किसने की, बीसीसीआई पर उँगली...?
(गिल्ली डंडा)
विक्रम लिमाये जुलाई में बीसीसीआई को अलविदा कह सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त प्रशासकों में से एक विक्रम लिमाये है। लिमाये से पहले इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने निजी कारणों से सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त बीसीसीआई प्रशासनिक कमेटी से इस्तीफा दे दिया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने कमिटी के अध्यक्ष और पूर्व सीएजी विनोद राय को पत्र लिख कर सात सवाल दागे थे। इसमें गुहा ने अपने पद से इस्तीफा देने की वजह की तरफ भी इशारा किया था। वहीं गुहा ने पत्र में बीसीसीआई की इन सात बड़ी गड़बड़ियों का जिक्र किया था। उन्होंने पत्र में लिखा था, राष्ट्रीय कोच IPLकी कीमत पर राष्ट्रीय टीमों के साथ समझौता करते हैं। दिल्ली डेयरडेविल्स के कोच राहुल द्रविड़ भारत ए और जूनियर टीम के भी इंचार्ज हैं। गुहा ने एम एस धोनी को ए श्रेणी में रखने पर भी सवाल उठाए थे। उन्होंने पत्र में लिखा था- “टेस्ट नहीं खेलने पर भी धोनी को ए श्रेणी में रखा गया, जबकि अच्छे प्रदर्शन के बावजूद कुंबले पर सवाल उठाए गए। क्रिकेट टीम के कोच के मुद्दे को संभालने का यह एक बेहद ही अन-प्रोफेश्नल तरीका था।”इसके अलावा गुहा ने बोर्ड द्वारा स्टार क्रिकेटर्स को तरजीह दिए जाने को लेकर भी सवाल दागे थे। उन्होंने लिखा था- “कमेटी ने घरेलू क्रिकेटर्स की अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की तुलना में उपेक्षा की थी। उनके मैच की फीस में काफी फर्क है।” रामचंद्र गुहा ने सुनील गावस्कर को प्लेयर मैनेजमेंट कमेटी का हेड बनाए जाने को लेकर भी सवाल उठाए थे। निष्कासित किए गए अधिकारियों के लगातार मीटिंग में हाजिर रहने पर भी सवाल गुहा ने दागे थे। उन्होंने लिखा था कि इस मामले पर कमेटी चुप्पी साधे रहती है। साथ ही कमेटी में किसी पुरुष खिलाड़ी (क्रिकेटर) को लेकर और जवागल श्रीनाथ को कमेटी में शामिल करने पर भी रामचंद्र गुहा ने सवाल दागे थे। वहीं गुहा ने कमेटी के कन्फ्लिक्ट ऑफ इंट्रस्ट्स को साध पाने में भी नाकामी जाहिर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें ना मानने पर बीसीसीआई के चार प्रशासकों की एक समिति बनाई थी जिसके सदस्य रामचंद्र गुहा भी थे।
-विवेक खेळची
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