बिहार में हिंदुत्व महागठबन्धन पर भारी
(हस्तिनापुर के बोल)
ख़ूब उछल रही हैं बातें। याद किया जा रहा मोरार जी देसाई को। याद किया जा रहा है वीपी सिंह को, यहाँ तक कि लोग अटल बिहारी वाजपेयी को याद कर रहें हैं। ये लोग इसलिए याद किये जा रहें हैं क्योंकि इन्होंने भारत की राजनीति के बड़े ध्रुवों को अपनी टुकड़ा जोड़ो राजनीति से हरा दिया। आज यही फार्मूला महागठबंधन के स्वरूप में लौटने का प्रयास कर रहा है। इसकी शुरुआत तो बिहार से शुरू हुआ। वहाँ के राजीनीति के सिक्के ने राजीनीति में भूचाल ला दिया। चुनाव कई अलग अलग कोणों के बजाय दो ध्रुवों के बीच हो गया। मोदी को रोकने के लिए दो धुर विरोधी रहे लालू और नीतीश ने हाथ को कागज के टैप से बांध लिया। फिर चर्चा यही से होकर चली तो बंगाल में वाम दलों ने काँग्रेस से गलबहिया कर लिया। अब जब मायावती का वोट बैंक दरका है वे भी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को सिर पर उठाये लुगा(कपड़ा) उतारने वालों से राजनीतिक चुम्बन करने को बेताब है। यह तो वो जिन्हें किसी एक से लड़ना है वह भी उसे जो कि स्पिन गेंदबाजी( विनोद दुआ के अनुसार) में माहिर है। बीजेपी और राजग जो ख़ुद को इस लड़ाई के लिए बुकिंग शुरू कर दी है। राजनीति में कल्ट राजनीति के बड़े चेहरों में शुमार नरेंद्र मोदी ने सौन्दर्य प्रसाधन इकठ्ठा करना शुरू कर दिया। पर इस लड़ाई में कौन जीतेगा यह तो 2019 में ही बताया जा सकता है लेकिन हम पैदा ही हुए है कुंडली के साथ। बस अब भविष्य भी बताने की कोशिश कर रहें है। हमनें राजीनीतिक विशेषज्ञ की चलती फिरती टीम बनाई जो आपको राज्य दर राज्य बताएगी कि महागठबंधन बनाम हिंदुत्व की चुनावी जंग में कौन जीत सकता है ।
चूँकि बात ही बिहार से शुरु हई है इसलिए हम भी वही से शुरु कर रहें हैं।
वर्तमान स्थिति- BJP-22,LJP-6,RJD-4 JDU-2
मत प्रतिशत के अनुसार-
- BJP- 29.4%
- RJD- 20.10%
- JDU- 15.80%
- CONG- 8.40%
- LJP- 6.40%
- RLSP- 3.00%
विधान सभा में मत प्रतिशत -
- महागठबंधन - 41.9%
- राजग - 34 %
- अगर चुनाव जातिगत या विधानसभा के तर्ज पर लड़ा गया तो -
यह वह बात है जिसपर विपक्ष के सत्ता मिलान की आशा है। अगर चुनाव बिहार विधान सभा के तर्ज़ पर ही लड़े जाय तब महागठबंधन को कुल 42% तक मत मिल सकते है। अब बात यह है कि 42% मत के कितनी सीटों पर कब्ज़ा होगा। हमारी टीम ने मुख्य बात पर जोर दिया कि महागठबंधन की सबसे बड़ी ताकत मुस्लिम वोट जो कि लगभग 16%है। पर कुल चार जिला कटिहार , किशनगंज , सिवान और भागलपुर में ये भारीमात्रा में है लेकिन बाकि बिहार में बहुत मजबूत नहीं है। इस बात को मद्देनज़र रखते हुए महागठबंधन 34(+_2) सीट हासिल कर सकती है । वही राजग को 6(+_2) सीट मिल सकती है। हम निर्दलीयों को इसलिए तवज्जो नहीं दे रहें है कि लोकसभा चुनाव जब दो ध्रुवी हो तो यह लगभग असंभव सा है।
- अगर चुनाव हिन्दुत्व पर लड़ा गया तो-
जब से उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ को मुख्य मंत्री चुना है और जिस प्रकार से बीजेपी अपने को राम मंदिर जैसे मुद्दों पर बिल्ली छान रही है , उससे पूरा बात हिंदुत्व पर टिक जाती है। हिंदुत्व इतना भी आसान फॉर्मूला नहीं है कि पंडित जी ने पत्रा खोला और बता दिया कि आज ग्रहण लगेगा। हिन्दू घर्म चुनाव के मामले में भी खेमो में बटा हुआ है। जब भी हिंदुत्व पर चुनाव हो पूरा हिन्दू एक साथ वोट नहीं करता है , लेकिन भय के चलते पूरा मुस्लिम समाज जरूर एक स्थान पर वोट करेगा। बिहार में मुस्लिम वोट लगभग 16.8% है जो कि पूरी तरीके से महागठबंधन के साथ ही जायेगा। बात अगर ओवैसी की हो महाराष्ट्र को छोड़ कही भी कुछ ख़ास गुल नहीं खिला पाए। फिर भी कुछ मुस्लिम उम्मीदवार और शिया समुदाय को देखते हुए महागठबंधन को 16% वोट मिलने के अनुमान है।
अब अगर हिन्दू वोटों पर डूबकी लगाएं तब हमें जाति की दलदल में भी उतरना पड़ेगा।
बिहार में सवर्ण वोट जो फ़िलहाल बीजेपी या परंपरागत वोट बैंक बनने की कगार पर है। जिसमें 4 प्रमुख जातियां है। ब्राह्मण (5.8%) , भूमिहार(7.6%) , राजपूत(7.2%) और कायस्थ(2.2%) । इसमें बड़ा वोट बैंक भूमिहार है जो कि कुछ बीजेपी को और कुछ जदयू को वोट करते रहें हैं। हिंदुत्व के बाद भी इसमें फूट कि प्रबल संभावना है। कुल बात करें तो जदयू और नीतीश की छवि और लगभग 2% मत महागठबंधन को जा सकता है। वही राजग को 20% मतों ध्रुवीकरण आराम से कर सकता है।
इसके बाद आता है महादलित समुदाय (16%) । इसमें दो मुख्य जतियाँ हैं। पासवान ( 9%) और मांझी(3%)। इनके बड़े नेता रामबिलास पासवान और जीतन राम मांझी राजग की तरफ से खेल रहें है। फिर भी इन दोनों में इतनी ताकत नहीं है कि पूरा एकमुश्त वोट हासिल कर सकें। हिंदुत्व का कार्ड इन पर नहीं चलता। ये अस्तित्व की राजनीति पर ही विश्वास व्यक्त करते हैं। यहाँ 10% मत राजग को जाता दिख रहा है । वही 6% मत महागठबन्धन को जाता दिख रहा है।
एक और छोटा समूह है जो कि जनजाति हैं। इनमें संथाल , गोंड और थारू जनजाति है। इनपर झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का अपना वर्चस्व हैं। बीजेपी ने द्रौपदी मुर्मू को राज्यपाल चुनकर दांव चला है।लेकिन रघुवर दास का मुख्यमंत्री बनने अपने आप में एक कमजोर कड़ी है। वैसे भी ये सिर्फ 2% हैं। जिसमें 1% महागठबन्धन मिल सकता है।
राजग को मिलता वोट -
- सवर्ण -20%
- पिछड़ी-2%
- अति पिछड़ी- 13%
- महादलित- 10%
- कुल - 45%
- कुल सीटें - 30(+_2)
महागठबन्धन को मिलता वोट-
- सवर्ण -2%
- पिछड़ी - 13%
- अति पिछड़ी-3%
- मुस्लिम-16%
- महादलित - 6%
- अनुसूचित जनजाति- 1%
- कुल- 41%
- कुल सीटें - 8(+_2)
बीजेपी के लिए हिंदुत्व फायदेमंद
बिहार चुनाव अगर बीजेपी चुनाव हिंदुत्व के मुद्दे पर लड़ता है तो तो वह महागठबन्धन को पिछड़ा सकता है।
हम आप को इसी प्रकार राज्य दर राज्य बताएंगे कि यदि चुनाव हिंदुत्व बनाम महागठबन्धन हुआ तो कौन जीत सकता है। बस आप अपने ख़ुराफ़ाती विचारों के साथ कमेंट बॉक्स में कूद जाएं।
Thanx to all something sunal team
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