इतना आसान नहीं होता अंधभक्त होना
(विचार अड्डा - यूँ ही)
"कॉलेज के दिनों में एन॰सी॰सी॰ में ट्रेनिंग के दौरान एक बड़े आर्मी ऑफ़िसर की छोटी सी एक सीख मैं कभी नहीं भूलता। उन्होंने बताया था कि अगर एक अच्छे कमांडर से ग़लती से' दो क़दम पीछे हट 'कमांड देने की बजाय 'दो क़दम आगे बढ़ ' की कमांड दी गयी तो वह कभी ये नहीं बोलेगा कि नहींनहीं ग़लती हो गई। वो अगली कमांड देगा 'चार क़दम पीछे हट'। कुल मिला कर उसकी कमान में चल रहे सैनिकों को उसके अस्थिर और हड़बड़ी युक्त मस्तिष्क का मेसिज नहीं जाना चाहिए। अच्छे लीडर में दूरदर्शिता की आशा की जाती है। मगर जब वह बिलकुल ही औसत दर्जे की ग़लतियाँ कर कर के बार बार माफ़ी माँगे तो उसकी निर्णय क्षमता पर प्रश्न चिन्ह लगना स्वाभाविक है।
पार्टी के कार्य कर्ता अपने नेताओं को कह रहे थे कि माना EVM के कारण हम हारे, पर हारते ही जब कोई EVM के ग़लत होने का शोर मचाए तो जनता में मज़ाक़ का पात्र बनता है। हमें चाहिए था कि बोलने के स्थान पर या तो EVM को ग़लत साबित करके बताते या चुप रहते। फिर भी अपने नेता की लाइन पर चलते हुए कार्य कर्ता बोले हाँ EVM में कमी है। अब नेता यह कहें कि नहीं हम ग़लत EVM के चलते नहीं अपनी दूसरी कमियों की वजह से हारे तो कार्य कर्ता की स्थिति अजीब हो जाती है।"
ये शब्द उस अंन्ध कार्यकर्त्ता के हैं जो चिपक कर कभी evm को गाली बके जा रहा था। हो सकता है कि उसने किसी को इसी बात पर बोलना छोड़ दिया हो। उसने मोदी को गाली दी और फिर ट्रोल देवता के कोप भाजन का शिकार हुआ हो। शायद टीवी पर समाचार देखना बंद कर दिया हो और वोट भी न डाला हो क्योंकि इस बात पर कायम है कि evm ख़राब है।
ऐसे कोई अंन्ध भक्त नहीं बनता। बड़ी कठनाई होती है। किसी में इतनी हिम्मत नहीं कि सुबह उठ कर पहले पेट खाली करने से पहले विरोधी की वाल पर उल्टी करना। नाश्ते से पहले वही उल्टी वापस प्लेट में पाना। जो अंन्ध भक्त नहीं वे कितने आसानी से दोनों और पापड़ बेल लेते हैं लेकिन उनका क्या जो या तो पापड़ खाते हैं या बेलन।
किन किन गुणों की ज़रूरत है अंधभक्त बनने के लिये हम आपको बताते हैं।
- मजबूत मानसिक शक्ति
अगर आप सोचते है कि अंधभक्त बस गाली दे कर भाग जाता है तो आप बिलकुल गलत है। क्योंकि इन राजनीति के भक्तों के अपने अपने देवता हैं और अपनी जाति। ये अपने से अलग वाले को गाली देते है और ख़ुद खाते भी हैं। फिर भी रोज़ टिके रहते है।
अगर आप को सुबह ही गुड मॉर्निंग के स्थान पर सीधा गालियां मिले तो आप पागल हो जाएंगे। पर ये आज तक इस बात से दूर हैं।
- फ्री में बेइज्जती सहन करना
आप को 24 घन्टे किसी के भी पक्ष में बात करते हैं और कल अपनी बात से मुकर जाता है तो आप उसके साथ तभी खड़े रहेंगे जब वह आपका बॉस हो। लेकिन ये बेचारे बिना किसी पेमेंट के ही ठीके रहते हैं। जब मोदी जी पाइनएप्पल और नारियल का पोल खुला तो भक्त गण ख़ुद की बेइज्जती तो सहन कर ली लेकिन मोदी की नहीं की। ठीक अब वैसा ही केज़रीवाल के भक्तों के साथ हो रहा है। यह सारा कार्य वह फ़्री में करते हैं।
- तर्क शक्ति का दुरुपयोग करने की क्षमता
इनकी तर्क शक्ति बड़ी ही लाज़वाब होती है। ये किसी बात को नेता जी के अनुकूल वातावरण के अनुसार अलग अलग व्यख्या करने में सक्षम होते हैं। अगर इनकी नेता जी यह कह दें कि भारत 1948 में आज़ाद हुआ तो यह भी सत्य साबित कर सकते हैं।
ये तो अंतिम सत्य को भी गलत साबित कर सकते हैं।
- शिवम.rInKl
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