शौचालय में जाने का हक़ इन को भी मिला

                   (दूर दराज़)





शौचालय में जाने का हक़ इन को भी मिला है। आज़ादी के 70 सालों बाद किसी को शौचालय जाने का हक़ मिला है।
पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय ने फैसला किया है कि ट्रांसजेंडर अपनी मर्जी से लड़की या लड़के वाले टॉयलेट का इस्तेमाल कर सकते हैं।3 अप्रैल को मंत्रालय ने स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) को एक गाइडलाइन जारी किया है।
         वैसे यही काम कभी ओबामा ने अमेरिका में किया था लेकिन नई नवेली सरकार ने जिन फैसलों को बदला उसमें यह भी एक था।ओबामा ने स्कूलों के लिए दिशा-निर्देशों जारी किया था। जिसमें लिखा था कि चूंकि ट्रांसजेंडर का पैदाइशी और अपनाया हुआ सेक्स अलग-अलग होता है, इसलिए उन्हें वो टॉयलेट यूज करने की इजाज़त हो, जिसमें उन्हें सुरक्षित महसूस होता हो। लेकिन ट्रंप सरकार ने उन दिशा-निर्देशों को खारिज कर दिया और ट्रांस बच्चे कौन सा टॉयलेट यूज करें, ये फैसला स्कूलों पर छोड़ दिया। 
     लेकिन भारत सरकार ने एक शानदार पहल की है। वैसे भी स्वच्छ भारत अभियान में जागरुकता फ़ैलाने का कार्य भी तो थर्ड जेंडर समाज कर रहा है। वास्तव में यह एक प्रकार शौच वाला अधिकार। इस कदम का स्वागत होना चाहिए। ग़ौरतलब है कि 2014 में ही सुप्रीम कोर्ट थर्ड जेंडर को क़ानूनी मान्यता दी हैं।

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