अगर गाय का आधार कॉर्ड बन गया तो क्या होगा?

                   (विचार अड्डा- यूँ ही )



अगर गाय का आधार कॉर्ड बन गया तो क्या होगा?

इस भारत में आपको जिन्दा रहना है , तो कुछ तो करना पड़ेगा।  वह है कि आप पूर्ण धार्मिक या अधार्मिक होते हुए भी गाय के सामने दंडवत हो जाइये।
   अभी तक कम गुड़ गोबर था जो कि आदमी को लाइन में लगाकर तमाम प्रकार के कार्डो का जखीरा बनवाना पड़ता था। वैसे भी बहुत सारे कांड हुए पड़े हैं। तभी सरकार ने एक और कांड कर दिया। हुआ यूँ कि भारत सरकार के विद्वान वकीलों की फ़ौज ने सुप्रीम कोर्ट में गाय की तस्करी रोकने के लिए आधार कार्ड का सुझाव दे दिया। अब पूरा भारत सदमें में है कि आखिर इस क्रिया के क्रियान्वयन के बाद क्या होगा? 
    चूँकि भारत एक विचारशील प्राणियों का देश है। यहाँ लोग शौच की मुद्रा में ही दाऊद की गिरफ़्तारी से लेकर कश्मीर की समस्या की परिस्थियों की गंभीरता पर चिन्तन करता है।ठीक इसी भारतीय घर्म का पालन करते हुए , पहले हमने शौचालय का दरवाजा खोला। फिर शानदार तरीके से कामोट पर अपनी  नग्न तशरीफ़ रखी। उसके ढक्कन के सहारे अपनी कमर को टिका कर सोचना शुरू किया कि अगर गाय का आधार कार्ड बनगया तो क्या होगा ?

  1. रामदेव का  मूत्र बिज़नेस ठप्प पड़ सकता है




पहले मैं जानता था कि मनुष्य के भाँति ही सभी  पशुओं के मूत्र का एक ही उपयोग है। इससे दूसरे के दीवार पर धार से पेंटिंग बनाना । लेकिन तभी अचानक किसी ने बताया कि गाय पशु नहीं देवता है। यह तो दीवारों पर इसलिये चिपकाए जाते हैं ताकि लोग धार से पेंटिंग ना बना सके । और कमाल और दिमाग़ शून्य करने वाली बात तो बाबा रामदेव ने बताई की इसका उपयोग कैंसर से मुक्ति के लिए भी होता है। देखते ही देखते अच्छे दिन आ गए और भारत गौ मूत्र उत्पादन में  नंबर एक पर पहुँच गया ।

     लेकिन जब आधार कार्ड बन जायेगा । तब महीना दर महीना इसे मूत्र टेस्टिंग के लिए  ले जाना पड़ेगा । इसका सीधा असर मूत्र उत्पादन पर पड़ेगा। भारत का स्थान विश्व के प्रमुख 10 देशों से बाहर हो सकता है। इससे ज़्यादा नुकसान इस बात है कि उसमें जर्सी , साहीवाल और बिना टील  वाली गया मूत्र नहीं मिलाया जा सकता है। इसका सेवन करने वाला व्यक्ति तुरतं डाटा बेस मिलकर पता कर सकता है कि मूत्र टील वाली गाय का है बिना टील वाली गाय का।
    इस बात की प्रबल संभावना हैं कि बाबा रामदेव का बिज़नेस ठप्प हो सकता है।


  • बैल हड़ताल पर जा सकते हैं


'बेटी बचाओ , बेटी पढ़ाओ' जैसे अभियान से भले  ही लिंगानुपात में सुधार आ गया हो । लेकिन गाय और बैलों के लिए हरित क्रांति ने तूफ़ान ला दिया । कृषि के मशीनीकरण के बाद से बैलों की संख्या में लगातार कमी आ रही है। अब उनका काम सिर्फ गोबर देना है। वही गोबर में भी रही सही क़सर उज्ज्वला योजना ने निकाल दी । अब तो सिर्फ़ गया के गोबर की ही मांग हैं। हालांकि की कुछ महान बैल विक्की डोनर बने फिरते है बाकि अब भी समानता की लड़ाई में बहुत ही पीछे हैं। वही सरकार ने सिर्फ़ गायों की पहचान की बात की है। तो मधेसियों की भाँति बैल  समुदाय के लोग श्री श्री 1008 श्री रायता फैलवानन्द केजरीवाल बाबा के नेतृत्व में मोदी के ख़िलाफ़ धरना प्रदर्शन कर सकते हैं।इसका परिणाम हमें पता है क्योंकि बहिरानंद बाबा मोदी सिर्फ़ मन की सुनते हैं जन की नहीं। ये फिर भी बैल ठहरें। हाँ इनको भक्तों के माध्यम से देशद्रोही घोषित कर पाक भेजा जा सकता है।

  •  सौन्दर्य प्रशाधन की बिक्री में भारी इजाफ़ा हो सकता है 


यह बात सर्व विदित है कि जितना शानदार तस्वीर व्हाट्सअप के डीपी पर आती है , उतनी ही उल्टी करने लायक तस्वीर आधार कार्ड  पर आती है। जब आधार कार्ड बनने लगा है तब से पुरुष भी हाय हैंडसम बनने लगे हैं। अब तो गायों का इस बाज़ार में प्रवेश हो जायेगा। हो सकता है कि रात को फैशन टीवी रात को गायों की कैट  काऊ वाक करा दे। 

  • एजेंसियां भाग सकती है 


  वैसे तो अभी किसी आधार कार्ड बनाने वाली एजेंसी ने धोनी की डिटेल लिक कर दिया। उसे ब्लैकलिस्ट कर छोड़ा जा सकता है । लेकिन अगर कोई एजेंसी ने गायों का डाटा लिक किया तो उनकी स्थिति  पहलू खान या अखलाख जैसी हो सकती है। वही चूँकि मनुष्य पशु इसलिए उसे गाली देकर लाइन में लगाया जा सकता है। लेकिन देवता के साथ यह संभव नहीं । उनके फिंगर  ख़ुर प्रिंट लेने में कई मशीन टूट सकती हैं। इसका हर्जाना गाय से नहीं माँगा जा सकता है। यारे यार भगवान से भी कोई हर्जाना मांगता है।


मेरा पूरा चिंतन ख़त्म हो गया लेकिन अभी तक पानी नहीं आया। उम्मीद करता हूँ कि गौ माता का आधार कार्ड बनने से पहले मेरे तशरीफ़ को साफ़ करने के लिए पानी ज़रूर आ जायेगा।

लेखक - रजत अभिनय 
कार्टूनिस्ट - पुष्पी आज़ाद



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