क्या है बीजेपी का नया मास्टरगेम प्लैन!!!
(हस्तिनापुर के बोल)
इन दिनों राजनीति का माहोल थोड़ा गर्म चल रहा है और कोई भी पार्टी एक भी मौका नहीं खोना चाहती अपनी सेवाओं और सफ़लताओं को दिखाने का,लोगों तक पहुँचाने का..या साफ शब्दों में कहा जाए तो उनके वोट्स पर कब्ज़ा पाने का।
कहा जाता है "अपनी गलतियों से सीखकर आगे बढ़ना ही समझदारी है़", यह कहावत इस बार भाजपा ने बखूबी इस्तेमाल किया है। नमो अब अपना एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रखना चाहते हैं, तभी तो जो बीजेपी अब तक अपनी हिंदूवादी के लिये जानी जाती रही है, इस बार मुसलमानों के सहयोग के साथ राजनैतिक मैदान में उतरेगी।
तीन तलाक के बाद भाजपा ने मुसलमानों का वोट पाने के लिए एक नया स्ट्रॉक खेला है...24 मई को महाराष्ट्र के मालेगांव में होने वाले नगर निगम चुनावों में 84 सीटों में से 45 मुस्लिमों को अपना उम्मीदवार बना लिया है।
दरअसल लगता है कि यूपीे में हुए विधानसभा चुनाव के बाद जहाँ मोदी जी ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को खड़ा नही किया था और जिसकी वजह से नमो और उनकी पार्टी को हार के साथ काफी अव्हेल्नाओं का भी सामना करना पड़ा था,बीजेपी यह समझ चुकी है कि भारत जैसे सेक्युलर देश में उन्हें ना केवल हिंदूओ का बल्कि दुसरे धर्म के लोगों को खासकर मुस्लिम समुदाए के लोगों को भी साथ लेकर चलना होगा।
हालांकि यह आसान नहीं होगा, बीजेपी के अलावा कांग्रेस, शिवसेना और ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी भी इन निकाय चुनावों में हिस्सा लेगी।
कहा जाता है "अपनी गलतियों से सीखकर आगे बढ़ना ही समझदारी है़", यह कहावत इस बार भाजपा ने बखूबी इस्तेमाल किया है। नमो अब अपना एक-एक कदम फूंक-फूंक कर रखना चाहते हैं, तभी तो जो बीजेपी अब तक अपनी हिंदूवादी के लिये जानी जाती रही है, इस बार मुसलमानों के सहयोग के साथ राजनैतिक मैदान में उतरेगी।
तीन तलाक के बाद भाजपा ने मुसलमानों का वोट पाने के लिए एक नया स्ट्रॉक खेला है...24 मई को महाराष्ट्र के मालेगांव में होने वाले नगर निगम चुनावों में 84 सीटों में से 45 मुस्लिमों को अपना उम्मीदवार बना लिया है।
दरअसल लगता है कि यूपीे में हुए विधानसभा चुनाव के बाद जहाँ मोदी जी ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को खड़ा नही किया था और जिसकी वजह से नमो और उनकी पार्टी को हार के साथ काफी अव्हेल्नाओं का भी सामना करना पड़ा था,बीजेपी यह समझ चुकी है कि भारत जैसे सेक्युलर देश में उन्हें ना केवल हिंदूओ का बल्कि दुसरे धर्म के लोगों को खासकर मुस्लिम समुदाए के लोगों को भी साथ लेकर चलना होगा।
हालांकि यह आसान नहीं होगा, बीजेपी के अलावा कांग्रेस, शिवसेना और ओवैसी की एआईएमआईएम पार्टी भी इन निकाय चुनावों में हिस्सा लेगी।
तो यह देखना अब बेहद ही रोचक होने वाला है कि.. "क्या नमो की यह नई रणनीति उनकी पार्टी के लिए फायदेमंद साबित होगी!"
-प्रियंका
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