ये आतंकी लातों के भूत हैं , बातों से नहीं मानते ......

( दूर दराज़ )



इन आतंकियों के बारे में जितना बुरा बोला जाए, उतना कम होगा। शायद आपकी जुबान भी थक जाए, लेकिन ये आतंकी बाज नही आएँगे अपनी घटिया हरकतों से। बार-बार ये एहसास दिला ही देते हैं कि ये आतंकी इंसानों की क्या जानवरों की श्रेणी में भी नहीं आते। और सबसे अच्छी बात तो यह है कि इनलोगों को इन सब बातों से कोई फर्क भी नहीं पड़ता। दुनिया चाहे इतनी कितनी भी गालियाँ दे, कितना भी बुरा समझे..ये लोग तो देश में अशांति फैलाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं, किसी भी हद तक जा सकते हैं।
अब यह हाल की ही खबर देखिये, 16 जून, शुक्रवार के दिन की ही बात है दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग जिले के अचबल में आतंकवादियों ने एक पुलिस दल पर घात लगाकर हमला कर दिया। लेकिन बात सिर्फ हमले तक ही खत्म नहीं हुई, हमले के बाद, उसमे शहीद हुए छह पुलिसकर्मियों के चेहरे भी उन आतंकियों ने विकृत कर दिए और उनके हथियार लेकर भाग गए। बाद में पीटीआई भाषा को, पुलिस महानिदेशक, एसपी वैद्द द्वारा पता चला कि शहीद हुए छह व्यक्तियों में पुलवामा निवासी फिरोज नाम का एक उप निरीक्षक, एक चालक और चार अन्य पुलिसकर्मी शामिल थे, जो अपनी जीप में नियमित गश्त पर थे।


हालांकि शुक्रवार की ही सुबह बिजबेहरा इलाके के अरवानी में मुठभेड़ भी हुई थी। और इसी दौरान उसका स्थानीय कमांडर जुनैद मट्टू समेत सभी तीन आतंकवादियों के मारे जाने की खबर कही जा रही थी। लेकिन एक भी शव अब तक बरामद नहीं हुआ है। अधिकारियों का कहना है कि इलाके में तलाशी अभियान जारी है और सेना भी भेज दी गई है।
तो ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि इसी अरवानी मुठभेड़ का बदला लेने के लिए पाक आधारित आतंकी संगठन, लश्कर ए तैयबा ने अचबल में हमला कर पुलिसकर्मियों को मार डाला होगा। और हमले के बाद लश्कर ए तैयबा ने श्रीनगर के लोकल न्यूज़ एजंसी से बात करते हुए हमले की जिम्मेदारी भी ले ली। 
हालांकि इस बेहद ही घटिया हमले पर जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री, महबूबा मुफ़्ती और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने दुःख ज़ाहिर किया। महबूबा मुफ़्ती ने कहा कि हिंसा और मासूम लोगों की जान जाने से राज्य शान्ति नहीं सिर्फ बर्बादी की तरफ जाएगा और वही उमर अब्दुल्ला ने घटना पर ट्वीट करके जवानों के शव के साथ की गई बर्बरता को कायरतापूर्ण कृत्य कहा।
अगर ये आतंकी और इनके आतंकी संगठन अपने गलत कारनामे करना कर दे तो शायद फिर इस तरह से अशांति भी खत्म हो जाएगी। लेकिन इन आतंकियों से कुछ अच्छी बात की उम्मीद भी करना, दीवार में सिर पटकने जैसा है। क्यूंकि ये तो अपने हैवानियत से बाज़ नहीं आने वाले..तो अब हमारे देश के सैनिकों, पुलिसकर्मियों और लोगों को भी इन आतंकियों से डट कर सामना करते रहना होगा, जैसा कि ये हमेशा से करते आए हैं। और फिर वो दिन भी दूर नहीं, जब दुनिया से आतंकियों का नामो-निशान तक मिट जाएगा।

--प्रियंका सिंह

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