गांधी जी फ़रार

                  (विचार अड्डा -यूँ ही)



मोदी सरकार की फैसलो की झड़ी में क्या सही क्या गलत ,इसका परिणाम सीधे जनता के हाथों में है।पहले जनता पर लागू हो नियम अगर यह सही दिशा में हो तो तब तो अच्छा है।पर यदि उनका परिणाम गलत हुआ तो बदलाव के बारे में सोचा जाएगा।

 इनके बीच जनता से जुड़ा नाता खस्ता होता जा रहा है।पहले रंग बदलने वाले नोट फिर रिज़र्व बैंक की स्पेलिंग में reserve की जगह resurve वाले नोट फिर चूरन वाले नोट और अब ग़ांधी जी की फोटो के बिना नोट अरे रिज़र्व बैंक वालो! इतना भी चापलूसी ठीक नही है । मोदी ने कांग्रेस खत्म करने की बात कही थी और तुमने नोट से ग़ांधी उड़ा दिया। वैसे मुझे तो लगता है की नोटबन्दी के दौरान पैसो की बेकदरी के कारण ग़ांधी खुद नोट छोड़ कर चले गए ? इस विचार धारा को मीडिया पेश करेगा नए तरीके से जिसमे बताएगा की आतंकवादियो को उल्लू बनाने के लिए जान बूझकर ऐसे नोट छपवाये थे।पर ऐसे फैसले तो बैसाख नंदन के प्रेणाश्रोत का नतीजा होता है।

-कॉर्टून -पूप्पी आज़ाद
लेखक- सुशील त्रिशूलपुरी
(Editing- शिवम.rInKaL)

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