ज्ञान बाबा के पिटारे से बिहार बोर्ड का अजूबा खेल

( विचार अड्डा - यूँ हीँ )



 26 may शुक्रवार की सुबह आदित्य(छोटका) सुबह उठकर नहा धो कर मन्दिर चला गया । जो लड़का पूजा पाठ के नाम से ही दूर भागता था वह अचानक मंदिर कैसे चला गया वह भी सवेरे सवेरे पूछने  पर पता चला की आज jee mains का रिज़ल्ट आने वाला है, इसीलिए साहब भगवान के दरबार में पहुँचे हैं । ११ बजे सुबह रिज़ल्ट भी आ गया और छोटका का AIR 6404 आया है । वहीं दूसरी ओर बग़ल वाले मिश्रा जी के लड़के १० लखपति बन गए हैं । बेचारे बाप बेटे दोनो ना तो घर से निकल रहे हैं ना ही किसी का फ़ोन उठा रहे हैं कहीं कोई रिज़ल्ट के बारे में पूछ  ना ले । इसी तरह कुछ दिन गुज़र गए और ३० may को दोपहर १२:३० बजे बिहार बोर्ड (B.S.E.B) १२वीं का परिणाम आया । जहाँ छोटका को ७०% से ऊपर आने की उम्मीद थी वहीं मिश्रा जी का लड़का यह प्रार्थना कर रहा था की बस किसी तरीक़े से पास कर जाए । पर ये क्या , आदित्य कुमार (छोटका) को तो physics में 0 और chemistry में 1 आए थे, वहीं मिश्रा जी के लड़के को पुरे ६८% अंक आए थे । जिस आदित्य कुमार को विश्व के कठिन परीक्षाओं में phy में ६० और chem में ७० नम्बर आए थे वहीं सामान्य बोर्ड की परीक्षा मे सिर्फ़ 0 और 1 आए हैं । वहीं मिश्रा जी के लड़के ने जहाँ सिर्फ़ ५० नम्बर लिखा उसे ६० मिल गए ।यह तो सिर्फ़ बिहार बोर्ड की ही लीला है । अब मिश्रा जी की बारी थी ताल ठोकने की और छोटका के पिताजी उमेश बाबू को कुछ समझ ही नहीं आ रहा था की क्या करें ? अगले दिन गणेश कुमार का tv पर इंटरभीऊ चल रहा था और मिश्रा जी भगवान शुक्रिया कर रहे थे की उनका लड़का top नहीं किया नहीं तो "खाया पिया कुछ नही और गिलास तोड़ा बारह आना " वाली स्थिति हो जाती ।


जैसा की हमने देखा की मेधा से ज़्यादा क़िस्मत का खेल है हमारा बिहार बोर्ड । जहाँ जिसकी मेधा पर नहीं बल्कि क़िस्मत और जुगाड़ पर फल दिया जाता है । यहाँ भगवान कृष्ण की वाणी "कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते सङ्गोऽस्त्वकर्मणि ॥" बिलकुल ही निरर्थक साबित हुई । कल ही १२ जून को मानव संसाधन विकास मंत्री श्री प्रकाश जावड़ेकर जी ने एक संयुक्त आयोग की गठन की बात की जो C.B.S.E स्कूलों की फ़ीस, पढ़ाई और परिणाम सम्बंधी समस्याओं की समीक्षा करेगा परंतु इन विभिन्न राज्य बोर्ड की समीक्षा कौन करेगा जहाँ विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों के ग़रीब छात्र पढ़ते हैं, जो आज शिक्षा माफ़ियाओं के पैसे कमाने और राजनीति करने का अड्डा बन गया है । हम सभी को इसपर विचार करना होगा और सरकार को जल्द इसपर फ़ैसला लेना होगा नहीं तो ना जाने कितने आदित्य इस कुंठित व्यवस्था के चलते अपना जीवन बर्बाद होते देखते रहेंगे । 

-ज्ञान वर्धन 
(बिरला प्रौद्योगिकी संस्थान के छात्र हैं और इनके पास ज्ञान का पिटारा है।)

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