द ग्रेट शो मैन |
(भूले बिसरे )
हमने बचपन ही यह कहावत सुनी है .."होनहार वीरवान के होते चिकने पात "दोस्तों जिसने भी यह कहावत कही है वह सचमुच दिव्यज्ञाता होगाक्युंकी आज मैं जिनके बारे में बताने जा रहा हूं उनके बारे में जानकर आप भी कहेंगे सचमुच यह कहावत इनके चरितार्थ पर उचित बैठती है।
दोस्तों मै बात कर रहा हूं ऐसे शख्स की जिनके योगदान को बॉलीवुड नहीं भूल सकता । ये वो नींव है जिनके आधार पर आज हिंदी सिनेमा जगत फलफूल रहा है इन्होंने अपने वजूद को तलाशते हुए सिर्फ फिल्मों में बतौर नायक हुए बल्कि अपनी बहुमुखी प्रतिभा के बदौलत फिल्मों को निर्माण भी किया और निर्देशक भी बने ।उनके बैनर ने 60 और 70 के दशक की बेहतरीन फिल्में दी आज हिंदी सिनेमा में मील का पत्थर साबित हो रहीं है । भाई साहब अगर आप फिल्मों के शौकीन है तो आप समझ गए होंगे कि मैं किस शो मैन कि बात कर रहा हूं ,और अगर नहीं समझ सके तो निराश होने की कोई जरूरत नहीं। मैं यह लेख आपकी जानकारी के लिए लिख रहा हूं ।आज मैं आपको राज कपूर साहब के बारे में कुछ रोचक और अनुभवी बाते बताऊंगा ।1. जन्म और कैरियर
राज कपूर का जन्म पेशावर जिले जो कि अब पाकिस्तान में है सन 14 दिसंबर 1924 ई० को हुआ ।इनके पिता पृथ्वीराज कपूर ने इनका नाम रणधीर राज कपूर जो आगे चलकर राज कपूर के नाम से प्रसिद्ध हुए ।इनका परिवार भारत विभाजन बाद पंजाब और पंजाब के बाद फिर कलकत्ते में जाकर बसा।इनके पिता तब तक मशहूर अभिनेता थे फिर भी राज कपूर साहब को अपना कैरियर पटरी पर लाने लिए काफी पापड़ बेलने पड़े ।इनके पिता इन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे और थिएटरों से दूर रखना चाहते थे कारण की तब भारत कलाकारों को इज्ज़त और शौहरत नसीब नहीं होती थी ।आज भी हमारे बिहार की वैसी ही स्थिति है यहां भी हम अपने क्षेत्रियों कलाकारों सम्मान नहीं पाते जिसके कारण वे भटक कर अपने कला का दुरुपयोग करने लगते है ।
राज कपूर की कुछ रोचक बातें ..
जैसा कि आप जानते है राज कपूर के पिता उन्हें फिल्मों से दूर रखना चाहते थे पर राज कपूर यह फैसला लेकर उन्हें चौंका ही दिया कि वो अपना कैरियर फिल्मों ही बनाएंगे ।दोस्तों यहां मैंने आपलोगों को एक बात बता रहा हूं जिसे सुनकर आपलोगों को यकीन नहीं होगा कि सचमुच कोई फिल्म निर्देशक राज कपूर को "चांटा" मार सकता है क्या ??
लेकिन यह बात सच है कि एक फिल्म शूटिंग दौरान राज साहब को "साइड एक्टर" वाला रोल दिया गया था और राज साहब बार बार अपने बाल संवारने चक्कर शॉट को पूरा नहीं कर पा रहें थे तब निर्देशक ने गुस्से में उन्हें चांटा मार बैठा था । आज घटना कितनी अजीब लगती है ना की जिनके बनाए फिल्मों ने इतिहास रच डाला ,उन्हीं को शुरुआती दिनों चांटे खाने पड़े ।यहां राज साहब के पुरूस्कार प्राप्त कुछ फिल्मों के नाम है ...
1. बेस्ट एक्टर _ अनाड़ी (1959)
2. बेस्ट एक्टर _जिस देश में गंगा बहती है (1961)
3. बेस्ट डायरेक्टर _संगम (1964)
4.बेस्ट डायरेक्टर _ मेरा नाम जोकर (1971)
5. बेस्ट डायरेक्टर _ राम तेरी गंगा मैली (1985)
इसके अलवा इनके चर्चित फिल्म है आवारा,श्रीमान 420,श्रीमान सत्यवादी ,आग,जागते रहो आदि ।राज साहब चार्ली चैपलिन से तथा उनके निभाए गए अभिनय काफी प्रभावित थे। उनका यह प्रभाव उनके फिल्मों में आसानी से दिखाई पड़ता है जैसे श्रीमान 420 ने उनका यह गीत "मेरा जूता है जापानी ..ये पतलून इंग्लिशतानी ,सर लाल टोपी रूसी फिर भी दिल है हिंदुस्तानी ।
पुरस्कार
राज कपूर को सन् 1987 ई० में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया इसके साथ भारत सरकार के द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
निधन
राज साहब अस्थमा से पीड़ित थे और अपने जीवन के इसी संघर्ष लड़ते हुए 2 जून 1988 को वो सदा के लिए मायानगरी को अलविदा कह गए। सचमुच रजसहब एक अद्भुत सितारा थे जिनकी चमक हमें आज भी प्रकाशित करती है ।उनकी आज 29 वें पुण्यथिती पर उन्हें शत शत नमन !
आज उनके चले जाने के बाद हमें यह पंक्ति बरबस उनकी जिंदादिली का सबूत दिखती है ,जिन्हें मुकेश ने गाया है ....
तुम्हारी भी जय जय ..
हमारी भी जय जय ...
ना तुम हारे , ना हम हारे,
याद में फूलों को हम दिल लगाए ..
तुम भी हंस लेना जब ये दीवाना याद आए ....
लेखक अरुण रघुरती
एडिट अल्का और पायल
हमने बचपन ही यह कहावत सुनी है .."होनहार वीरवान के होते चिकने पात "दोस्तों जिसने भी यह कहावत कही है वह सचमुच दिव्यज्ञाता होगाक्युंकी आज मैं जिनके बारे में बताने जा रहा हूं उनके बारे में जानकर आप भी कहेंगे सचमुच यह कहावत इनके चरितार्थ पर उचित बैठती है।
दोस्तों मै बात कर रहा हूं ऐसे शख्स की जिनके योगदान को बॉलीवुड नहीं भूल सकता । ये वो नींव है जिनके आधार पर आज हिंदी सिनेमा जगत फलफूल रहा है इन्होंने अपने वजूद को तलाशते हुए सिर्फ फिल्मों में बतौर नायक हुए बल्कि अपनी बहुमुखी प्रतिभा के बदौलत फिल्मों को निर्माण भी किया और निर्देशक भी बने ।उनके बैनर ने 60 और 70 के दशक की बेहतरीन फिल्में दी आज हिंदी सिनेमा में मील का पत्थर साबित हो रहीं है । भाई साहब अगर आप फिल्मों के शौकीन है तो आप समझ गए होंगे कि मैं किस शो मैन कि बात कर रहा हूं ,और अगर नहीं समझ सके तो निराश होने की कोई जरूरत नहीं। मैं यह लेख आपकी जानकारी के लिए लिख रहा हूं ।आज मैं आपको राज कपूर साहब के बारे में कुछ रोचक और अनुभवी बाते बताऊंगा ।1. जन्म और कैरियर
राज कपूर का जन्म पेशावर जिले जो कि अब पाकिस्तान में है सन 14 दिसंबर 1924 ई० को हुआ ।इनके पिता पृथ्वीराज कपूर ने इनका नाम रणधीर राज कपूर जो आगे चलकर राज कपूर के नाम से प्रसिद्ध हुए ।इनका परिवार भारत विभाजन बाद पंजाब और पंजाब के बाद फिर कलकत्ते में जाकर बसा।इनके पिता तब तक मशहूर अभिनेता थे फिर भी राज कपूर साहब को अपना कैरियर पटरी पर लाने लिए काफी पापड़ बेलने पड़े ।इनके पिता इन्हें डॉक्टर बनाना चाहते थे और थिएटरों से दूर रखना चाहते थे कारण की तब भारत कलाकारों को इज्ज़त और शौहरत नसीब नहीं होती थी ।आज भी हमारे बिहार की वैसी ही स्थिति है यहां भी हम अपने क्षेत्रियों कलाकारों सम्मान नहीं पाते जिसके कारण वे भटक कर अपने कला का दुरुपयोग करने लगते है ।
राज कपूर की कुछ रोचक बातें ..
जैसा कि आप जानते है राज कपूर के पिता उन्हें फिल्मों से दूर रखना चाहते थे पर राज कपूर यह फैसला लेकर उन्हें चौंका ही दिया कि वो अपना कैरियर फिल्मों ही बनाएंगे ।दोस्तों यहां मैंने आपलोगों को एक बात बता रहा हूं जिसे सुनकर आपलोगों को यकीन नहीं होगा कि सचमुच कोई फिल्म निर्देशक राज कपूर को "चांटा" मार सकता है क्या ??
लेकिन यह बात सच है कि एक फिल्म शूटिंग दौरान राज साहब को "साइड एक्टर" वाला रोल दिया गया था और राज साहब बार बार अपने बाल संवारने चक्कर शॉट को पूरा नहीं कर पा रहें थे तब निर्देशक ने गुस्से में उन्हें चांटा मार बैठा था । आज घटना कितनी अजीब लगती है ना की जिनके बनाए फिल्मों ने इतिहास रच डाला ,उन्हीं को शुरुआती दिनों चांटे खाने पड़े ।यहां राज साहब के पुरूस्कार प्राप्त कुछ फिल्मों के नाम है ...
1. बेस्ट एक्टर _ अनाड़ी (1959)
2. बेस्ट एक्टर _जिस देश में गंगा बहती है (1961)
3. बेस्ट डायरेक्टर _संगम (1964)
4.बेस्ट डायरेक्टर _ मेरा नाम जोकर (1971)
5. बेस्ट डायरेक्टर _ राम तेरी गंगा मैली (1985)
इसके अलवा इनके चर्चित फिल्म है आवारा,श्रीमान 420,श्रीमान सत्यवादी ,आग,जागते रहो आदि ।राज साहब चार्ली चैपलिन से तथा उनके निभाए गए अभिनय काफी प्रभावित थे। उनका यह प्रभाव उनके फिल्मों में आसानी से दिखाई पड़ता है जैसे श्रीमान 420 ने उनका यह गीत "मेरा जूता है जापानी ..ये पतलून इंग्लिशतानी ,सर लाल टोपी रूसी फिर भी दिल है हिंदुस्तानी ।
पुरस्कार
राज कपूर को सन् 1987 ई० में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया इसके साथ भारत सरकार के द्वारा कला के क्षेत्र में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।
निधन
राज साहब अस्थमा से पीड़ित थे और अपने जीवन के इसी संघर्ष लड़ते हुए 2 जून 1988 को वो सदा के लिए मायानगरी को अलविदा कह गए। सचमुच रजसहब एक अद्भुत सितारा थे जिनकी चमक हमें आज भी प्रकाशित करती है ।उनकी आज 29 वें पुण्यथिती पर उन्हें शत शत नमन !
आज उनके चले जाने के बाद हमें यह पंक्ति बरबस उनकी जिंदादिली का सबूत दिखती है ,जिन्हें मुकेश ने गाया है ....
तुम्हारी भी जय जय ..
हमारी भी जय जय ...
ना तुम हारे , ना हम हारे,
याद में फूलों को हम दिल लगाए ..
तुम भी हंस लेना जब ये दीवाना याद आए ....
लेखक अरुण रघुरती
एडिट अल्का और पायल
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