“ गर्लफ्रेंड को दीदी कहेंगे“

                    (विचार अड्डा-यूँ ही)


“ गर्लफ्रेंड को दीदी कहेंगे“
अर्ज किया है -
कि प्यार में ऐ जानेमन, क्या ख़ूब सजा पाई है,
बाइक, मोबाइल को छोड़, पार्क के दीवार कूदकर
अपनी जान बचाई है।

अब हम आशिकों की बात पूछे कौन,
सच्ची ! खूब रूलाई आई है।
श्वेता, दीपा ,नेहा को भी भूले,
जब से यू पी में
सरकार योगी की आई है।

यूँ तो हम चाँदा तोड़ लाते ,
पर अब बात समझ में आई है
भाग ले बेटा पार्क से जल्दी
वर्ना शामत आई है।

पत्नी को भी साथ लेने में, अब रिस्क भारी आई है,
यूपी पुलिस को कौन बतावे
यह गलफ्रेंड नही, लुगाई है।

हम मंजनुओं के दिल पर छुरी, और तलवारें
भी चलवाई है।
अब गर्लफ्रेंड को दीदी कहेगे, इसी में भलाई है।
जरा ठहरिये जनाब ! यदि आम इस कविता को पढ़कर मंद-मंद मुस्कुरा रहे है तो हमें भारी अफसोस है। यह महज एक कविता नहीं, नहीं कोई लतीफा है। तुम्हारी मम्मी की कसम इसमें लिखे एक-एक लफ्ज़ यूपी में बस रहे उन लाखों करोंडों आशिकों के दिल के तड़प की गवाही है।जिनके इश्क का जनाजा 19 मार्च को योगी आदित्य नाथ के उत्तर प्रदेश का 21 वां मुख्य मंत्री बनते ही उठवा दिया गया ।
एन्टी- रोमियों दस्ते ने अपना आक्रमण सभी पब्लिक प्लेस यथा- पार्क , माॅल ,सिनेमा हाॅल आदि पर कर दिया है। और बेचारे आशिक त्राहिमान त्राहिमान कर रहे है। कहते है दिल का हाल सुने दिलवाला । लेकिन हुजूर! अब काहे का दिल और काहे का प्यार - यूपी में यह अब क्राईम है। और हम मासूम अपराधी, हमारे पूर्वज जरूर दिव्यज्ञानी रहे होंगे जो वर्षो पहले अपने पंक्ति के सहारे योगी की मानसिकता को दर्शाया -
"इश्क करना आसान नहीं, इतना समझ लिजिए,
आग का दरिया है और डूब कर जाना है।" ग़ालिब की ये पंक्तियां अब ज़्यादा याद आ रही हैं।
हमें हाल ही में आई शाहरूख खान की फिल्म रईस की याद आ रही है, जिसमें नवाजुद्दीन सिद्दकी अपने थाने में हजारो  शराब की बोतलों पर बेरहमी से बुल्डोजर चलाकर नष्ट कर देता है। जहाँपनाह! यूपी में भी आजकल कुछ ऐसा ही सीन चल रहीे है- फर्क सिर्फ इतना है कि फिल्म में शराबों पर गुस्सा निकाला गया- यहाँ हम मासूम मंजनुओं पर। अब भैया हम सभी शाहरूख खान तो है नही की सीधे तौर पर पुलिसिया महकमें से लड़ बैठे और उनकी ईट से ईट बजा दें। हम तो बस कुछ ऐसा तिकड़म लगा रहें हैं कि मिस्टर इंडिया वाला पावर हमें मिल जाऐ , फिर हम किसी के नजर में आए बिनां प्रेम के फूल खिला सके ।
अरूण रघुरती

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