भइया हम चौपट बिहारी है|
(विचार अड्डा)
रोज एक नटवरलाल के कारण यहाँ शिक्षा की जग हसाई है।
कैसा है यह राज्य शासन न जाने कैसी यह निभाई है।
फिर भी कहते हम गर्व से भइया हम बिहारी है।।
काफी उम्र बीत चुकी पर नहीं हुई सगाई है।
बाबू जी के आशा की उमीद हमने डुबाई है।
गांव समाज के लोग अब करने लगे बुराई है।
ई बेटा क्या खाक पायेगा सरकारी नौकरी जब सामवेद ही न लगाई है।
सरकारी नौकरी के कारण हमने
अपनी सभी जमीन बिक़वाई है।
पर न जाने एग्जाम में क्यों मुन्ना भाई की झंडा फहराई है।
रिजल्ट के दिन मेरे घर मे मातम,पर चालकों के घर बटी खूब मिठाई है।
आज यह ईमानदारी हुई है बौनी और बईमानों ने अपना परचम लहराई है।
मैंने रात दिन मेहनत किया पर नौकरी अभी तक न पायी है।
फिर भी कहते है हम गर्व से भइया हम बिहारी है।।
दोस्तों, कभी हमारे बिहार का इतिहास अपने शिक्षा व्यवस्था को लेकर अपने लोकप्रियता के शिखर पर विराजमान था।नालंदा का विश्वविद्यालय की ज्ञान के ज्योति से सिर्फ हमारा देश भारत ही नही बल्कि विदेशों को भी ज्योतिमय किया करता था। आर्यभट्ट की जन्मभूमि और गौतम बुद्ध की तपोभूमि को कौन ठुकरा सकता है।यही तो हमारा ग इतिहास है। लेकिन अब लगता है कि हमारे बिहार का स्वर्णिम दिन शुरू हुआ है।दोस्तों हम आज के बिहार को बिहार का स्वर्णिम युग कहते है।कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि अभी हाल में जो घटनाए घट रही है और जिससे बिहार की पहचान पूरे देश मे हुई है उससे तो यही लग रहा है --भाई साहब! हम बात कर रहें हैं यहाँ की शिक्षा पर -वही शिक्षा, जिसपर हमारे पूर्वजों घनिष्ठ निष्ठा थी। आज केवल वो मजाक बन कर रह गयी है।
किसी महापुरुष ने कहा था कि------
यदि किसी समाज को अपंग अपाहिज तथा पशु समान मूर्ख बनाना हो तो सबसे पहले उस समाज से शिक्षा और साहित्य को निकाल फेकना क्योंकि शिक्षा एक ऐसी अदृश्य शक्ति है, जिससे बुरे से बुरे कार्य भी आसानी से किया जा सकता है।एक पाषाण हृदय में भी ज्ञान की दीपक जला सकती है
जिसका सबसे बड़ा उदाहरण है -कलिदास।
लेकिन अपने पूर्वजों के पुण्य प्रताप को अंगूठा दिखाता हमारा बिहार आज अपने ही खून में गुड़गाता चला जा रहा है।आज यह मेरिट से मतलब नहीं बस सेटिंग से नौकरियां पायी जा सकती है। अब रात दिन एक कर के किताबों में अपना सर खपाने की जरूरत नहीं सिर्फ आपको अपनी जेब ढीली करने की जरूरत है। क्योंकि कम से कम यही समय की पुकार है।
बदहाल है भाई ! देश के सबसे प्रतिष्ठित जॉब IAS को सबसे ज्यादा सेवा देने वाले इस धरती पर यह कैसा खेल चल रहा है- जहाँ पैसों के दम पर किसी को बिहार का टॉपर और किसी को मनचाहा नौकरी बाटी जा रही है।मतलब यहाँ किसी भी परीक्षा का कोई भी अर्थ नहीं रहा। चाहे वह बिहार कर्मचारी चयन आयोग हो MIS या नीट -पेपर लीक की ख़बर से आज पूरा अखबार भरा पड़ा है।
अतः हमें सभी बिहारी बन्धुओं से अनुरोध है कि अब समय आ गया है कि हम अपने भगवान बुद्ध, महावीर और गुरु गोविंद सिंह जी के बदले बिहार के नये भगवान--लालकेश्वर परमेश्वर तथा बच्चा लाल को बनाए क्योंकि आज के कठिन परिवेश में अपना बलिदान देकर हम जैसों मासूमों को रोजी रोटी देते हो-वही हमारा भगवान होना चाहिए।
सार्मिला या सिल्लू
रोज एक नटवरलाल के कारण यहाँ शिक्षा की जग हसाई है।
कैसा है यह राज्य शासन न जाने कैसी यह निभाई है।
फिर भी कहते हम गर्व से भइया हम बिहारी है।।
काफी उम्र बीत चुकी पर नहीं हुई सगाई है।
बाबू जी के आशा की उमीद हमने डुबाई है।
गांव समाज के लोग अब करने लगे बुराई है।
ई बेटा क्या खाक पायेगा सरकारी नौकरी जब सामवेद ही न लगाई है।
सरकारी नौकरी के कारण हमने
अपनी सभी जमीन बिक़वाई है।
पर न जाने एग्जाम में क्यों मुन्ना भाई की झंडा फहराई है।
रिजल्ट के दिन मेरे घर मे मातम,पर चालकों के घर बटी खूब मिठाई है।
आज यह ईमानदारी हुई है बौनी और बईमानों ने अपना परचम लहराई है।
मैंने रात दिन मेहनत किया पर नौकरी अभी तक न पायी है।
फिर भी कहते है हम गर्व से भइया हम बिहारी है।।
दोस्तों, कभी हमारे बिहार का इतिहास अपने शिक्षा व्यवस्था को लेकर अपने लोकप्रियता के शिखर पर विराजमान था।नालंदा का विश्वविद्यालय की ज्ञान के ज्योति से सिर्फ हमारा देश भारत ही नही बल्कि विदेशों को भी ज्योतिमय किया करता था। आर्यभट्ट की जन्मभूमि और गौतम बुद्ध की तपोभूमि को कौन ठुकरा सकता है।यही तो हमारा ग इतिहास है। लेकिन अब लगता है कि हमारे बिहार का स्वर्णिम दिन शुरू हुआ है।दोस्तों हम आज के बिहार को बिहार का स्वर्णिम युग कहते है।कोई आपत्ति नहीं है क्योंकि अभी हाल में जो घटनाए घट रही है और जिससे बिहार की पहचान पूरे देश मे हुई है उससे तो यही लग रहा है --भाई साहब! हम बात कर रहें हैं यहाँ की शिक्षा पर -वही शिक्षा, जिसपर हमारे पूर्वजों घनिष्ठ निष्ठा थी। आज केवल वो मजाक बन कर रह गयी है।
किसी महापुरुष ने कहा था कि------
यदि किसी समाज को अपंग अपाहिज तथा पशु समान मूर्ख बनाना हो तो सबसे पहले उस समाज से शिक्षा और साहित्य को निकाल फेकना क्योंकि शिक्षा एक ऐसी अदृश्य शक्ति है, जिससे बुरे से बुरे कार्य भी आसानी से किया जा सकता है।एक पाषाण हृदय में भी ज्ञान की दीपक जला सकती है
जिसका सबसे बड़ा उदाहरण है -कलिदास।
लेकिन अपने पूर्वजों के पुण्य प्रताप को अंगूठा दिखाता हमारा बिहार आज अपने ही खून में गुड़गाता चला जा रहा है।आज यह मेरिट से मतलब नहीं बस सेटिंग से नौकरियां पायी जा सकती है। अब रात दिन एक कर के किताबों में अपना सर खपाने की जरूरत नहीं सिर्फ आपको अपनी जेब ढीली करने की जरूरत है। क्योंकि कम से कम यही समय की पुकार है।
बदहाल है भाई ! देश के सबसे प्रतिष्ठित जॉब IAS को सबसे ज्यादा सेवा देने वाले इस धरती पर यह कैसा खेल चल रहा है- जहाँ पैसों के दम पर किसी को बिहार का टॉपर और किसी को मनचाहा नौकरी बाटी जा रही है।मतलब यहाँ किसी भी परीक्षा का कोई भी अर्थ नहीं रहा। चाहे वह बिहार कर्मचारी चयन आयोग हो MIS या नीट -पेपर लीक की ख़बर से आज पूरा अखबार भरा पड़ा है।
अतः हमें सभी बिहारी बन्धुओं से अनुरोध है कि अब समय आ गया है कि हम अपने भगवान बुद्ध, महावीर और गुरु गोविंद सिंह जी के बदले बिहार के नये भगवान--लालकेश्वर परमेश्वर तथा बच्चा लाल को बनाए क्योंकि आज के कठिन परिवेश में अपना बलिदान देकर हम जैसों मासूमों को रोजी रोटी देते हो-वही हमारा भगवान होना चाहिए।
सार्मिला या सिल्लू
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