कोविंद तो बन गए राष्ट्रपति।

(हस्तिनापुर के बोल)



जैसा की हम सब जानते है, राष्ट्रपति का चुनाव होने वाला है और ऐसे में सियासी दावपेंच तेज हो गए है।सारी पार्टियां गहमागहमी में है। खबर है कि राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद के खिलाफ विपक्ष संयुक्त उम्मीदवार उतार सकता है। सूत्रो कि माने तो पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे , भारिपा बहुजन महासंघ के नेता और डॉ.बी आर अंबेडकर के पौत्र प्रकाश यशवंत अंबेडकर , राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र और सेवानिवृत्त नौकरशाह गोपालकृष्ण गांधी और भी कुछ अन्य नामों पर विपक्षी पार्टिया विचार कर रही है।
सूत्रो ने बताया की बीजेपी का सत्तारूढ़ पार्टी और आरएसएस से जुड़े नेता 71 वर्षीय कोविंद को प्रत्याशी बनाने के फैसले से विपक्षी दलों को आश्चर्य नहीं हुआ है। हालांकि उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए है क्योंकि बीजेपी पहली बार चुनाव जीतने के काफ़ी करीब है और वह इस अवसर को नहीं जाने देगी।
एक सूत्र ने बताया 'हम चुनाव लड़ेंगे और हम महसूस करते है कि एक संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार होना चाहिए, चूंकि बीजेपी ने एक दलित को शामिल किया है। इसलिए विपक्षी पार्टिया उसी तर्ज पर अपने आम सहमति के उम्मीदवार को अंतिम रूप दे सकती है।



गौरतलब है कि रामनाथ कोविंद के नाम को घोषणा से पहले विपक्षी पार्टिया ने किसी आदिवासी को अपना उम्मीदवार बनाने  के बारे में सोचा था। सूत्रों के अनूसार राजग झारखण्ड की राज्यपाल और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बना सकता है। वाम  दलों में सूत्रो ने सोमवार की रात यह बात कही है कि गैर- एनडीए दलों ने 22 जून को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बैठक की उम्मीद जताई है।
हालांकि राष्टपति का चुनाव करने वाले इलेक्टोरल कॉलेज के आंकडों पर गौर करें, तो बीजेपी के नेतृत्व में केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय  जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पास अपनी पसंद के प्रत्याशी को जिताने लायक बहुमत है, लेकिन एनडीए का कहना है कि वे सर्वसम्मात प्रत्याशी को प्राथमिकता देंगे।
भारतीय गणराज्य के 14वे राष्ट्रपति के रूप में केंद्र में सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) बिहार के मौजूदा राज्यपाल रामनाथ कोविंद को देखना चाहता है और गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में उनके नाम की घोषणा भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की एक बैठक की, जिसमे हमारे भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल थे। दलित नेता रामनाथ कोविंद एक किसान परिवार से ताल्लुक रखते है और राजनैतिक दुनिया में प्रवेश करने  से पहले लंबे अरसे तक वकील के रूप में भी सक्रिय रहे है। हालांकि प्रधानमंत्री ने माइक्रो- ब्लॉगिंग वेबसाइट ट्विटर पर रामनाथ कोविंद का परिचय देते हुए एक पोस्ट भी किया... और उन्होंने लिखा, 'श्री रामनाथ कोविंद एक किसान के पुत्र, साधारण पृष्टभूमि से आते है... उन्होंने अपना जीवन समाजसेवा के लिए समर्पित कर दिया तथा गरीब तबके लोगों के कल्याण के लिए काम भी किया।'

अगर बात करें बिहार राज्य की तो रामनाथ कोविंद के रिश्ते बिहार के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव से भी अच्छे रहें है तथा गवर्नर के रूप में भी उनका व्यवहार कभी पक्षपातपूर्ण नहीं रहा है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के धुर- बिरोधी होने के वाबजूद बिहार के मुख्यमंत्री ने कोविंद को समर्थन दे दिया क्योंकि न सिर्फ कोविंद साफ़ सुथरी छवि नेता है, बल्कि दलित भी है, ऐसे में पिछड़ो के उत्थान  की राजनीति करने वाले नीतीश और लालू के लिए (NDA) ने संकट पैदा कर दिया है। यही स्तिथि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) मुलायम सिंह यादव और बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) प्रमुख मायावती की होगी, क्योंकि ये दोनों भी दलितों और पिछड़ो की ही राजनीती करते रहे है।
हम बता दें उम्मीद की जा रही है कि नामांकन 23 जून को दाखिल किया जाएगा और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी स्वंम भी उस समय उपस्थित रहने की सम्भावना है। गौरतलब है कि उसके अगले दिन ही उन्हें अमेरिका यात्रा पर रवाना होना है।

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