मुआवजा वो भी 55 साल बाद!!
(दूर दराज़)
जब बात हमारे देश की आती हो, तो कभी-कभी थोड़ा वक्त ज़रूर लगता है, इंतज़ार थोड़ा लम्बा भी हो जाता है, लोगों की उम्मीद भी टूटने लगती है..लेकिन देर से ही सही..अंत में लिया गया फैसला लोगों के हक में, उनके अधिकार को ध्यान में रखकर किया जाता है।
इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है, अरुणाचल प्रदेश में...वर्ष 1962 में जब चीन के साथ सेना की युद्ध हुई थी, तो उसके बाद सेना ने वहाँ ज़मीन ले ली थी लेकिन तब से अब तक इस पर कुछ भी बात-विचार नहीं हुआ था। शायद इस बात को लेकर प्रदेश के लोगों के मन में असंतोष आने लगा था, हालांकि वहां के लोग अवश्य ही अपनी राष्ट्रभक्ति के लिए जाने जाते हैं।
इस बार भी कुछ ऐसा ही हुआ है, अरुणाचल प्रदेश में...वर्ष 1962 में जब चीन के साथ सेना की युद्ध हुई थी, तो उसके बाद सेना ने वहाँ ज़मीन ले ली थी लेकिन तब से अब तक इस पर कुछ भी बात-विचार नहीं हुआ था। शायद इस बात को लेकर प्रदेश के लोगों के मन में असंतोष आने लगा था, हालांकि वहां के लोग अवश्य ही अपनी राष्ट्रभक्ति के लिए जाने जाते हैं।
अब करीबन 55 साल बाद, रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे और गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू, मुख्यमंत्री प्रेमा खांडू और केंद्र तथा राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मुद्दे पर 30 मई को लगभग एक घंटे तक बैठक की और मुआवजे के लिए 3,000 करोड़ तक की राशि देने के लिए सोच रही है। साथ ही भामरे ने सभी लंबित मुद्दों को जल्द से जल्द निपटाने की बात भी कही है।
अब देखते हैं, जिस फैसले को लेने में 55 साल लग गए...उसे पूरा करने में और कितने साल लगेंगे। उम्मीद है कि इस बार अरुणाचल प्रदेश के लोगों को और 55 साल का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।
--प्रियंका सिंह
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