प्रत्येक बलात्कर , बलात्कर नहीं होता....
(विचार अड्डा)
भारत में नारी को सीता माना जाता है कहते हैं वो देवी सीता की तरह पवित्र होती हैं पर ये कहावत इस कल्युग में उलटी हो गई है।नारी अब सीता नहीं सुपनखा बन चुकी है।आज की नारी अपने फायदे के लिए किसी भी हद से गुजर जाती है।चाहे इसके लिए उसे अपनी आबरू का खेल ही क्यों ना रचना पड़े।शर्म तो मानो आज की नारी ने बेच ही खाईं है जिसका खामियाजा पुरुषों को भुकतानी पड़ती है।
ये हम नहीं कहते ये आज के समाज की सच्चाई है।भारत में 2013-14 जितनी भी बल्तकार के केस दर्ज करवायें गए उनमें से 53.2% केस झूठी निकली 2,753 आरोपों में से केवल 1,287 आरोप ही सच्चे थे। वही 2016 में 43% बल्तकार के केस झूठें थे जो केवल पुरुषों को फसाने के लिए और उनका इस्तेमाल करने के लिए दर्ज करवाई गई थी। इन आंकड़ो को देखकर आपकी आँखें खुली की खुली रह गई होंगी शायद आपको भरोसा नहीं हो रहा होगा पर यही सच है इस कल्युग की सुपनखा का। बेचारे पुरुषों के पास इनके अत्याचार सहने के अलावा और कोई चारा भी नहीं होता क्योंकि सारे कानून तो महिलाओं के लिए बनाए गए हैं पुरुषों की बात पे ना तो कोई भरोसा करता है ना ही कोई सुनता है।
ऐसा नहीं है के सारी नारियाँ झूठी और बईमान होती हैं। लेकिन नारी देवी और पुरुष हैवान हो ये जरूरी नहीं। देवी के रूप में वो सुपनखा भी हो सकती है।बस आप अपनी आँखें और दिमाग खुली रखिये न जाने कौन सी सुपनखा आपको अपना शिकार बना ले क्योंकि भारत सरकार की कानून आपकी मदद करने से रही।
एक जैसी ही दिखती थी सीता सी वो नारियाँ, कुछ ने दिये जलाये और कुछ ने घर .....
-रश्मि रानी
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