56" का सीना और 56" की ब्लाउज
(दूर दराज़)
कश्मीर में लगातार हो रही पत्थरबाजी से आज पूरा देश आहत है।और पिछले दिनों हमारे देश में जिस प्रकार से आतंकी हमला हुआ वह काफी दुर्भाग्यपूर्ण था लोगों ने इस हमले का काफी विरोध किया वो भी अपने अपने तरीके से। सबसे ज्यादा इसका विरोध सोसल मीडिया पर देखने को मिला जहाँ पर लोगों ने प्रधानमंत्री को घेरा। यहाँ लोगों ने सीने से लेकर औक़ात तक माप लिया। इस कीबोर्ड की दुनिया में हजारों लाखों विदेश मामलों के जानकार पैदा हो गए। आखिर इसका विरोध भी जायज़ जो था। नरेंद्र मोदी हमेशा अपने रैलियों में सर्जिकल स्ट्राइक का जिक्र जो करते थे। भारत देश में फ़ेसबुकिया देशभक्तों की कमी कहाँ।
'जब देश को यह पूछना चाहिए कि नक्सलियों ने सेना को क्यों मारा तब तो हम पता कर रहे थे कि बाहुबली ने कटप्पा को क्यों मारा' ऐसे प्राइम टाइम सावल लगातार घूम रहे थे। चलिए छोड़िये क्या हमने इस देश काठेका ले रखा है? वो तो सैनिकों का काम है।
इन सबके बीच कुछ अलग ही विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। एक पूर्व सैनिक की पत्नी ने कारनामा कर दिया । घटना हरियाणा के फतेहाबाद जिले का जहाँ पर पूर्व सैनिक की पत्नी (सुमन) ने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखा और पत्र के साथ एक 56'' की चोली(ब्लाउज) भी दे डाली। वो अपने पत्र और चोली को लेकर जिला सैनिक बोर्ड कार्यालय पहुँची जहाँ पर उन्होंने इसे अधिकारियों को देकर प्रधानमंत्री को भेजने के लिए दिया तो सभी अधिकारी हके बके रह गए। फतेहाबाद जिले के गांव जिसला निवासी धर्मवीर सिंह सेना की जाट रेजीमेंट में बतौर हवलदार तैनात थे।और उन्हें राष्ट्रपति द्वारा सेना मैडल से 1997 और 2003 में सम्मानित किया जा चुका है। वह 11 साल से जम्मू कश्मीर के दुर्गम इलाको में तैनात रहे। पिछले दिनों हुए पत्थर बाजी से ये दम्पत्ति काफी आहत में था ।धर्मवीर और उनकी पत्नी सुमन प्रधानमंत्री के नाम लिखे इस पत्र में सुमन ने कहा कि पिछले कई दिनों से जम्मू-कश्मीर में आतंकियों द्वारा सैनिकों को बेइज्जत किए जाने की घटनाएं हो रही हैं। उन्होंने कहा कि गोलियों से शहीद होते तो कोई डर नहीं लेकिन कश्मीर में सैनिकों के हाथ बंधे हुए हैं। वह सबकुछ कर सकने की स्थिति में होने के बावजूद कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
सुमन ने कहा कि लोगो ने जिस प्रकार से मोदी जी को वोट दिया था उसपर वो खरे नही उतरे आज उस 56''के सिने में दम नही रह गया है ।देश के सैनिको के हाथ खोलने के बजाए बांध दिए जा रहे है ।सैनिको को खुली छूट दी जानी चाहिए ताकि वो दुश्मन के खिलाफ कड़ी कार्यवाही कर सके।अधिकारियों को यह समझ नही आया की वह क्या कार्रवाई करें। इसके बाद जिला सैनिक बोर्ड अधिकारियों ने कई नियमों को खंगाला और तब जाकर महिला का पार्सल स्वीकार किया।
-शिवम.rInKaL
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