दिन लोग ऐसी ऐसी ब्रेकिंग न्यूज़ सुनाने लगे हैं कि इनको सुलझाने के फीचर प्रोग्राम शुरू हो गए। आज लोगों ने सामने वाले व्यक्ति से ज़्यादा व्हाट्स एप्प के उन महापुरुषों पर ज़्यादा भरोसा करने लगा है। यह बात सोचने  वाली है कि हत्या तक का विश्वास पैदा करने में कितना समय लगा होगा। लोग एक सन्देश पर हत्या करने उत्तर जा रहे हैं। आपकी पूरी समझ इस संदेश के ऊपर नहीं उठ पा रही हैं।
   इन मौत के पीछे कौन जिम्मेदार हैं मैं नहीं जानता। लेकिन आपकी नए विश्वविद्यालय ने ग़लत ज्ञान के साथ हत्या भी करने लगी है।

-रजत अभिनय

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