क्या चेतन भगत के पास अब विचारों की कमी हो गई है?
( विचार अड्डा )
जब हम बात नोवेल्स की करते है तो वही पुराने पारंपरिक शेक्सपियर की कहानियां दिमाग में आती है जो शायद आधी समझ में आती थीऔर आधी नहीं| इन पारंपरिक लेखन को परिवर्तन कर और कहानियों को सरल भाषा में कर लोगों तक पहुँचा कर नोवेल्स की पारंपरिक परिभाषा बदलने का कार्य करती हैं चेतन भगत की नोवेल्स। उनके न जाने ही कितने प्रशंशक होंगे। चेतन भगत अक्सर ही सुर्ख़ियो में छाये रहते है। कभी अपनी कहानियों की वजह से और कभी अपने बयानों की वजह से। उन्होंने तो मीडिया से जैसे समझौता ही कर रखा है की भैया! महीने में एक बार मुझे भी दिखा ही दीजिएगा। हाल ही में वो सुर्ख़ियों में बने रहे अपने पुस्तक हाफ गर्लफ्रेंड की वजह से। इसके ऊपर फ़िल्म भी बनी है। हाल ही में वैसे तो जब यह पुस्तक आई उनकी बाकी पुस्तकों की तरह यह भी अपने नाम के कारण काफी चर्चा का विषय बनी। परंतु बात वही "हाथी के दांत खाने को कुछ और,दिखाने को कुछ और"। बस उनके पुरानी पुस्तकों की तरह इसमें भी नायक माधव को रिया नामक नायिका से पहली नज़र में प्रेम हो जाता है। फिर शुरू होता है मिलना,बिछड़ना, रूठना-मनाना। कहानी में रिया के घरेलु रिश्तों में खटास के कारण वह प्यार और शादी से भागती रहती है और सबसे बड़ा कारण बनता है उनका सामाजिक जीवन। एक तरफ जहा हाई सोसाइटी की अमीर लड़की थी वहींमाधव बिहार से आया हुआ एक हिंदी बोलने वाला लड़का। इन दोनों को कॉलेज में स्पोर्ट्स कोटा के ज़रिये दाखिला मिलता है। और पूरी कहानी उनकी पूरी ज़िन्दगी भर एक दूसरे के पीछे भागने के ऊपर है, जैसा की अक्सर ही उनके हर कहानी में होता है।हमेशा की तरह अंत में पता चलता है की हेरोइन को बीमारी थी और इसलिए वो हीरो से भाग रही थी। अंत में वो दोनों मिल जाते है और हो गई हैप्पी एंडिंग।
कहने को एक रोमांटिक नावेल के लिए यह एकदम उत्तम है परंतु शायद चेतन भगत भूलते जा रहे है की जनता हमेशा कुछ नया चाहती है और उम्मीद करती है की आपकी कहानियो में वो कुछ अलग होगा- 'नाम के अलावा भी'। बार बार उसी प्रेमकहानी में थोडा बहुत हेर-फेर कर देने से जनता भी ऊब ही जाएगी। अभी कुछ दिनों पहले ही एक और पुस्तक आई जिसका नाम था "वन इंडियन गर्ल"। कहने को ये भी है एकदम रोचक कहानी। परंतु जब नावेल को पढ़ना शुरू किआ जाए तो एक से दूसरे पल का अंदाजा लगाया जा सकता है। कहानी पूरी तरह पूर्वानुमेय है। इस कहानी में राधिका नामक लड़की होती है जो बुद्धिमान तो होती है पर ख़ूबसूरत नहीं और वो हमेशा इस बात को लेकर दु:खी रहती थी। इस बात से यह अंदाजा लगाया जा सकता है की वह आगे चलकर कामयाब होगी परंतु प्यार के तलाश में रहेगी और यही होता भी है।और अंत में हप्पी एंडिंग होती है उसको सच्चा प्यार होकर। शायद अब चेतन भगत को ज़रा यह सोचकर नोवेल्स लिखनी चाहिए की नोवेल्स जनता पढ़ती है और उनको हर बार बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता। खैर जो भी है उनकी नावेल ने न जाने कितने लोगों के अंदर पढ़ने की आदत को बढ़ावा दिया है। आशा करते है चेतन भगत हमें निराश न करके भविष्य में कुछ नया पढ़ने का मौका देंगे जो कम से कम पूर्वानुमेय न हो।
- JuSt खुसबू
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