आखिर क्यों बजा है नेपाल का बाजा
(विदेशी बक बक)
कौन हैं ये मधेसी
'कहां से आ जाते हैं हमारे सुदंर नेपाल को गंदा करने' जब इस तरह की बातें राम के अवधपुरी और सीता के मिथला से गये लोग सुनते होंगे तो सोचिये उन पर क्या गुजरती होगी? नेपाल का भारत के साथ हजारों साल पुराना रोटी-बेटी का संबंध है। त्रेतायुग में मिथिला नरेश महाराज सीरध्वज जनक की बेटी सीता का विवाह अयोध्या के महाराज दशरथ के पुत्र राम से हुआ था। नेपाल के जनकपुर को मिथिला का हिस्सा माना जाता है। भारत यानी बिहार का मिथिला क्षेत्र उससे जुड़ा हुआ है। दोनों देशों के निवासियों के बीच सजीव संबंध रहा है तथा प्राचीन समय में मिथिला और अवध स्वतंत्र राज्य थें। 17वीं सदी में जब गोरखा के राजा नेपाल एकीकरण कर रहें थें तब मिथिला और अवध के छोटे से भू-भाग पर नेपाल का कब्ज़ा हो गया बाद में अंग्रेजों ने मिथिला और अवध के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया। वह हिस्सा भारत में आ गया।भू-विवाद के कारण 1814-16 में नेपाल और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच नेपाल-अंग्रेज युद्ध हुआ और युद्ध दो वर्षों तक चला। अन्त में नेपाल और ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच एक संधी हुई जिसे सुगौली संधि के नाम से जाना जाता है। नेपाल ने अपना एक-तिहाई भूभाग ब्रिटिश हुकुमत को देना पड़ा। इस युद्ध से अमर सिंह थापा, बलभद्र कुँवर एवम् भक्ति थापा के सौर्य, पराक्रम एवम् राष्ट्रप्रेमके कहानी अंग्रेजी राज्यों में प्रचलित हुआ था।सुगौली संधि के अनुसार नेपाल ने मेची नदी से पुर्व का सारा भू-भाग, घाघरा नदी से पश्चिम का सारा भू-भाग और लगभग सम्पूर्ण तराई भू-भाग अंग्रेजों को सौपना पड़ा। बाद में 1857 में लखनऊ विद्रोह में अंग्रेजों कि मदद करने के एवज में अंग्रेजों ने दक्षिण का सम्पूर्ण तराई भू-भाग नेपाल को वापस लौटा दिया। वापस किये गये इस भू-भाग में मिथिला और अवध के लोग रह रहे थें। यह भू-भाग जब नेपाल में सम्मिलित किया गया तो नेपाल के लोग इस भू-भाग को नया देश या मध्य-देश कहने लगें क्योंकि यह भू-भाग नेपाल और भारत के मध्य में था। मध्य-देश का अपभ्रंश मधेश हो गया और मध्य-देशी से मधेशी।
अब मधेश में निवास करने वाले नेपाली लोगों को मधेसी कहतें हैं। इस क्षेत्र को 'तराई क्षेत्र' भी कहते हैं और तराई में वास करने वाले इन नेपाली लोगों को तराईबासी भी कहते हैं। मधेश शब्द 'मध्यदेश' का अपभ्रंश है।
अब मधेश में निवास करने वाले नेपाली लोगों को मधेसी कहतें हैं। इस क्षेत्र को 'तराई क्षेत्र' भी कहते हैं और तराई में वास करने वाले इन नेपाली लोगों को तराईबासी भी कहते हैं। मधेश शब्द 'मध्यदेश' का अपभ्रंश है।
मैथिली, थारु, अवधी, भोजपुरी और अन्य भाषाएँ (जो भारत के उत्तर प्रदेश और बिहार में भी बोली जाती है) बोलने वाले लोग जो बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगों जैसे दिखते हैं और जिनकी संस्कृति और रीति-रिवाज बिहार और उत्तर प्रदेश के लोगो जैसी है। लेकिन जो नेपाली हैं, वो लोग मधेसी कहलाते हैं। मधेसी मूल के नेपाली और भारत के बिहारी या उत्तर प्रदेश के उत्तरी हिस्से में रहने वाले लोगों में कुछ भी असमानता नहीं है, अन्तर केवल यह है कि मधेसी नेपाली हैं जो सीमा के उस पार रहते हैं।
शताब्दियों से काडमांडू उपत्यका के तीन अधिराज्य 1. काठमांडू 2. पाटन 3. भादगाउँ (वर्तमान में भक्तपुर) बाहरी खतरा को बिना भांपे आपस में लड़ाई करते रहे| इसी संकीर्णता के कारण सन् 1769 में इस काठमाडौं उपत्यका में गोरखा के राजा पृथ्वीनारायण शाह ने आक्रमण कर कब्जा किया, फलस्वरुप वर्तमान नेपाल देश की स्थापना हुई।
शताब्दियों से काडमांडू उपत्यका के तीन अधिराज्य 1. काठमांडू 2. पाटन 3. भादगाउँ (वर्तमान में भक्तपुर) बाहरी खतरा को बिना भांपे आपस में लड़ाई करते रहे| इसी संकीर्णता के कारण सन् 1769 में इस काठमाडौं उपत्यका में गोरखा के राजा पृथ्वीनारायण शाह ने आक्रमण कर कब्जा किया, फलस्वरुप वर्तमान नेपाल देश की स्थापना हुई।
सन् 1767 में वहां के राजाओं ने ब्रिटेन अधिराज्य के विरुद्ध लड़ाई करने के लिये गोरखा राज्य से सहायता मांगी तो कप्तान किन्-लोक् के नेतृत्व में 2500 सेना बिना तैयारी लड़ाई के लिये भेजे गए| चढाई विपत्ति जनक हुई, ब्रिटिश की कमजोर सेनाको गोरखा सेना ने आसानी से जीत लिया। काठमांडू उपत्यका के इस विजय के बाद सम्पूर्ण क्षेत्र के लिये गोरखा शासन ने अन्य क्षेत्रों के लिये विस्फोटक शुरुवात किया। सन् 1773 मा गोरखा सेना ने पूर्वी नेपाल पर कब्जा किया और सन् 1788 में सिक्किम के पश्चिमी भाग में अधिकार जमाया| पश्चिम के तरफ महाकाली नदी तक सन् 1790 में लिया। इस के बाद सुदूर पश्चिम कुमाउ क्षेत्र और इसकी राजधानी अलमोरा समेत गोरखा राज्य में मिलाया गया|
क्यों आक्रोशित हैं मधेशी
नेपाल में मधेशियों की संख्या सवा करोड़ से अधिक है। इनकी बोली मैथिली है। ये हिंदी और नेपाली भी बोलते हैं। भारत के साथ इनका हजारों साल पुराना रोटी-बेटी का संबंध है। लेकिन इनमें से 56 लाख लोगों को अब तक नेपाल की नागरिकता नहीं मिल पाई है। जिन्हें नागरिकता मिली भी है, वह किसी काम की नहीं क्योंकि उन्हें ना ही सरकारी नौकरी में स्थान मिलता है और ना ही संपत्ति में। यानी सिर्फ कहने को नेपाली नागरिक। इसी भेदभाव के खिलाफ मधेशी आंदोलन कर रहे हैं। नेपाल में पहाड़ की महज सात-आठ हजार की आबादी पर एक सांसद है लेकिन तराई में सत्तर से एक लाख की आबादी पर एक सांसद है! मधेशी नेपाल में एक अलग मधेशी राज्य की मांग कर रहे हैं।
वर्तमान हालात से नेपाल की संविधान सभा के सदस्य भी इन दिनों घबराए हुए हैं। नेपाली सांसदों का कहना है कि चीन और पाकिस्तान के इशारे पर मधेशियों को कुचला जा रहा है। संविधान सभा में तीसरी पीढ़ी का नेतृत्व कर रहे सांसद अभिषेक प्रताप शाह ने कहा है कि यह आंदोलन अब नेपाल की 51 फीसद आबादी हिस्सा रखने वाले मधेशियों के लिए स्वाभिमान का सवाल बन गया है।
वर्तमान हालात से नेपाल की संविधान सभा के सदस्य भी इन दिनों घबराए हुए हैं। नेपाली सांसदों का कहना है कि चीन और पाकिस्तान के इशारे पर मधेशियों को कुचला जा रहा है। संविधान सभा में तीसरी पीढ़ी का नेतृत्व कर रहे सांसद अभिषेक प्रताप शाह ने कहा है कि यह आंदोलन अब नेपाल की 51 फीसद आबादी हिस्सा रखने वाले मधेशियों के लिए स्वाभिमान का सवाल बन गया है।
मधेशियों का रिश्ता भारत के दार्जिलिंग से उत्तराखंड तक के निवासियों से रिश्ता है। फिर भी हमारी राष्ट्रीय पहचान पर प्रश्न खड़े किए जा रहे हैं। वर्तमान शासक वर्ग नेपाल के भूमि पुत्र मधेशी व थारुओं का दमन इसलिए कर रहा है, ताकि भारत-नेपाल मैत्री संधि टूट जाए और पहाड़ पर प्रभाव रखने वाले चीन-पाकिस्तान परस्त नेता उनकी गोद में खेलने लगे।
मधेशी की संख्या नेपाल के तराई इलाकों में ज्यादा है। उनकी मांग है कि नेपाल को हिंदू राष्ट्र घोषित किया जाए और मधेशी बहुल इलाकों को स्वायत्तता दी जाए। वे संविधान में मधेशियों के समावेशी अधिकार, सेना और पुलिस समेत लोकसेवा आयोग की भर्ती में बराबरी के हक, भारत की किसी लड़की से शादी के बाद तुरंत नागरिकता और समान अधिकार देने और ऐसी शादी से होने वाली संतान को वंशज मानते हुए नागरिकता देने की मांग कर रहे हैं।
नेपाल की संविधान सभा ने देश के नए संविधान को मंजूरी दी है। इस संविधान के तहत नेपाल अब हिंदू राष्ट्र नहीं कहा जाएगा। इसे धर्मनिरपेक्ष स्वरूप दिया गया है। साथ ही भारतीय महिला से विवाह के बाद उसे नेपाल में दूसरे दर्जे की नागरिकता देने की बात भी मधेश आंदोलन का प्रमुख कारण है।
मधेशी जन नेपाल के मूल निवासी हैं, लेकिन उनके साथ नेपाल में भेदभाव किया जाता है। इसी के चलते वह अपने अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं। नेपाल की आधी के करीब आबादी मधेशियों की है। नेपाल में मधेशियों की पार्टी संयुक्त लोकतांत्रित मधेशी मोर्चा (यूडीएमएफ) है।
हफ्तेभर से ज्यादा से इलाके में मधेशी आंदोलन चल रहा है। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक , नेपाल में 51 फीसदी आबादी मधेशियों की है। इसमें नेपाल के मूल और भारत से गए दोनों शामिल हैं। यहां की भाषा मैथिली, भोजपुरी, बज्जिका और नेपाली है।
दो करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले नेपाल में कुल पांच राज्य और 75 जिले हैं। आंदोलनकारी थारू और मधेशियों के लिए अलग-अलग राज्य बनाए जाने की मांग कर रहे हैं। नेपाल के 22 जिले मधेशी आंदोलन से प्रभावित हैं। मधेशी नेताओं का आरोप है कि एक करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले उनके इलाके को नजरअंदाज किया जा रहा है। नए संविधान में अलग मधेशी राज्य को मान्यता नहीं देने का प्रस्ताव रखा गया है।
हफ्तेभर से ज्यादा से इलाके में मधेशी आंदोलन चल रहा है। वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक , नेपाल में 51 फीसदी आबादी मधेशियों की है। इसमें नेपाल के मूल और भारत से गए दोनों शामिल हैं। यहां की भाषा मैथिली, भोजपुरी, बज्जिका और नेपाली है।
दो करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले नेपाल में कुल पांच राज्य और 75 जिले हैं। आंदोलनकारी थारू और मधेशियों के लिए अलग-अलग राज्य बनाए जाने की मांग कर रहे हैं। नेपाल के 22 जिले मधेशी आंदोलन से प्रभावित हैं। मधेशी नेताओं का आरोप है कि एक करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले उनके इलाके को नजरअंदाज किया जा रहा है। नए संविधान में अलग मधेशी राज्य को मान्यता नहीं देने का प्रस्ताव रखा गया है।
भारतीय युवतियां और उनसे जन्मे बच्चों को दोयम दर्जे की नागरिकता का प्रस्ताव नए संविधान में रखा गया है। इस इलाके में एक लाख से ज्यादा की आबादी पर एक सांसद हैं, जबकि पहाड़ी इलाकों में 4-5 हजार पर एक सांसद की सीट है। आंदोलनकारी इसी भेदभाव का विरोध कर रहे हैं।
नए संविधान के मसौदे में सात राज्यों का प्रस्ताव तो है, लेकिन उसमें मधेशी और थरूहट नहीं है। संविधान के नए मसौदे में मधेशी बहुल जिलों को अलग-अलग राज्यों में मिलाया जा रहा है। मधेशी समुदाय इसी भेदभाव का विरोध कर रहा है।
नेपाली सांसद बृजेश गुप्त का कहना है कि मधेशी समुदाय अहिंसक आंदोलन कर रहा है, लेकिन प्रदर्शनकारियों के बीच शासक वर्ग के गुर्गे घुसपैठ कर हिंसा कर रहे हैं।
उन्होंने कहा, “मधेश आंदोलन में अब तक 52 लोग शहीद हो चुके हैं और शासक वर्ग हमसे संवाद नहीं बना रहा। शासक वर्ग आरोप लगा रहा हैं कि हम पृथक प्रदेश बनवाकर भारत में शामिल हो जाएंगे, जबकि हम नेपाल के नागरिक हैं और वहीं रहना चाहते हैं।”
उन्होंने कहा, “मधेश आंदोलन में अब तक 52 लोग शहीद हो चुके हैं और शासक वर्ग हमसे संवाद नहीं बना रहा। शासक वर्ग आरोप लगा रहा हैं कि हम पृथक प्रदेश बनवाकर भारत में शामिल हो जाएंगे, जबकि हम नेपाल के नागरिक हैं और वहीं रहना चाहते हैं।”
नेपाल में शांति बहुत जरुरी है पर किस कीमत पर यह तो उन्हें ही तय करना पड़ेगा।लेकिन कही मधेशी तमिल न बन जाय इसका भी ध्यान देना पड़ेगा।
- दिवाकर
- दिवाकर
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