पल्लू के पीछे क्या कर रहें हैं ?
(विचार अड्डा - यूँ हीं)
खुदी को कर के बुलंद इतना
चढ़ा वो जैसे तैसे
खुदा ने बन्दे से पूछा,
अबे अब उतरेगा कैसे?
राजू श्रीवास्तव की यह लाइन अरविन्द केजरीवाल जी पर फिट बैठती है। इतनी मेहनत, इतने घटने के बाद जब वो दिल्ली की गद्दी पर बैठे हैं यह उन्हें कांटें की तरह चुभने लगा है । दीये की लौ जब तेज जलने लगे तब दीया बुझने के कगार पर होता है। धरने पर बैठे हुए एक बार उन्होंने खुद ही कह डाला था की "इस कुर्सी के अंदर कुछ न कुछ समस्या है।जो इस कुर्सी पर बैठता है वो भ्रष्ट हो जाते है।"आंदोलन का विकल्प तो निकला पर आप cm बने ही क्यों ?जब पता था कि आदमी भ्रष्ट हो जाता है।कोई बात नहीं ।मैं समझ गया, साफ दिल था आपका सो आपने बता दिया और हम समझ न सके । आपने साहब जो किया ऊचें दर्जे का किया । खाना भी........।
जो बागी हुए या प्लेट छिनने की कोशिश की उन्हें बाहर का रास्ता दिखया। अब कोसो दूर जब कोई नेता आपकी बात करेगा तब उसे बाहर निकाले जाने का ख़्याल सताएगा। पर अगर वह कपिल मिश्रा जैसा निकला जो उसी थाली का था तो थोड़ा ज़्यादा खाना चाहता है। तब बाहर आने पर कुछ नमक आपके खाने का भी है तो धरना तो करेगा ही। चीजें तो खोलेगा हीं! पर भाभी जी को गुस्सा नहीं करना चाहिए। यह कहने कि क्या जरुरत थी कि देवर जी अब नहीं रहे वह घोटाले में साथ नहीं दे सकतें । अरे मैडम कभी वो, वो थे ।
खैर! वैसे मुझे कोई बड़ा घोटाला नहीं लगता। वहां 900 करोड़ का चारा घोटाला ,2000 करोड़ का कॉमन वेल्थ घोटाला और आप मजाक में सिर्फ़ 65.5करोड़। इतना बड़ा भी नहीं है।पर सारे नेता भाई चाहे बीजेपी कांग्रेस मिलकर इनकी लुटिया डुबोने की कोशिश में है या यह कहें कि जले पर नमक। बन्दा तो नेक था पर सिस्टम ही........।
कुछ भी कहिये मेरा तो भरोसा ही उठ गया। आप ही ने India against corruption campaign चलाया था ,लोगों को जागरूक किया ।अब जब लोग समझने लगे तब आप ही ने ऐसा कर डाला ,खैर अब मैं यही सलाह दूंगा कि
हौसलौ को आजमाना चाहिए
मुसीबतों में मुस्कुराना चाहिए
जब घोटाले खूब कर लो पार्टी में
तब चुप चाप निकल जाना चाहिए
-सुशील त्रिशूलपुरिया (edit by Shilu)
-कॉर्टून- राजेश चौहान
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