बीजेपी का विधायक जो योगी के खिलाफ धरने पर

(दूर दराज़)




अक्सर ये कहा जाता है कि दुनिया में अच्छे लोगों की कमी होती जा रही है। राजनीति में तो इसका अकाल ही है। वर्तमान राजनीति या राजनेता के बारे में अगर किसी बच्चे से भी पूछा जाय तो उसके मुंह से एक शब्द जरूर निकलता है कि सबके सब साले चोर हैं, भ्रष्ट हैं एक—दूसरे से  मिले हुए हैं, बला—बला—बला (blah, blah, blah)। और हो भी ऐसा क्यों नहीं? इसके जिम्मेवार खुद आज की राजनीति और राजनेताओं का गिरता स्तर है। आजकल सोशल मीडिया पर तो यह ट्रेंड चल गया है कि अगर किसी को नौटंकीबाज, ढकोसलेबाज इत्यादि बोलना हो तो उसे केजरीवाल बोल दो। आजकल ये सब गुण एक ही शब्द में आ जाते हैं। उसी तरह अगर किसी को आप गंदी—गंदी गालियां देना चाहते हैं तो अपना मुंह खराब न करें उसे एक ही शब्द 'नेता' बोल दो। ये सभी गंदे शब्दों का समिश्रण माना जाता है। और हो भी क्यों न। आज के दौर में 90 प्रतिशत से ज्यादा लोग नेतागिरी को पैसा कमाने का सबसे आसान जरिया समझकर इसमें कूद जाते हैं। खासकर बिहार और यूपी वालों का तो ये बपौती धंधा समझा जाता है।
 
लेकिन इन सबसे परे आज भी ऐसे नेता हैं जो ईमानदारी से अपना काम करना जानते हैं।इसके लिए किसी से टकराने का जज्बा रखते हैं। ठहरिए! मैं  आम आदमी पार्टी वाली ईमानदारी की बात नहीं कर रहा हूं। मैं सचमुच की 'ईमानदारी' की बात कर रहा हूं।
बात है उत्तर प्रदेश की। उत्तर प्रदेश के बलिया स्थित बलिया क्षेत्र से इस बार निर्वाचित विधायक हैं सुरेन्द्र सिंह। सुरेन्द्र सिंह पहली बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े और बैरिया से विजयी हुए हैं। अपने क्षेत्र के विकास के लिए उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी टक्कर ले ली। दरअसल सिंह अपने विधान सभा क्षेत्र में हर साल आने वाली बाढ़ को रोकने के लिए बजट आवंटित होने के बावजूद काम शुरू ना किए जाने से खफा हैं। उन्होंने इसके विरोध अपने समर्थकों के साथ दूबेछपरा नामक जगह से टेंगरही तक लगभग सात किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनाकर सांकेतिक विरोध किया। सिंह का कहना है कि उनके विधान सभा क्षेत्र की लगभग 1.50 लाख आबादी हर साल गंगा तथा घाघरा नदी की बाढ़ से परेशान होती है। इससे बचाव के लिए सरकार की तरफ से 29 करोड़ रूपये की कार्ययोजना स्वीकृत तो की गयी है लेकिन भ्रष्ट अफसरों इसे खाने के चक्कर में काम शुरू नहीं करवा रहे हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि इसको लेकर वे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर सिंचाई मंत्री, विभागीय अधिकारियों तथा जिला प्रशासन के उच्च अधिकारियों से कई बार मिले, लेकिन इसका कोई सार्थक परिणाम नहीं निकला। उन्हेें मुख्यमंत्री से काफी उम्मीद थी लेकिन उन्होंने भी इसे नजरअंदाज कर दिया। उन्होंने आगाह भी किया है कि अगर कार्य एक सप्ताह के अंदर शुरू नहीं हुआ तो वे विरोध के  केजरीवाल तरीका यानि 'धरना' व भूख हड़ताल शुरू करेंगे।
श्री सिंह का यह आरोप थोड़ा झटका तो जरूर देता है कि योगी आदित्यनाथ जिस तरह से अभी यूपी के लिए काम कर रहे हैं वैसे में वे इसे नजरअंदाज तो नहीं कर सकते। लेकिन धुंआ उठा है तो आग जरूर लगी होगी। खैर जो भी हो कम से कम यह सुनकर आज अच्छा लगा कि भारतीय राजनीति में अभी भी अच्छे लोग हैं...

-अश्वनी भैया

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