अमेरिका का ख़त्म होता वर्चस्व

                    (विदेशी बक बक)




वियतनाम और लाओस में हुए युद्ध शायद आपलोग भूल गये होंगे , तो याद कर लें एक छोटी बात में बताता हूँ।
लाओस में वर्ष 1964 से लेकर 1973 तक पूरे नौ साल अमेरिकी वायुसेना ने हर आठ मिनट में बम गिराए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार नौ सालों में अमेरिका ने लगभग 260 मिलियन क्लस्टर बम वियतनाम पर दागे हैं जो कि इराक के ऊपर दागे गए कुल बमों से 210 मिलियन अधिक हैं। 
अब पाठको को पता ही होगा जिसनें उस छोटे मुल्क को हारने न दिया।
अब 1990 की बात पर आते हैं। रूस  के टूटने के बाद से ही अमेरिका दूनिया को द्वि ध्रुवी बनाने में अपना भला देख रहा है  जबकि दुनिया बहुआयामी में  अपना भला देख रही है।
वैसे उत्तर कोरिया की ललकार के बाद कब और कौन टक्कर लेने जायेगा ये तो देखने की बात होगी । खैर अभी कोई भी देश आनेवाने समय में दुबारा अपना भीड़ क्यूँ पिटवाएगा।

आज जब बात  उत्तर कोरीया के शासक की हो रही है तो बताते चलें कि उनके दादा के सबंध रूस से बडे ही मधुर थे और गांव में कहा ही जाता  है कि दादा के बल पर उछल रहे हो तो आगे बताने की जरूरत ही क्या है ?
सुना  है जी-7 मे सबने अपने बॉस का सा​थ छोड़ दिया था।वैसे विश्व विश्व शांति के लिय भारत का पुराना मंत्र आपको विकीपडिया पर भी मिल जायेगा। वसुधैवकुटुम्बकम् प्राचीन भारतीय सनातन धर्म के अनुयायियों की मूल संस्कार तथा विचारधारा है। जो  सम्पूर्ण पृथ्वी के मानवों को अपना एक परिवार मानना तथा सुख-दुख में सम्मिलित होना ही वसुधैवकुटुम्बकम् का मूल स्वरूप है। जिसमें आतंकवाद, अलगाववाद, नक्सली, मानवबम, बेरोजगारी, अभावग्रस्तता तथा गरीबी सहित कोई भी मानवनिर्मित भौतिक समस्या ही विश्व में नहीं रहेगी।

वही  साउथ अफ्रीका के डेली मेल एण्ड गार्डियन अखबार में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक “महज़ दस साल पहले विश्व-शांति के जो-जो अनुमान लगाए गए थे वे अब कोरी कल्पनाएँ लगते हैं।”
बाइबल का अध्ययन करनेवाले जानते हैं कि इंसान चाहे कितने ही नेक इरादे से कोशिश क्यों ना कर ले वह कभी पूरी तरह शांति लाने में कामयाब नहीं हो सकता। क्यों नहीं? क्योंकि जैसा बाइबल कहती है, “सारा संसार उस दुष्ट [शैतान] के वश में पड़ा है।” (1 यूहन्ना 5:19) जब तक यह दुनिया शैतान की मुट्ठी में है, इस पृथ्वी को वैसा सुंदर, खुशनुमा बाग कभी नहीं बनाया जा सकता, जैसा परमेश्वर ने शुरू में बनाया था पर हम उम्मीद कर सकते ​है क्योंकि यहोवा परमेश्वर का वादा है कि वह विश्व-शांति लाकर रहेगा। मगर वह इस पुरानी दुनिया में थोड़ा-बहुत सुधार करके ऐसा नहीं करेगा, बल्कि एक “नई पृथ्वी” लाएगा जिसमें शांति और “धार्मिकता बास करेगी।”

-दिवाकर

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