बच्चे मर रह हैं , रूस ज्ञान पोंक रहा है।
(विदेशी बक बक)
जब हम विद्यालय जाते थे , तब कभी कभी पेन से स्याही बहार हो जाती थी। तब दोस्त चिढ़ाया करते थे कि पेन पोंक दिया। अब जब लोग मर रहे तब रूस और सीरिया ज्ञान पोंक रहे थे। मौते भी कुछ ऐसी थी कि बीबीसी ने अपने यू ट्यूब चैनल पर इसलिये नहीं दिखाया क्योंकि उसे आप विचलित हो सकते है। वैसे तो सीरिया में लोग 6 साल से मर रहें हैं। पर यह मैदान है जहाँ सबको नोंच के खाने की छूट है। वहाँ के लोग तो सामूहिक आत्महत्या की बात तक कर रहें हैं।
फिलहाल सीरिया इसलिए चर्चा में है कि अमेरिका ने पहली बार सीधे दखल दे दिया। क्योंकि जिसे लोग रेसिस्ट बताने में व्यस्त हैं वह बहुत दुःखी है। वह किसी स्वेत अमेरिकी के नहीं मरने बल्कि सीरिया मर रहे बच्चों से।सीरिया के विद्रोहियों के कब्ज़े वाले शहर इदलिब में कथित रूप से रासायनिक हमला किया। बस यही बात ट्रंप को नागवार गुजरी और अपने वादे से पलट कर वह सीरिया में घुस गए। पूरी रात जीपीएस सिस्टम पर आधारित मिसाइल टॉम हॉक दागे।
माज़रा क्या है-
हुआ यूँ कि रूस और ईरान के समर्थन से टिकी हुई असद सरकार ने पश्चिमी ताकतों के समर्थित विद्रोहियों के कब्ज़े वाले शहर इदलिब में सरीन नामक रसायन का हमला कर दिया। वहाँ के लोगों का कहना है कि रात को हवाई हमले में इसका इस्तेमाल किया गया। बीबीसी के मुताबिक लगभग 80 लोग मरे और 300 घायल हैं। इस हमले के बाद लोगों को साँस लेने में दिक्कत महसूस होने लगी और लोगों के मुँह से झाग निकलने लगी। टर्की ने अपने बॉर्डर खोल कर सभी घायलों का इलाज़ करना शुरू किया। बताया गया कि लोगों को बाहर से चोट नहीं लगी। और फिर तुर्की प्रशासन ने हमले की पुष्टि कर दी।
हुआ यूँ कि रूस और ईरान के समर्थन से टिकी हुई असद सरकार ने पश्चिमी ताकतों के समर्थित विद्रोहियों के कब्ज़े वाले शहर इदलिब में सरीन नामक रसायन का हमला कर दिया। वहाँ के लोगों का कहना है कि रात को हवाई हमले में इसका इस्तेमाल किया गया। बीबीसी के मुताबिक लगभग 80 लोग मरे और 300 घायल हैं। इस हमले के बाद लोगों को साँस लेने में दिक्कत महसूस होने लगी और लोगों के मुँह से झाग निकलने लगी। टर्की ने अपने बॉर्डर खोल कर सभी घायलों का इलाज़ करना शुरू किया। बताया गया कि लोगों को बाहर से चोट नहीं लगी। और फिर तुर्की प्रशासन ने हमले की पुष्टि कर दी।
रूस का ज्ञान-
रूस ने बताया कि हमला तो वह विद्रोहियों के ठिकानों पर किया। लेकिन उन्हीं के किसी डिपो में रसायन रखे थे और फ़ैल गए। अब सवाल यह है कि जब विद्रोहियों के पास रासायनिक हथियारों का डिपो है तो क्या वे ट्रम्प के चुनाव जीतने का इंतेजार कर रहे थे।
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