भारत में भी आया गर्भ प्रत्यारोपण
(दूर दराज)
माँ बनना जीवन का सबसे बड़ा सुख होता है।एक औरत पूरीऔरत तब ही बनती है जब वो माँ बनती है।कहते हैं एक औरत का तीन जन्म होता है पहला जब वो किसी के कोख से जन्म लेती है, दूसरा जब वो शादी करके नई दुनिया में जाती है, तीसरा जब वो अपने कोख से किसी और को जन्म देती है।अब माँ बनने का सुख शब्दों में क्या बयां कंरू शायद शदियों बीत जाए तब भी बात पूरी नहीं होगी। लेकिन ये सुख सबको नशीब नहीं होता सबके दामन में खुशियाँ नहीं होती।
कुदरत का करिश्मा सबको नशीब नहीं होता।बहुत सी ऐसी स्त्रीयाँ हैं जिन्हें जन्म से ही गर्भाशय नहीं होता और वो माँ बनने के सुख से वंचित रह जाती हैं।पर इस आधुनिक युग में कुछ भी नामुमकिन नहीं ।आँखों का प्रत्यारोपण, किडनी प्रत्यारोपण तो सुना होगा पर र्गभ का प्रत्यारोपण सुनने में ही अटपटा सा लगता है पर इस आधुनिक युग में ये भी मुमकिन है।दुनिया में पहला गर्भाशय प्रत्यारोपण स्वीडन में सन 2013 में एक 36 वर्षीय महिला में किया गया था।जिसके बाद महिला ने गर्भ धारण किया और बेटे को जन्म दिया था। फिर ऐसे में हमारा देश भारत कैसे पीछे रहता भारत ने भी अपना करिश्मा दिखा ही दिया कोल्हापुर में रहने वाली 21 वर्षीय युवती के शरीर में जन्म से ही र्गभाशय नहीं था पर महाराष्ट्र में डॉक्टरों ने तो इतिहास ही रच दिया।देश में पहली बार गर्भाशय प्रत्यारोपण किया गया और यह आपरेशन सफल भी रहा।लड़की की माँ ने अपना गर्भाशय उसी को दान में दिया जिसनें उसी गर्भ से जन्म लिया था।
कहने को तो ये देश के लिए बहुत गर्व की बात है पर कब तक और कहाँ तक।भारत जैसे देश में कितनी औरतों इस र्गभ प्रत्यारोपण का लाभ उठा पाएंगी माँ बनने का सुख पाएंगी जिन्हें बांझ कह कर समाज से निकाल दिया जाता है। जिस देश में चंद पैसों के लिए औरतों का गर्भाशय ही निकाल दिया जाता है वहाँ ये गर्भाशय प्रत्यारोपण का लाभ कितनों को मिलेगा? आगे मैं अब कुछ नहीं कहना चाहूँगी आप ख़ुद समझदार हैं।
हूँ मैं तेरे बिना अधुरी मेरे लाल
कहते हैं ये दुनिया वाले माँ जो मैं ना तेरी बन पायी
हूँ मैं एक कलंक
आजा मेरी झूली में मेरे लाल तुझे पुकारती तेरी माँ।
रश्मि रानी
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