ठेला से मेला तक

पंडित नेहरू के कर्मभुमि फुलपूर पहली बार कमल खिलाने वाले केशव प्रसाद का बचपन गरीबी मे गूजरा है वे भी मोदी जी की तरह पिछडे र्वग से आते है तथा भाषण कला मे भी मोदी वाली ही बात है 7 मई 1967 को सिराथु मे जन्मे केशव के पिता श्यामलाल कहते है की शरारती  हाने के वजह की गइ पिटाइ से धर से भाग जाना तक इनके सवभाव  मे निहीत  है 1991 मे रामजन्म भाुमी आंदोलन मे बढचढ के हिस्सा लीया लोग इन्हे हिन्दु हदय सम्राट अशोक सिंधल के करीबी मानते है
12 साल तक वीएचपी और बजरंग दल मे सेवा के क्रम मे विहिप के काशी  प्रांत के संगठन मंत्री बने  बाद 2002 मे राजनीती मे आये  जितने से पहले कइ बार हार का स्वाद चख चुके प्रसाद जब 2012 मे सिराथु की सिट जीती उस समय मंडल के चार जिलाो इलाहाबाद कौशंबी प्रतापगढ तथा फतेहपुर मे ही एकमात्र र्मोय ही बिजेपी विधायक के तौर पे चुने गये थे  2014 लोकसभा चुनाव के बाद कभी पिछे नही देेखा अप्रेल मे प्रदेश अध्यक्ष और अब उपमुख्यमंत्री !

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