येदियुरप्पा की दलित नौंटकी

(हस्तिनापुर के बोल)





दलित हमारें देश का बहुत ही अहम हिस्सा हैं।कहने को तो ये निचली जाति के होते हैं जिन्हें शदियों से सताया जा रहा है।पर गाँधीजी ने इन्हें दलित से हरिजन का नाम दिया था।हरिजन यानी के हरि (विष्णु)के जन(औलाद) गाँधीजी जब तक जिन्दा रहे तब तक दलितों के न्याय और समाज में उनके हक के लिए लड़ते रहे।वही बाबा अमबेडकर ने तो अपनी पूरी जिन्दगी दलितों को समाज में उनका हक़ दिलाने में ही गुजार दिया। ऐसी कितनी ही महान लोगों की जीवन कथा है जो मैं बताने बैठुं तो शायद कभी ख़त्म ही ना हो।

वहीं दलितों को लेकर विवाद में घिरे हैं कर्नाटक राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बीएस येदियुरप्पा। बताया जा रहा है के पिछले एक हफ्ते के दौरान दो बार राज्य के दो अल्ग -अल्ग जगहों पर दलितों के यहाँ खाना तो खाया मगर वो खाना उनके यहाँ नहीं बना था बल्कि पास के होटल से मंगवाया गया था। इस बात के सामने आते ही सत्तारुढ़ कांग्रेस और विपक्षी दल जेडीएस ने इसे दलितों का अपमान ठहराते हुए राजनीति जंग शुरू कर दी। वहीं मधु कुमार दलित जिसके घर येदियुरप्पा गये थे। उनका कहना है के मुझे बहुत खुशी हुई येदियुरप्पा मेरे घर नाश्ता करने आए पर हमने कम लोगों के लिए नाश्ता बनाया था और वो कई सारे आ गये।नाश्ता कम होने के वजह से हमने पास के होटल से खाना मंगवाकर उन्हें दिया था इसे बेवजह राजनीतिक जंग बनाया जा रहा है।अब कौन सच कह रहा है कौन झूठ इस  राजनीतिक जंग में कितनी सच्चाई है ये तो वक्त बतायेगा। पर इतना तो तय है के बेवजह राजनीतिक जंग छिड़ने में वक्त नहीं लगता अगर दामन ना बचाओ तो कीचड़ के छिंटे तो पड़गे ही.


जितना समय येदियुरप्पा के दलित के यहाँ होटल का खाना-खाने के राजनीतिक जंग में बीत रहा है। अगर ये वक्त हमारे देश के नेताओं ने दलितों के विकास में लगाए होते तो शायद आज दलितों को लेकर जो मुदा उठा है ।वो उठता हि नहीं समाज में उन्हें उनका हक़ मिल चुका होता पर ये बात राजनीतिक रोटियाँ सकने वालो को कहाँ समझ में आने वाली है।

कहते रहते नित दिन ये सत्य-अहिंसा की बातें
जनसेवा और परोपकार से ये प्रतिदिन हैं घबराते
इनका तो जीवन का लक्ष्य है यही उसके लिए
जितना भी होना पड़े पथभ्रष्ट भी।
देखो-देखो राजनीति का कैसे खेल निराला....

-रश्मि रानी

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