कुछ ऐसे कांड जिन्होंने भारत के सीने से खून निकाले--
(हस्तिनापुर के बोल)
भले ही हम हम कितने भी मॉडर्न होने की बात क्यों ना कर ले, लेकिन एक चीज़ जो हमारे मन में, हमारे ज़ेहन में हमेशा चलती रहेगी..वो है जातिवाद जो सबसे ज्यादा देखा जाता है हमारे देश की राजनीति में। ऐसा लगता है मानो देश को राज्यों के हिसाब से नहीं, बल्कि जातियों के हिसाब से बाँट दिया गया हो। इस जातिवाद ने कई दंगो को भी बढ़ावा दिया है और अब कुछ ऐसे ही दंगो के बारे में बात करेंगे जिसने भारत की एकता और सांप्रदायिक सदभाव को बुरी तरह प्रभावित किया है।
सहारनपुर:
कुछ दिनों से सहारनपुर के जातिय दंगे सुर्ख़ियों में बने हुए हैं और थमने का नाम नही ले रहे।
यह सब शुरू हुआ था 13 अप्रैल, 2017 से जहाँ सहारनपुर के शब्बिरपुर गाँव में डॉ आंबेडकर की मूर्ति लगाने को लेकर दलितों का राजपूतों से विवाद हो गया था। इसपर दलितों का कहना है कि राजपूतों ने मूर्ति नही लगाने दी तो वही जब राजपूतों ने महाराणा प्रताप जयंती पर जुलूस निकाला तो दलितों ने भी अपना बदला लेते हुए उसका विरोध किया।
फिर जब बसपा प्रमुख, मायावती, शब्बिरपुर गाँव जाने वाली थी। उनके वहां कुछ देर पहले ही दोनों पक्षों में संघर्ष हुआ, जिसमे काफी हद तक लोग आक्रोशित ही गए थे। तोड़-फोड़ के साथ-साथ कुछ घरों को भी जला दिया गया। इतना ही नही मायावती के जाने क बाद भी, आक्रोशित हुए लोगों ने वापस जा रहे बसपा समर्थको की गाडी पर टूट पड़े और उसमे बैठे लोगों पर भी हमला किया। इन सब में जहाँ 7 लोग घायल हुए वही बाद में इनमे से एक की मौत हो गई। इस वजह से बसपा के समर्थक के समर्थक भी अस्पताल के सामने विरोध करने लगे। सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए फाॅर्स भी तैनात कर दिए गए। कुछ देर बाद मायावती शब्बिरपुर पहुंची और वहां के लोगो से बात की और सारी बातें जानने के बादक वहां के प्रशासन व पुलिस को खासकर, डीएम व एसएसपी को दोषी ठहराया।
*मुजफ्फरनगर:
वर्ष 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगो को हाल के इतिहास में उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ी हिंसा माना जाता है। 27 अगस्त से 17 सितम्बर,2013 में हुए इन दंगो में इस जिले में हिन्दू और मुस्लिम समुदायों के बीच हुए झडपों में 42 मुस्लिमों और 20 हिन्दुओं सहित तकरीबन 62 मौते हुई, 33 घायल हुए और 50,000 से अधिक विस्थापित हुए। इन दंगो के लिए सपा सरकार पर भी ऊँगली उठाई गई। ऐसे तो दंगो के कई कारण बताए गए लेकिन जस्टिस विष्णु सहाय आयोग ने प्रमुख सचिव गृह आरएम श्रीवास्तव, सीओ जगत रामजोशी, डीएम कौशल राज शर्मा, एसएसपी सुभाष चन्द्र दुबे को दंगो के लिए उत्तरदायी बताया और साथ ही यह भी कहा कि 30 अगस्त को डीएम कौशल राज शर्मा ने कादिर राणा व अन्य व्यक्तियों से ज्ञापन लिया। और इसी कारण हिन्दुओं में आक्रोश व्याप्त हुआ। इस मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार को समाजवादी पार्टी शासित राज्य सरकार को समय-समय पर ध्वनि अलर्ट की सहायता के लिए खुफिया जानकारी प्रदान करने में विफल रहने के लिए भी दोषी ठहराया।
*गुजरात:
गुजरात का गोधरा काण्ड तो सभी को याद होगा जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। वर्ष 2002, 27 फरवरी की तारीख..जब रेलवे स्टेशन पर साबरमती ट्रेन के एस-6 कोच में भीड़ द्वारा आग लगाए जाने के बाद 59 कारसेवकों की मौत हो गई। पहले तो यह कहा गया कि वो आग एक दुर्घटना थी लेकिन बाद में यह बात सामने आई कि यह एक पूर्व नियोजित षड़यंत्र था। उस दिन के बाद तो मानो गुजरात में अशांति सी फैल गई थी। पहले 27 फरवरी को 59 कारसेवक और फिर 28 फरवरी को गुजरात के कई इलाकों के भड़के दंगे में 1200 से भी अधिक लोगों की मौत हो गई। काफी खबरें आई..ये तक कहा गया कि इन सब में अमित शाह और नरेन्द्र मोदी भी शामिल हैं और यह भी सुनने को मिला कि उस समय के गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दंगों के दौरान पुलिस वालों को दंगो में विक्टिम्स की मदद करने से साफ़ मना कर दिया था और इसकी वजह से 1200 बेगुनाहों की जान गई थी। और यह केस कई महीनो तक कोर्ट में चलता रहा था।
*बंगाल:
वर्ष 2016..पश्चिम बंगाल के मालदा, बीरभूम, उत्तर 24 परगना, नदिया, पश्चिम मिदनापुर, खड़गपुर सहित करीब 10 जिले साम्प्रदायिक दंगो में बर्बाद हो गए। और इस दंगे में लगभग 100 से अधिक लोग घायल हुए थे। खबर थी कि यहाँ विवाद की शुरुआत विजयादशमी के दिन आयोजित एक मेले से हुई थी और उसके बाद तो दंगो ने एक भयावह रूप ले लिया था।
इन सब जगहों पर हुए खौफनाक दंगो के बारे में जानने के बाद आपने यह अंदाजा तो लगा ही लिया होगा कि किस कदर लोग जातिवाद के लिए एक-दुसरे की जान के दुश्मन बने बैठे हैं। मैं तो अब बस यही बोल सकती हूँ कि हमारे देश के पढ़े-लिखे लोग खुद को सिर्फ कहने के लिए ही नही, स्टाइलिश कपड़े पहनने और डिजिटलाइजड होने में ही नही बल्कि जातिवाद और भेद-भाव को लेकर अपनी सोंच को भी मॉडर्न और विस्तार करें।
--प्रियंका सिंह
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